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देहरादून: युवाओं ने प्लास्टिक कचरे से तैयार ही ईको फ्रेंडली ईंट

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Published : Sep 27, 2020, 3:54 PM IST

देहरादून की एक निजी संस्था के युवाओं ने प्लास्टिक बोतल और कूड़े से ईको फ्रेंडली ईंट तैयार की है. युवाओं ने जगह-जगह फैले प्लास्टिक कूड़े का सदुपयोग करने के लिए 4 हजार प्लास्टिक बोतलों से ईको फ्रेंडली ईंट के तौर पर इस्तेमाल करने का लक्ष्य रखा है.

Eco friendly bricks
देहरादून प्लास्टिक न्यूज

देहरादून: राज्य सरकार के उत्तराखंड को प्लास्टिक मुक्त प्रदेश बनाने के सभी दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण और गरीबों के उत्थान के लिए काम करने वाली दून की एक निजी संस्था ने ईको फ्रेंडली ईंट तैयार की है. ईको फ्रेंडली ईंट को बनाने में युवाओं ने प्लास्टिक की बोतलें और अन्य प्लास्टिक कूड़ा का इस्तेमाल किया है.

Eco friendly bricks
ईको फ्रेंडली ईंट से तैयार किया चबूतरा.

ईको फ्रेंडली प्लास्टिक ईट बनाने का मुख्य उद्देश्य जगह-जगह लगे प्लास्टिक कूड़े के ढेर को कम करना है. ईटीवी भारत से बात करते हुए बिल्डिंग ड्रीम्स फाउंडेशन के प्रबंधक हिमांशु पाठक ने बताया कि उनकी संस्था से जुड़े युवा साथियों ने सबसे पहले शहर के अलग-अलग स्थानों से प्लास्टिक कूड़ा और बोतलें एकत्रित कीं, जिसके बाद प्रेम नगर कैंटोनमेंट बोर्ड के स्कूल के लिए उन्होंने इन प्लास्टिक ईंट से चबूतरा तैयार किया है, जो दिखने में काफी खूबसूरत है. यहां पेड़ के नीचे बैठकर बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे.

युवाओं ने प्लास्टिक कचरे से तैयार ही ईको फ्रेंडली ईंट.

एक ईको फ्रेंडली ईंट बनाने के लिए 600-700 ग्राम पॉलिथीन या प्लास्टिक वेस्ट की जरूरत पड़ती है. ऐसे में जगह-जगह फैले प्लास्टिक कूड़े का सदुपयोग करने के लिए युवाओं ने 4 हजार प्लास्टिक बोतलों से ईको फ्रेंडली ईंट के तौर पर इस्तेमाल करने का लक्ष्य रखा है.

समाजसेवी और बिल्डिंग ड्रीम्ज फाउंडेशन के निदेशक रंजीत बार ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को शुरू करना उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी, क्योंकि शुरुआती दौर में उन्हें इसमें किसी से सहयोग नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अब लोग इस प्रोजेक्ट के महत्व को समझ चुके हैं. ऐसे में बहुत से युवा उनके साथ जुड़ रहे हैं. वह चाहते हैं कि सरकार और नगर निगम प्रशासन भी उन्हें उनके इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में सहयोग करें, जिससे कि प्लास्टिक के कूड़े का बेहतर निस्तारण और सदुपयोग हो सके.

पढ़ें- पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के निधन पर CM त्रिवेंद्र ने जताया शोक

बहरहाल, उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेशों के बावजूद देहरादून समेत प्रदेश के विभिन्न पहाड़ी और मैदानी इलाकों में पॉलिथीन का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है. ऐसे में दून के युवाओं ने प्लास्टिक कूड़े के सदुपयोग का बीड़ा उठाया है, जो वाकई में काबिल-ए-तारीफ है.

देहरादून: राज्य सरकार के उत्तराखंड को प्लास्टिक मुक्त प्रदेश बनाने के सभी दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण और गरीबों के उत्थान के लिए काम करने वाली दून की एक निजी संस्था ने ईको फ्रेंडली ईंट तैयार की है. ईको फ्रेंडली ईंट को बनाने में युवाओं ने प्लास्टिक की बोतलें और अन्य प्लास्टिक कूड़ा का इस्तेमाल किया है.

Eco friendly bricks
ईको फ्रेंडली ईंट से तैयार किया चबूतरा.

ईको फ्रेंडली प्लास्टिक ईट बनाने का मुख्य उद्देश्य जगह-जगह लगे प्लास्टिक कूड़े के ढेर को कम करना है. ईटीवी भारत से बात करते हुए बिल्डिंग ड्रीम्स फाउंडेशन के प्रबंधक हिमांशु पाठक ने बताया कि उनकी संस्था से जुड़े युवा साथियों ने सबसे पहले शहर के अलग-अलग स्थानों से प्लास्टिक कूड़ा और बोतलें एकत्रित कीं, जिसके बाद प्रेम नगर कैंटोनमेंट बोर्ड के स्कूल के लिए उन्होंने इन प्लास्टिक ईंट से चबूतरा तैयार किया है, जो दिखने में काफी खूबसूरत है. यहां पेड़ के नीचे बैठकर बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे.

युवाओं ने प्लास्टिक कचरे से तैयार ही ईको फ्रेंडली ईंट.

एक ईको फ्रेंडली ईंट बनाने के लिए 600-700 ग्राम पॉलिथीन या प्लास्टिक वेस्ट की जरूरत पड़ती है. ऐसे में जगह-जगह फैले प्लास्टिक कूड़े का सदुपयोग करने के लिए युवाओं ने 4 हजार प्लास्टिक बोतलों से ईको फ्रेंडली ईंट के तौर पर इस्तेमाल करने का लक्ष्य रखा है.

समाजसेवी और बिल्डिंग ड्रीम्ज फाउंडेशन के निदेशक रंजीत बार ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को शुरू करना उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी, क्योंकि शुरुआती दौर में उन्हें इसमें किसी से सहयोग नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अब लोग इस प्रोजेक्ट के महत्व को समझ चुके हैं. ऐसे में बहुत से युवा उनके साथ जुड़ रहे हैं. वह चाहते हैं कि सरकार और नगर निगम प्रशासन भी उन्हें उनके इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में सहयोग करें, जिससे कि प्लास्टिक के कूड़े का बेहतर निस्तारण और सदुपयोग हो सके.

पढ़ें- पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के निधन पर CM त्रिवेंद्र ने जताया शोक

बहरहाल, उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेशों के बावजूद देहरादून समेत प्रदेश के विभिन्न पहाड़ी और मैदानी इलाकों में पॉलिथीन का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है. ऐसे में दून के युवाओं ने प्लास्टिक कूड़े के सदुपयोग का बीड़ा उठाया है, जो वाकई में काबिल-ए-तारीफ है.

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