देहरादून: कोरोना काल में एक तरफ जहां आम जनता आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. वहीं, दूसरी ओर राजधानी देहरादून के निजी स्कूल संचालक अपनी मनमानी पर उतारू हैं. दरअसल राजधानी के निजी स्कूलों की ओर से ट्यूशन फीस और बस किराए में वृद्धि कर दी गई है, जिसे लेकर नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंटस राइट्स (NAPSR) ने नाराजगी व्यक्त की है.
बता दें कि एनएपीएसआर के सदस्यों ने आज निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को ज्ञापन सौंपा है. एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि निजी स्कूल मनमानी उतारू है. वह राज्य सरकार और उच्च न्यायालय के आदेशों की भी अनदेखी कर रहे हैं. जहां राज्य सरकार और उच्च न्यायालय की ओर से निजी स्कूलों के लिए यह साफ किया गया कि निजी स्कूल अभिभावकों से सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेंगे. इसके बावजूद निजी स्कूल अपनी मनमानी चलाते हुए एक तरफ जहां ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी कर रहे हैं. वहीं अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव भी बना रहे हैं.
इसके साथ ही यदि कोई अभिभावक फीस जमा करने में असमर्थ है तो उस अभिभावक के बच्चे का रिपोर्ट कार्ड रोक दिया जा रहा है. ऐसे में एसोसिएशन यह चाहता है कि उत्तराखंड शासन स्कूलों के संबंधित बोर्ड को ट्यूशन फीस परिभाषित करें ट्यूशन फीस के कारण रिजल्ट ना रोके जाने व फीस वृद्धि न किए जाने के निर्देश जारी किए जाए.
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राजधानी में 15 अप्रैल से शुरू होने जा रहे नए शिक्षण सत्र से पहले विभिन्न निजी स्कूलों ने अपनी फीस स्ट्रक्चर में बदलाव कर दिया है. अभिभावकों को बच्चे के रिजल्ट के साथ नए फीस स्ट्रक्चर का पर्चा भी थमाया जा रहा है. इस फीस स्ट्रक्चर में कई स्कूलों ने अपनी ट्यूशन फीस में 30 से 40% तक की बढ़ोतरी कर दी है. जिन स्कूलों में अब तक ट्यूशन फीस के तौर पर 3000 रुपए लिए जा रहे थे. उन स्कूलों ने अपनी फीस स्ट्रक्चर में बदलाव करते हुए ट्यूशन फीस को बड़ा कर 4 से 5 हजार रुपए तक कर दिया है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए NAPSR की प्रदेश अध्यक्ष गीता शर्मा ने बताया कि सामान्य तौर पर प्रतिवर्ष निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस में सिर्फ 10% वृद्धि की ही अनुमति है, लेकिन इस बार कोरोना काल को देखते राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को अपनी फीस में बढ़ोतरी करते हुए सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने की अनुमति प्रदान की हुई है. इसके बावजूद विभिन्न निजी स्कूल संचालकों ने सरकार के आदेशों को दरकिनार करते हुए ट्यूशन फीस में 30 से 40 % तक की वृद्धि कर दी है, जो सीधे तौर पर अभिभावकों और छात्रों का शोषण है.