देहरादून: देश की प्रतिष्ठित आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) में दाखिला पाने का सपना हर कोई युवा देखता है. मगर कुछ ही ऐसे युवा होते हैं जो देश की इस प्रतिष्ठित संस्था में दाखिला पाने में सफल हो पाते हैं. राजधानी देहरादून के कैलाशपुर गांव के रहने वाले निशांत मैनवाल ने हाल ही में आईआईटी रुड़की में दाखिला लिया है. निशांत आईआईटी रुड़की से जियोलॉजिकल टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग करेंगे. निशांत के आईआईटी रुड़की तक के सफर की कहानी सामान्य छात्रों से काफी अलग है.
निशांत एक बेहद ही सामान्य और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता बबलू मैनवाल सब्जी की ठेली लगाकर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. निशांत की मां एक गृहणी हैं. ऐसे में घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए निशांत के लिए आईआईटी में दाखिला पाना किसी चुनौती से कम नहीं था. अपनों का साथ और कुछ कर गुजरने के जज्बे ने निशांत को और मजबूत किया. दिन-रात की मेहनत और लगन से आखिरकार निशांत ने इस मुश्किल दिखने वाले सपने को पूरा कर ही लिया.
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निशांत के स्कूली दिनों से लेकर आईआईटी रुड़की तक के सफर को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम खुद निशांत के घर पहुंची, जहां हमने निशांत की चुनौतियों, परेशानियों के साथ ही उनके मजबूत इरादों को समझने की कोशिश की. ईटीवी भारत से बात करते हुए निशांत ने बताया कि उनके आईआईटी तक के सफर में उनके माता-पिता का बहुत बड़ा सहयोग है. इसके साथ ही इसके लिए वे अपने एक खास मित्र को भी याद करना नहीं भूलते.
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निशांत ने बताया कि जब वो 12वीं में थे तब उन्हें आईआईटी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उनके एक खास मित्र ने उन्हें आईआईटी के बारे में बताया, जिसके बाद उन्होंने ठाना की चाहे कुछ भी हो उन्हें अपने परिवार की हालत को सुधारने के लिए किसी न किसी तरह से आईआईटी में दाखिला लेना ही है. इरादे मजबूत करने के बाद निशांत ने दिन-रात अपनी मंजिल को पाने के लिए एक कर दिये. उनके परिवार ने उनका पूरा सहयोग किया.
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निशांत के सामने आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्था में दाखिल लेना कोई आसान काम नहीं था. उनके सामने महंगी कोचिंग, पढ़ाई और परिवार के आर्थिक हालात जैसी चुनौतियां थीं, जिनसे पार पाकर ही वो आईआईटी की परीक्षा को क्रैक कर सकते थे. निशांत ने भी इन सभी चुनौतियों को अपनी लगन और मेहनत से पार किया. निशांत के माता-पिता ने भी कभी आर्थिक तंगी को निशांत की पढ़ाई के बीच में नहीं आने दिया. उन्होंने निशांत को कोचिंग सेंटर में दाखिला दिलवाकर आईआईटी की तैयारी में पूरा सहयोग किया.
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आर्थिक तंगी के बावजूद अपने बेटे निशांत को राजधानी देहरादून के एक जाने-माने कोचिंग सेंटर में दाखिला दिलाने के बारे में निशांत के पिता बबलू मैनवाल बताते हैं कि उन्होंने कोचिंग सेंटर की फीस भरने के लिए दिन रात काम किया. सुबह से लेकर दोपहर तक वे ठेली लगाकर फल बेचा करते थे. वहीं, रात को वह पास के ही एक गेस्ट हाउस में भी काम किया करते थे.
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बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने दिन-रात कड़ी मेहनत की. तब जाकर उन्होंने बेटे को कोचिंग दिलवाई. आज बेटे की सफलता से निशांत के पिता की आंखों की चमक देखते ही बनती है. वहीं, निशांत की मां भी बेटे की कामयाब से काफी खुश हैं. निशांत की मां बताती हैं कि उन्होंने कभी अपने बेटे के हौसले को टूटने नहीं दिया. उनके बेटे निशांत ने भी दिन-रात मेहनत की. इसका नतीजा है कि जी-तोड़ मेहनत से निशांत ने आखिर आईआईटी की परीक्षा को क्रैक कर लिया.