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डांस प्रतियोगिता में बच्चों ने कराया लोगों को देवभूमि की संस्कृति से रूबरू, जमकर झूमे दर्शक

देहरादून के गढ़ी कैंट स्थित एक निजी स्कूल के डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस मौके पर बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बच्चों को प्रोत्साहित किया और कहा कि अगर बच्चों को मौका मिले तो बच्चे बहुत कुछ कर सकते हैं.

गढ़ी कैंट स्थित एक निजी स्कूल के डांस प्रतियोगिता का आयोजन
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Published : May 5, 2019, 12:28 PM IST

देहरादून: राजधानी देहरादून के गढ़ी कैंट स्थित एक निजी स्कूल में अंतरविद्यालयी डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस प्रतियोगिता में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान विभिन्न स्कूलों से आई छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुत कर सभी दर्शकों का मन मोह लिया.

गढ़ी कैंट स्थित एक निजी स्कूल के डांस प्रतियोगिता का आयोजन

पढ़ें- चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह, कपाट खुलने से पहले ही पैदल यात्रा पर निकले 800 लोग

गौर हो कि पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय शंकर दयाल शर्मा के प्रयासों से वर्ष 1995 में राजधानी स्थित सेवन ओक स्कूल की नींव रखी गई थी. प्रतियोगिता कार्यक्रम के मौके पर बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बालिकाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर बच्चों को मौका मिले तो वे बहुत कुछ कर सकते हैं. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि विभिन्न स्कूलों से आई बालिकाओं ने अपने-अपने स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया.

साथ ही लोगों के अपनी कला से देवभूमि की संस्कृति से रूबरू कराया. उषा नेगी ने कहा कि बच्चों को चाहिए की वेस्टर्न म्यूजिक की ओर जाने की बजाय अपनी संस्कृति को अपनाना चाहिए. सभी बच्चों को अपनी संस्कृति को बचाने का भी प्रयास करना चाहिए. गौर हो, साल 1995 में खुले इस निजी स्कूल की विशेषता यह है कि बीते कई सालों से स्कूल कमजोर वर्गों के बच्चों को अपनी सेवाएं दे रहा है.

देहरादून: राजधानी देहरादून के गढ़ी कैंट स्थित एक निजी स्कूल में अंतरविद्यालयी डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस प्रतियोगिता में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान विभिन्न स्कूलों से आई छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुत कर सभी दर्शकों का मन मोह लिया.

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गौर हो कि पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय शंकर दयाल शर्मा के प्रयासों से वर्ष 1995 में राजधानी स्थित सेवन ओक स्कूल की नींव रखी गई थी. प्रतियोगिता कार्यक्रम के मौके पर बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बालिकाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर बच्चों को मौका मिले तो वे बहुत कुछ कर सकते हैं. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि विभिन्न स्कूलों से आई बालिकाओं ने अपने-अपने स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया.

साथ ही लोगों के अपनी कला से देवभूमि की संस्कृति से रूबरू कराया. उषा नेगी ने कहा कि बच्चों को चाहिए की वेस्टर्न म्यूजिक की ओर जाने की बजाय अपनी संस्कृति को अपनाना चाहिए. सभी बच्चों को अपनी संस्कृति को बचाने का भी प्रयास करना चाहिए. गौर हो, साल 1995 में खुले इस निजी स्कूल की विशेषता यह है कि बीते कई सालों से स्कूल कमजोर वर्गों के बच्चों को अपनी सेवाएं दे रहा है.

Intro:पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय शंकर दयाल शर्मा के प्रयासों से 1995 में खुले देहरादून के गढ़ी केन्ट स्थित एक निजी स्कूल के कार्यक्रम में पहुंची बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा उषा नेगी ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप मे शिरकत की। इस दौरान अन्तर्विद्यालयी प्रतियोगिता के तहत विभिन्न स्कूलों से आई बालिकाओं ने रंग बिरंगी पोशाकों मे आकर्षक नृत्य प्रस्तुत करते हुए दर्शकों का मन मोह लिया। नृत्य प्रतियोगिता की विशेष बात रही कि प्रतिभाग कर रही बालिकाओं ने फिल्मी गानों के बजाय क्लासिकल बेस्ट थीम पर आधारित अपनी प्रस्तुतियां दी।


Body:वहीं बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा ऊषा नेगी ने बालिकाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर बच्चों को मौका मिले तो बच्चे बहुत कुछ कर सकते हैं उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि विभिन्न स्कूलों से आई बालिकाओं ने अपने-अपने स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया है उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए चाहे वो फोक डांस हो या फिर कत्थक हो या फिर संगीत हो, सब में क्लासिकल टच होना अपने आप में अतुलनीय है। उषा नेगी ने कहा कि बच्चों को चाहिए की वेस्टर्न म्यूजिक की ओर जाने की बजाय अपनी संस्कृति को अपनाना चाहिए, सभी बच्चों को अपनी संस्कृति को बचाने का सतत प्रयास करना चाहिए।
बाईट- उषा नेगी अध्यक्षा बाल संरक्षण आयोग


Conclusion: गौरतलब है कि 1995 में खुले इस निजी स्कूल की विशेषता यह है कि बीते कई सालों से स्कूल कमजोर वर्गों के बच्चों को अपनी सेवाएं दे रहा है और स्कूल किसी भी प्रचार-प्रसार को अहमियत नहीं देता है, सभी बच्चे मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं और बच्चों को स्कूल की तरफ से स्कॉलरशिप भी प्रदान की जाती है, 25 वर्ष पूरे होने के बाद स्कूल न्यूनतम फीस में बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर रहा है और बच्चों का भविष्य संवार रहा है।
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