देहरादून: उत्तराखंड में बना पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम इन दिनों अपनी बदहाली की कहानी सुना रहा है. जी हां आपने सही सुना. करोड़ों की लागत से देहरादून के रायपुर में बना स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है. आलम ये है कि क्रिकेट ग्राउंड में चारों तरफ कूड़ा फैला हुआ है. पूरे ग्राउंड में डेढ़-डेढ़ फीट की घास उग आई है. आखिर क्या है क्रिकेट स्टेडियम की स्थिति? देखिये ETV भारत की खास रिपोर्ट.
15 नवंबर 2012 को देहरादून जिले के रायपुर में 22 एकड़ क्षेत्रफल में बनने वाला क्रिकेट स्टेडियम का तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने शिलान्यास किया था. दो चरणों में क्रिकेट स्टेडियम का कार्य पूरा किया गया. पहले चरण में स्टेडियम का निर्माण कार्य पूरा किया गया. जबकि दूसरे चरण में क्लब हाउस एवं विकास संबंधी कार्यों को पूरा किया गया. स्टेडियम का निर्माण कार्य दिसंबर 2015 तक पूरा होना था, लेकिन निर्माण कार्य दिसंबर 2016 में जाकर पूर्ण हुआ.
2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का उद्घाटन किया था. करोड़ों की लागत से बने इस अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को बनाने का मकसद था कि उत्तराखंड के खिलाड़ियों को न सिर्फ एक बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध हो, बल्कि क्रिकेट प्रेमियों को भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच का लुफ्त मिले. गौर हो कि इस स्टेडियम में अफगानिस्तान, वेस्टइंडीज, बांग्लादेश और आयरलैंड के बीच तमाम मुकाबले खेले जा चुके हैं, लेकिन वर्तमान में स्टेडियम बिना रखरखाव के बदहाली से गुजर रहा है.
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देहरादून में अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाने की मुख्य वजह थी कि यहां पर अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी की जा सके. साल 2018 में अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने देहरादून स्थित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी को अपना दूसरा होम ग्राउंड बना लिया था. इसके बाद 2018 में देहरादून में पहली अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट श्रृंखला, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के बीच खेली गयी थी. 2019 के शुरुआत में अफगानिस्तान और आयरलैंड के बीच और 2019 के अंत में अफगानिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच भी मुकाबला खेला गया.
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इन दिनों यह स्टेडियम पूरी तरह से बदहाल स्थिति में है. रखरखाव न होने की वजह से कुर्सियां टूट गई हैं. मैदान में घास उग आई है. इतना ही नहीं पूरे ग्राउंड में बरसात के पानी से काई जम गई है. आलम यह है कि जंगली घास उग जाने से स्टेडियम की पिच भी पूरी तरह से खराब हो चुकी है. यही नहीं, स्टेडियम के रखरखाव के लिए यूज होने वाली मशीनें भी पूरी तरह से जंग खा रही हैं. इसके साथ ही स्टेडियम के चारों तरफ कूड़ा करकट फैला हुआ है. जिसे देखकर यही लगता है कि पिछले कई महीनों से कोई भी विभागीय अधिकारी स्टेडियम की सुध लेने नहीं आया है.
2020 में देश में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दस्तक के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को राज्य सरकार ने कोविड-19 सेंटर में तब्दील कर दिया था. उसके बाद से ही स्टेडियम के हॉल में कोविड सेंटर संचालित किया जा रहा है. साथ ही स्टेडियम के पीछे भी जिला कोविड केयर सेंटर बनाया गया है. जहां कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. ऐसे में स्टेडियम के भीतर बाहरी व्यक्तियों के जाने की अनुमति नहीं है, लेकिन ग्राउंड के रखरखाव के लिए हमेशा से ही कर्मचारी तैनात रहे हैं. बावजूद इसके स्टेडियम की हालत बद से बदतर हो गई है.
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खेल विभाग के संयुक्त निदेशक एसके सर्की ने कहा कि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को स्वास्थ्य विभाग ने टेकओवर कर रखा है. यहां पर जिला कोविड केयर सेंटर बनाया गया है. इसलिए वहां पर किसी भी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं है. लिहाजा स्टेडियम के रखरखाव की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की होनी चाहिए. यानी कुल मिलाकर देखें तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की इस स्थिति का ठीकरा विभाग एक दूसरे पर फोड़ रहे हैं. ऐसे में जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा आने वाले वक्त में खिलाड़ियों को भुगतना पड़ सकता है.
स्टेडियम की खासियत: डे नाइट मैच के लिए चार हाईमास्ट लाइट लगाई गई हैं. इसमें कुल 392 लाइटें हैं. स्टेडियम में 25 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है. भारत में पहली बार इस स्टेडियम की छत टैनसाइल फैब्रिक एवं पॉली कार्बोनेट को मिलाकर बनाई गई है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पांच मुख्य पिच के साथ-साथ पांच प्रैक्टिस पिच भी हैं.
सुरक्षा के मद्देनजर अत्याधुनिक एक्सिस कंट्रोल सिस्टम और बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम को अपनाया गया है. मीडिया एवं ब्राडकास्टिंग के लिए अत्याधुनिक आईपी बेस्ड तकनीक उपलब्ध. स्टेडियम में 100 वर्ग मीटर की दो वीडियो स्क्रीन लगाई गईं हैं. 34 कॉरपोरेट बॉक्स, लाउंज, रेस्टोरेंट एरिया की भी व्यवस्था की गई है. क्लब हाउस में स्वीमिंग पूल, बाउलिंग ऐले, टीटी रूम, स्पा, बैंक्वेट हॉल, 100 सीट का ऑडिटोरियम भी है.