देहरादून: जनवरी 2017 में शुरू हुआ प्रदेश का पहला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को दो साल हो गए हैं, लेकिन प्लांट को विवादों से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और रिसाइक्लिंग प्लांट पिछले पांच महीने से बिना एनओसी के चल रहा है. प्लांट के संचालन के लिए हर साल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कंर्सन टू ऑपरेट एनओसी जरूरी होती है, लेकिन इस बार बोर्ड ने प्लांट को एनओसी नहीं दी है. जिसके चलते पिछले साल की एनओसी अगस्त में ही खत्म हो चुकी है. अब प्लांट में अवैध रूप से कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है.
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2 साल के अंदर ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट प्लांट कूड़े के ढेर से ओवरफ्लो होने लगा है. अब यहां और कूड़ा डंप करने की जगह नहीं बची है. ऐसे में यहां पहले से पड़े कुड़े से आस-पास के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिसके लिए कई स्थानीय लोगों ने कई बार नगर निगम के खिलाफ प्रदर्शन भी किए हैं.
बता दें कि जब से यह प्लांट बना तभी से यह प्लांट कोई न कोई विवादों में घिरा रहता है. वहीं अब नए विवाद के कारण नगर निगम प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. हलांकि नगर निगम प्रशासन की माने तो जल्द ही प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों से वार्ता करके इस समस्या का सुलझाया जाएगा.
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वहीं इसपर नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने बताया कि इस तरह की खबर हमारे सामने आई है कि शीशमबाड़ा प्लांट की प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की एनओसी खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि यदि कोई एनओसी मिलती है, किसी समय के लिए और उससे पहले प्लांट अथॉरिटी उसमें रिन्युवल के लिए अप्लाई करती है, तो उस अथॉरिटी की जिम्मेदारी है कि समय पर डिस्पोजल करें. जब तक डिस्पोजल नहीं होता तब तक पुरानी एनओसी के काम करती है.