देहरादूनः उत्तराखंड में अटल उत्कृष्ट विद्यालयों से सीबीएसई बोर्ड खत्म करने को लेकर चर्चा जोरों पर है. इस बीच निदेशक माध्यमिक की तरफ से जारी एक आदेश ने इस सस्पेंस को बढ़ा दिया है. दरअसल, अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा की तारीख तय की गई है, जिसके लिए इस परीक्षा में शामिल होने वाले शिक्षकों को अनुमति दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं.
उत्तराखंड में पिछली भाजपा सरकार के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में जिस कदम को बेहद महत्वपूर्ण बताया गया और इसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित भी किया गया. वही फैसला अब रोलबैक किए जाने की तरफ बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. चर्चा इस बात को लेकर है कि जल्द ही सरकार अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के सीबीएसई मान्यता के फैसले को वापस ले सकती है. बाकायदा शिक्षक संघ की तरफ से भी इसकी मांग की गई है. सरकार भी इस पर विचार कर रही है. लेकिन इन तमाम चर्चाओं के बीच निदेशक माध्यमिक सीमा जौनसारी की तरफ से एक पत्र मुख्य शिक्षा अधिकारियों को जारी किया गया, जिसने अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के सीबीएसई बोर्ड को लेकर सस्पेंस बढ़ा दिया है.
निदेशक माध्यमिक ने लेटर ने बढ़ाया सस्पेंस: दरअसल, निदेशक माध्यमिक सीमा जौनसारी द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र लिखा गया है कि राजकीय अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा तय की गई है जिसके लिए शिक्षकों को परीक्षा में शामिल होने के लिए अनुमति दी जाए. शिक्षकों की स्क्रीनिंग परीक्षा 20 सितंबर को निर्धारित की गई है. इसी स्क्रीनिंग परीक्षा के जरिये अटल उत्कृष्ट विद्यालय में शिक्षकों की तैनाती की जाएगी.
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20 सितंबर को परीक्षा: इस आदेश के बाद शिक्षक दोहरी स्थिति में है कि आखिरकार सरकार अटल उत्कृष्ट विद्यालयों से सीबीएसई हटाने के मूड में है या नहीं. बता दें कि राज्य में कुल 189 अटल उत्कृष्ट विद्यालय चयनित किए गए हैं. जिन्हें सीबीएसई बोर्ड से एफीलिएशन दिलवाई गई है. इन विद्यालयों में शिक्षा विभाग के ही शिक्षकों को तैनाती दी जाती है. लेकिन इससे पहले इन शिक्षकों को एक परीक्षा पास करनी होती है. इसी परीक्षा के लिए 20 सितंबर की डेट निर्धारित की गई है. अब सवाल उठा रहा है कि यदि इन विद्यालयों से सीबीएसई पैटर्न हटाना है तो फिर आखिरकार सरकार इसमें शिक्षकों की भर्ती अलग से क्यों कर रही है?
त्रिवेंद्र सरकार में लिया गया फैसला: गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सरकार के दौरान 2021 में इन विद्यालयों का चयन किया गया था और पिछले साल ही सीबीएसई पैटर्न के तहत पहली बार बोर्ड की परीक्षा भी करवाई गई थी, लेकिन इसका परिणाम बेहद खराब रहे थे. इसके बाद इस पर कई सवाल खड़े होने लगे थे. इसके बाद राजकीय शिक्षक संघ ने भी इस फैसले को वापस लेने की मांग की थी.