देहरादून: कोरोना ने एक बार फिर उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि प्रदेश में कोरोन संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक है. कोरोना से हुई मौत के आंकड़ा प्रदेश में हर दिन बढ़ाता जा रहा है.
उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था. तब से लेकर अभी तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो स्थिति में सुधार हुआ है. हालांकि, अक्टूबर की तुलना में नवंबर में 50 प्रतिशत मौतें कम हुई थी. बावजूद इसके उत्तराखंड में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है.
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आंकड़ों के हिसाब से उत्तराखंड में जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर 1.64 है तो वहीं राष्ट्रीय स्तर ये दर 1.45 है. इस बारे में सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन के फाउंडर अनूप नौटियाल का कहना है कि उत्तराखंड में कोरोना का पहला केस 15 मार्च को आया था. तब से लेकर अब तक के विश्लेषण पर यदि गौर किया जाए तो स्थिति में सुधार आया है.
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि प्रदेश में रिकवरी रेट बेहतर और संक्रमण दर कम हुई है. हालांकि, एक निश्चित समय के बाद एक्टिव केसों में भी कमी आई है, लेकिन वर्तमान में प्रदेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती डेथ रेट को लेकर है.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अभी तक 75 हजार कोरोना केस सामने आए है. इनमें से 1231 कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्यु हो गई है, यानी प्रदेश का डेथ रेट 1.65 प्रतिशत है. संस्था के संस्थापक अनूप नौटियाल का मानना है कि फिलहाल, प्रदेश में कोरोना को रोकने के लिए जांच का दायरा बढ़ाने की जरूरत है. ऐसे में राज्य की मृत्यु दर को राष्ट्रीय औसत से नीचे लाने के लिए सरकार को और प्रयास करने होंगे.