देहरादून: प्रदेश में साइबर क्राइम का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. विभिन्न थानों में आए दिन इससे संबंधित मामले दर्ज कराए जा रहे हैं. साइबर क्राइम पुलिस द्वारा लगातार अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, लेकिन पुलिस को कोई सफलता नहीं मिल पा रही है. वहीं अपराधियों द्वारा इन दिनों किसी भी कंपनी के टोल फ्री नंबर को हैक या उससे मिलता-जुलता नंबर खरीद कर लोगों को नये तरीके से गुमराह कर धोखाधड़ी की जा रही है. दूसरा तरीका इन दिनों ग्राहकों के मोबाइल पर 'Bulk messages' के जरिए लिंक क्लिक कर तमाम जानकारी एकत्र कर साइबर ठगी का अपराध तेजी से फैल रहा है.
किसी से साझा न करें बैंक जानकारी
उत्तराखंड साइबर पुलिस सर्किल ऑफिसर अंकुश मिश्रा के अनुसार इन दिनों साइबर अपराधी हर एक मोबाइल में 'Bulk messages' के जरिए भी ठगी कर रहे हैं. लगातार आ रहे मैसेज में इस तरह की भी साइबर ठगों द्वारा सूचना भेजी जा रही है की इस मैसेज पर क्लिक करके उनका ग्रुप ज्वाइन करें और इनाम पाए. ऐसा हथकंडा अपनाकर साइबर अपराधी एक के बाद एक लोगों को एक नेटवर्क के जरिए ग्रुप में 500 रुपये या उससे अधिक इनाम पाने का झांसा देकर मोटी रकम हड़प रहे हैं. इस तरह के आने वाले 'Bulk messages' पर क्लिक करते ही मोबाइल धारक की अधिकांश ऑनलाइन जानकारी साइबर अपराधी के पास पहुंच जाती है. जिसके जरिए वह बैंक डिटेल या अन्य तरह की जानकारियों को लेकर ठगी को अंजाम देते हैं.
साइबर ठगी में तत्काल लेनी चाहिए पुलिस की मदद
उत्तराखंड साइबर पुलिस के सर्किल ऑफिसर अंकुश मिश्रा का कहना है कि साइबर ठग आए दिन नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को अपने जाल में फांस लेते हैं. हालांकि लगातार शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड साइबर पुलिस अपराधियों का सुराग लगाकर उनकी धरपकड़ करने की कार्रवाई जारी रखे हुए हैं. लेकिन देश के कई हिस्सों में इन अपराधियों के अलग-अलग ठिकानों में पहुंचना कई तरह की तकनीकी वजह से चुनौतीपूर्ण कार्य है. लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस इन पर शिकंजा कसने के लिए लगातार प्रयासरत है. सर्किल ऑफिसर अंकुश मिश्रा के मुताबिक किसी भी व्यक्ति के साथ साइबर ठगी होने के उपरांत 2 से 3 घंटे का समय गोल्डन टाइम का होता है, अगर साइबर पुलिस को शिकायत पीड़ित पक्ष द्वारा समय पर की जाती है तो उस पर कार्रवाई करना प्रभावी होता है. लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता है कार्य करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है. ऐसे में जितनी जल्दी हो सकें साइबर ठगी का शिकार होने वाले लोगों को तत्काल समय रहते शिकायत दर्ज करने से ही फायदा मिलेगा.
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बता दें कि, साल 2000 के बाद आधुनिकरण का एक ऐसा दौर शुरू हुआ जिससे तमाम चीजें धीरे-धीरे ऑनलाइन होती चली गईं. हालांकि, इस आधुनिकरण के चलते लोगों को काफी सहूलियत भी हुई, लेकिन जैसे-जैसे इसका प्रचलन तेजी से बढ़ने लगा उसी अनुसार साइबर क्राइम के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे हैं.