देहरादून: साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियां दमखम से तैयारियों में जुटी हुई हैं. राजनीतिक दल रैली और यात्राएं कर जनता को लुभाने की कोशिश भी कर रही हैं, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता हासिल की जा सके. वहीं, इस कड़ी में भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित कर दिया है.
देहरादून पहुंचे प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आगामी चुनाव के लिए मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया. ऐसे में राजनीतिक गलियारों में तमाम सवाल उठने लगे हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भाजपा का यह फैसला आने वाले समय में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है.
चुनाव से पहले राजनीतिक दल जीतने के लिए अभी से ही हर हथकंडा अपनाने में जुटे हुए हैं. मुख्य विपक्षी दल आगामी विधानसभा चुनाव को सामूहिक नेतृत्व में लड़ने की बात कह रही है. वहीं, युवा मुख्यमंत्री और 60 पार नारे के साथ चुनाव लड़ रही भाजपा ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का चेहरा अभी से ही घोषित कर दिया है. हालांकि, बीजेपी द्वारा मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए जाने के कई मायने निकाले जा रहे हैं. कहा यह भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री धामी के चेहरे से युवाओं के साथ ही जवान और किसानों को भी साधा जा रहा है.
पढ़ें-गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब पहुंचे राज्यपाल और CM धामी, झाड़ू लगाकर सेवा की
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के सुर अभी से हैं बुलंद: भारतीय जनता पार्टी में पिछले कुछ दिनों से सब कुछ ठीक-ठाक दिखाई नहीं दे रहा है. भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेता ही लगातार बयानबाजी कर पार्टी और सरकार की फजीहत कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. बीते दिनों जहां भाजपा विधायक और कार्यकर्ताओं के बीच जंग छिड़ी थी. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री के बीच जंग सार्वजनिक रूप से देखा जा रहा है. ऐसे में अगर वरिष्ठ नेताओं के बीच जुबानी जंग चलती रही तो आने वाले समय में पार्टी को ही इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है.
पढ़ें- CM केजरीवाल ने बेरोजगारी भत्ता देने का किया ऐलान, बोले- 21 महीने में दूंगा रिजल्ट
जिसके नेतृत्व में होता है चुनाव, वही होता है दावेदार: वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय रावत बताते हैं कि अगर मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है तो इससे साफ जाहिर है कि चुनाव जीतने के बाद वही अगले मुख्यमंत्री होंगे. ऐसे में मुख्यमंत्री उम्मीदवार का चेहरा घोषित किया जाए या ना किया जाए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
ऐसे में अगर सीएम धामी के नेतृत्व में भाजपा आगामी 2022 का विधानसभा चुनाव जीत जाती है तो धामी ही मुख्यमंत्री होंगे. क्योंकि तब वे अपनी एबिलिटी दिखा चुके होंगे. हालांकि, बीजेपी की प्रथा शुरू से ही एक ही कार्यकाल में दो से तीन मुख्यमंत्री बनाए जाने की रही है. ऐसे में बाद में मुख्यमंत्री बदला भी जा सकता है.
पढ़ें- उत्तराखंड : प्रहलाद जोशी ने पुष्कर धामी को विधानसभा चुनाव के लिए सीएम चेहरा घोषित किया
धामी के शपथ ग्रहण समारोह से पहले कई दिग्गज हुए नाराज: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 4 जुलाई को वर्तमान भाजपा के कार्यकाल के दौरान बतौर तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा के बाद भाजपा के ही कई दिग्गज नेता नाराज हो गए थे.
यही नहीं, कई नेताओं ने मंत्री पद की शपथ लेने से भी मना कर दिया था. जिसके बाद खुद भाजपा के आलाकमान के मान-मनौव्वल बाद, इन दिग्गज नेताओं ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. ऐसे में अब जब आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सीएम धामी को ही अगला सीएम उम्मीदवार घोषित किया गया है ऐसे में इन नेताओं का नाराज होना फिर से लाजमी है. जय सिंह रावत ने कहा कि ऐसे में एक बड़ा सवाल ही खड़ा होता है कि ये दिग्गज नेता आगामी विधानसभा चुनाव में सीएम धामी को चुनाव जीतने देंगे या नहीं ये एक बड़ा सवाल है?
सीएम दावेदार को हराने के लिए नेता लगा देते हैं पूरा जोर: वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि अभी तक का इतिहास रहा है कि जो भी नेता सीएम उम्मीदवार होता है या फिर सीएम दावेदार होता है उसे हराने के लिए दूसरे नेता एड़ी से चोटी तक का जोर लगा देते हैं.
यही नहीं, जय सिंह रावत ने कहा पूर्व कैबिनेट मंत्री केदार सिंह फोनिया ने भी अपनी किताब में इस बात का जिक्र किया है कि 2002 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ ऐसा ही देखने को मिला था. उस दौरान जो सीएम पद के संभावित नेता थे, उन सभी को चुन-चुन कर हराया गया. ये सिलसिला लगातार चलता रहा. यह किसी एक दल में नहीं है बल्कि प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों में देखने को मिला. यहीं कारण है कि आने वाले चुनाव में सीएम धामी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
पढ़ें- CM धामी और चुनाव प्रभारी से मिलने का इंतजार करते रहे विधायक और मेयर
वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स ने कहा अमूमन यह बात सामने आती रही है कि जो सीएम का संभावित चेहरा होता है उसे हराने के लिए उसी के पार्टी के नेता पूरी ताकत लगा देते हैं. अपने ही लोग चुनाव में हराने का काम करते हैं, लेकिन यह अन्य पार्टियों में होता है. भारतीय जनता पार्टी में ऐसा कुछ भी नहीं होता है. भाजपा में निपटाने वालों को निपटाना आता है. लिहाजा जो पार्टी को निपटाने की कोशिश करते हैं उसे कार्यकर्ता और नेता मिलकर निपटा देते हैं.
पढ़ें- उत्तराखंडः भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में लिया गया फैसला, 'अनुशासन पार्टी का पहला संस्कार'
वहीं, कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीएम धामी को उम्मीदवार घोषित करना भाजपा की एक बड़ी चूक बात रहे हैं. जोशी का कहना है कि सीएम धामी को उम्मीदवार घोषित करने को लेकर नेताओं के ही विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं.
ऐसे में यही लग रहा है कि सीएम धामी के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र हो रहा है. उनके राजनीतिक भविष्य पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है. सीएम धामी को आगामी विधानसभा चुनाव में हराने के लिए भाजपा के भीतर ही साजिश हो रही है. लिहाजा, भाजपा अपने इसी अंतर कलह के चलते खुद डूबेगी.
पढ़ें- उत्तराखंड में नए NH के लिए मिलेंगे ₹1300 करोड़, देहरादून से टिहरी झील के लिए बनेगी टनल
अंतर्कलह के चलते आगामी चुनाव हारेगी भाजपा: मथुरा दत्त जोशी ने कहा भाजपा में सबसे अधिक अंतर्कलह है, जो सबके सामने आ रहा है. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और प्रभारियों के अलग-अलग बयान देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में सभी बड़े नेता मिलकर सीएम धामी को ठिकाने और हराने में लग गए हैं. सीएम धामी युवा चेहरा और युवा मुख्यमंत्री हैं. लिहाजा भाजपा अपने इन्हीं अंतर्कलह के चलते आगामी 2022 विधानसभा चुनाव को हारेगी.
पढ़ें- पंजाब के सियासी संग्राम में 'ACTION' में दिखे हरीश रावत, एक ट्वीट से खत्म किया सस्पेंस
सीएम धामी के सीएम फेस को महाराज ने बताया झूठ: बीते दिन देहरादून दौरे पर पहुंचे प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी ने मीडिया से बातचीत करते हुए इस बात का ऐलान कर दिया था कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीएम धामी ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे. हालांकि, उससे बाद हुई कोर कमेटी की बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज भी मौजूद रहे.
जब कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज से इस बाबत सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. ऐसी कोई बात भी नहीं है. उन्होंने कहा वह खुद भी कोर कमेटी में मौजूद थे, लेकिन वहां पर ऐसा कुछ नहीं हुआ.