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बॉर्डर पर तैनात सैनिकों की कलाई पर सजेगी इको फ्रेंडली राखियां, देहरादून की बहनों ने की ये तैयारी

हर वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार सावन पूर्णिमा तिथि और भद्रारहित काल पर मनाया जाता है. रक्षाबंधन का त्योहार (Rakshabandhan festival) भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है. देहरादून में आजीविका ज्ञान वाटिका समाज सेवी संस्था (Aajeevika Gyan Vatika Social Service Organization) में काम करने वाली महिलाओं और छोटी छात्राओं ने मिलकर इस बार का रक्षाबंधन देश की सीमा पर रक्षा कर रहे वीर जवान को राखी भेजी हैं. इन इको फ्रेंडली राखियां से बहनें रक्षाबंधन के पर्व को खास बना रही हैं.

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सैनिकों की कलाई पर सजेगी इको फ्रेंडली राखियां
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Published : Aug 10, 2022, 10:05 AM IST

Updated : Aug 10, 2022, 3:45 PM IST

देहरादून: रक्षा बंधन का त्योहार (Rakshabandhan festival) भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है. इस पर्व का भाई-बहन को साल भर बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन इस पर्व का खास बनाना हर बहन का सपना होता है. इसी सपने को साकार करने के लिए देहरादून में एक समाजसेवी संस्था की जुटी हुई है. महिलाओं रक्षाबंधन के पावन पर्व पर हर घर तिरंगा (Har Ghar Tiranga) अभियान के तहत तिरंगे की थीम में अनाज से बनी राखियां देश की सीमा पर रक्षा कर रहे जवानों के लिए भेजी हैं.

देहरादून में आजीविका ज्ञान वाटिका समाज सेवी संस्था (Aajeevika Gyan Vatika Social Service Organization) में काम करने वाली महिलाओं और छात्राओं ने मिलकर इस बार का रक्षाबंधन देश की सीमा पर रक्षा कर रहे वीर जवानों को राखी भेजी हैं. जिसको लेकर समाज सेवी संस्था की महिलाएं लगातार पिछले कई दिनों से राखियां तैयार करने में लगी हुई हैं. वहीं अब तक इन महिलाओं द्वारा 2500 से ज्यादा राखियां जवानों को भेजी गई हैं.

बॉर्डर पर तैनात सैनिकों की कलाई पर सजेगी इको फ्रेंडली राखियां.
पढ़ें-
रक्षाबंधन किस दिन मनाएं? 11 या 12 अगस्त को, जानिए राखी बांधने का सही समय

इको फ्रेंडली राखियां का क्रेज: देश की सरहद पर देश की सुरक्षा में लगे वीर जवान को राखियां भेजने वाली इन महिलाओं ने राखी बनाने का भी इस बार यूनीक कॉन्सेप्ट लिया है. राखी बना रही महिलाओं ने बताया कि उनके द्वारा इस बार आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बनाए जा रहे हर हर तिरंगा अभियान के चलते तिरंगे की थीम पर राखियां बनाई जा रही हैं. जिसमें केसरिया सफेद और हरे रंग के उत्पादों का प्रयोग करते हुए राखियां बनाई जा रही हैं.

आजीविका ज्ञान वाटिका प्रशिक्षण संस्थान की प्रिंसिपल नीलम विजय ने बताया कि उनके द्वारा तैयार की जा रही यह राखियां सैनिकों भेजी जा रही हैं. यह राखियां कई ऐसी महिलाओं द्वारा भी बनाई गई है, जिनके खुद के भाई नहीं है और वह देश के सैनिक को ही अपना भाई मानती हैं. वहीं दूसरी तरफ देश की सीमा पर सुरक्षा कर रहे सैनिक को भी यह राखियां बहन का एहसास देते हुए उन्हें इस बात का एहसास देंगी कि रक्षाबंधन पर उनकी किसी बहन ने उनको राखी भेजी है.

जय जवान जय किसान का नारा चरितार्थ: रक्षाबंधन के मौके पर हर घर तिरंगा अभियान के तहत महिलाओं द्वारा तैयार की जा रही है इन राखियों में एक और संदेश भी छुपा हुआ है, जो कि देश के किसान को समृद्ध बनाने को लेकर दिया जा रहा है. महिलाओं द्वारा आसपास में उपलब्ध होने वाले लोकल अनाज के साथ-साथ इको फ्रेंडली राखियां (dehradun eco friendly rakhis) बनाई जा रही हैं. महिलाओं का कहना है कि जहां एक तरफ पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और हर घर तिरंगा अभियान की मुहिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाई जा रही है.
पढ़ें-मसूरी में गणेश जोशी ने आयोजित किया रक्षाबंधन कार्यक्रम, सैकड़ों महिलाओं ने बांधी राखी

इसी कड़ी में महिलाओं द्वारा भी तिरंगे की थीम में लोकल अनाज से राखियां तैयार की जा रही हैं. डिजाइन तैयार करने वाली जिज्ञासा पांडे ने बताया कि सभी महिलाओं द्वारा केसरिया, सफेद और हरे रंग के प्रोडक्ट को इस्तेमाल करते हुए यह राखियां बनाई जा रही हैं जो सीधे तौर से किसानों के लिए भी एक बड़ा संदेश देती है. जिस तरह से जय जवान जय किसान के नारे को चरितार्थ करता है.

25 सालों से चल रही मुहिम: इस पूरे कार्यक्रम को कॉर्डिनेट कर रहे आचार्य विपिन जोशी ने बताया कि उनके द्वारा अलग-अलग संस्थाओं के सहयोग से पिछले 25 सालों से सरहद पर देश की रक्षा कर रहे जवानों के लिए देहरादून की बहनों द्वारा हर साल राखियां भेजी जाती हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा कई बार बाघा बॉर्डर पर सैनिकों के बीच जाकर बहनों की राखियां सैनिकों के कलाइयों में बांधी गई.

आचार्य विपिन जोशी का कहना है कि यह एक अलग ही तरह का एहसास होता है जब पर देश की सीमा पर रक्षा कर रहे वीर जवान को एहसास होता है कि उसकी फिक्र और उसके लिए देश में कई ऐसी बहनें हैं जो कि अपना प्यार इन राशियों के जरिए भेजती हैं. उन्होंने आगे कहा कि कई बहनें ऐसी होती है जिनके खुद के भाई नहीं होते हैं, लेकिन जब वह एक सैनिकों की कलाई पर राखी बांधती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होता है कि देश की सीमा पर रक्षा कर रहा सैनिक जवान ही उसका भाई है.

देहरादून: रक्षा बंधन का त्योहार (Rakshabandhan festival) भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है. इस पर्व का भाई-बहन को साल भर बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन इस पर्व का खास बनाना हर बहन का सपना होता है. इसी सपने को साकार करने के लिए देहरादून में एक समाजसेवी संस्था की जुटी हुई है. महिलाओं रक्षाबंधन के पावन पर्व पर हर घर तिरंगा (Har Ghar Tiranga) अभियान के तहत तिरंगे की थीम में अनाज से बनी राखियां देश की सीमा पर रक्षा कर रहे जवानों के लिए भेजी हैं.

देहरादून में आजीविका ज्ञान वाटिका समाज सेवी संस्था (Aajeevika Gyan Vatika Social Service Organization) में काम करने वाली महिलाओं और छात्राओं ने मिलकर इस बार का रक्षाबंधन देश की सीमा पर रक्षा कर रहे वीर जवानों को राखी भेजी हैं. जिसको लेकर समाज सेवी संस्था की महिलाएं लगातार पिछले कई दिनों से राखियां तैयार करने में लगी हुई हैं. वहीं अब तक इन महिलाओं द्वारा 2500 से ज्यादा राखियां जवानों को भेजी गई हैं.

बॉर्डर पर तैनात सैनिकों की कलाई पर सजेगी इको फ्रेंडली राखियां.
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इको फ्रेंडली राखियां का क्रेज: देश की सरहद पर देश की सुरक्षा में लगे वीर जवान को राखियां भेजने वाली इन महिलाओं ने राखी बनाने का भी इस बार यूनीक कॉन्सेप्ट लिया है. राखी बना रही महिलाओं ने बताया कि उनके द्वारा इस बार आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बनाए जा रहे हर हर तिरंगा अभियान के चलते तिरंगे की थीम पर राखियां बनाई जा रही हैं. जिसमें केसरिया सफेद और हरे रंग के उत्पादों का प्रयोग करते हुए राखियां बनाई जा रही हैं.

आजीविका ज्ञान वाटिका प्रशिक्षण संस्थान की प्रिंसिपल नीलम विजय ने बताया कि उनके द्वारा तैयार की जा रही यह राखियां सैनिकों भेजी जा रही हैं. यह राखियां कई ऐसी महिलाओं द्वारा भी बनाई गई है, जिनके खुद के भाई नहीं है और वह देश के सैनिक को ही अपना भाई मानती हैं. वहीं दूसरी तरफ देश की सीमा पर सुरक्षा कर रहे सैनिक को भी यह राखियां बहन का एहसास देते हुए उन्हें इस बात का एहसास देंगी कि रक्षाबंधन पर उनकी किसी बहन ने उनको राखी भेजी है.

जय जवान जय किसान का नारा चरितार्थ: रक्षाबंधन के मौके पर हर घर तिरंगा अभियान के तहत महिलाओं द्वारा तैयार की जा रही है इन राखियों में एक और संदेश भी छुपा हुआ है, जो कि देश के किसान को समृद्ध बनाने को लेकर दिया जा रहा है. महिलाओं द्वारा आसपास में उपलब्ध होने वाले लोकल अनाज के साथ-साथ इको फ्रेंडली राखियां (dehradun eco friendly rakhis) बनाई जा रही हैं. महिलाओं का कहना है कि जहां एक तरफ पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और हर घर तिरंगा अभियान की मुहिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाई जा रही है.
पढ़ें-मसूरी में गणेश जोशी ने आयोजित किया रक्षाबंधन कार्यक्रम, सैकड़ों महिलाओं ने बांधी राखी

इसी कड़ी में महिलाओं द्वारा भी तिरंगे की थीम में लोकल अनाज से राखियां तैयार की जा रही हैं. डिजाइन तैयार करने वाली जिज्ञासा पांडे ने बताया कि सभी महिलाओं द्वारा केसरिया, सफेद और हरे रंग के प्रोडक्ट को इस्तेमाल करते हुए यह राखियां बनाई जा रही हैं जो सीधे तौर से किसानों के लिए भी एक बड़ा संदेश देती है. जिस तरह से जय जवान जय किसान के नारे को चरितार्थ करता है.

25 सालों से चल रही मुहिम: इस पूरे कार्यक्रम को कॉर्डिनेट कर रहे आचार्य विपिन जोशी ने बताया कि उनके द्वारा अलग-अलग संस्थाओं के सहयोग से पिछले 25 सालों से सरहद पर देश की रक्षा कर रहे जवानों के लिए देहरादून की बहनों द्वारा हर साल राखियां भेजी जाती हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा कई बार बाघा बॉर्डर पर सैनिकों के बीच जाकर बहनों की राखियां सैनिकों के कलाइयों में बांधी गई.

आचार्य विपिन जोशी का कहना है कि यह एक अलग ही तरह का एहसास होता है जब पर देश की सीमा पर रक्षा कर रहे वीर जवान को एहसास होता है कि उसकी फिक्र और उसके लिए देश में कई ऐसी बहनें हैं जो कि अपना प्यार इन राशियों के जरिए भेजती हैं. उन्होंने आगे कहा कि कई बहनें ऐसी होती है जिनके खुद के भाई नहीं होते हैं, लेकिन जब वह एक सैनिकों की कलाई पर राखी बांधती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होता है कि देश की सीमा पर रक्षा कर रहा सैनिक जवान ही उसका भाई है.

Last Updated : Aug 10, 2022, 3:45 PM IST
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