देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के दौरान स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन को देखकर लोग संतुष्टि जताते रहे और अस्पताल सैकड़ों मरीजों की मौत के आंकड़ों को दबाए रहे. हैरानी की बात यह है कि पिछले करीब 8 महीनों में ऐसे 868 मरीज थे. जिनकी मौत की सूचनाएं अस्पतालों ने स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल रूम को देरी से दी.
प्रदेश में अक्टूबर 2020 से जून 2021 तक 868 लोग ऐसे थे जिनकी मौत के बाद भी अस्पतालों ने इसका खुलासा नहीं किया. स्वास्थ्य विभाग को मरीजों की मौत का आंकड़ा जारी ही नहीं किया. सोशल डेवलपमेंट फॉर कमिटीज फाउंडेशन ने स्वास्थ्य विभाग के इन्हीं आंकड़ों पर स्टडी के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें ऐसे आंकड़ों को इकट्ठा किया है, जो स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन में नहीं थे, लेकिन बाद में एकाएक उन्हें मौत के आंकड़ों में जोड़ दिया गया.
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फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार 17 अक्टूबर 2020 को 89 मरीजों की मौत का बैकलॉग डाटा सामने आया. इसी तरह 9 मई को 29 ऐसे मरीजों की मौत जाहिर की गई है. जिनका रिकॉर्ड समय से नहीं दिया गया था. इस तरह 2020 में कुल 89 मरीजों की मौत हुई जिनका रिकॉर्ड अस्पतालों ने सही समय पर नहीं दिया गया.
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दूसरी तरफ 9 मई 2021 से 31 मई 2021 तक इस महीने कुल 647 मरीजों की मौत हुई. अस्पतालों ने इन मौतों को दबाए रखा. स्वास्थ्य विभाग की सख्ती के बाद अस्पतालों ने बाद में इतनी बड़ी संख्या में हुई मौतों को जाहिर किया. इसके बाद जून महीने में 1 जून से लेकर 8 जून तक 139 मरीजों की मौत हुई.
जिसका रिकॉर्ड अस्पतालों में समय पर नहीं दिया और स्वास्थ्य विभाग ने बाद में इन आंकड़ों को हेल्थ बुलिटिन में जोड़ा. इस तरह राज्य में अब तक 6797 मरीजों की मौत हो चुकी है. फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई होनी चाहिए. जिन्होंने मौत के इतनी बड़ी संख्या में आंकड़ों को देरी से जाहिर किया और स्थिति को छुपाए रखा.