देहरादूनः भारत में हर साल 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं या ग्राहकों को उनके हितों के लिए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और उसके अंतर्गत आने वाले कानूनों के प्रति जागरूक करना है.
आपको बता दें कि, भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1966 में मुंबई से हुई. जिसके बाद 9 दिसंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद देश भर में इसे लागू कर दिया गया. इसके बाद हर साल 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाए जाने की शुरुआत हुई.
बात पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड के उपभोक्ता फोरम की करें तो प्रदेश के सभी 13 जनपदों में से 7 जनपदों में संचालित हो रहे उपभोक्ता फोरम में कोरम (मेम्बर्स) पूरा न होने के चलते उपभोक्ता अधिकारों से जुड़े मामलों पर सुनवाई लंबित चल रही है. इनमें पौड़ी, चंपावत, उधमसिंह नगर, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर और नैनीताल जिला उपभोक्ता फोरम नाम में शामिल हैं.
गौरतलब है कि इसी साल 20 जुलाई 2020 को केंद्र सरकार की ओर से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2020 जारी किया गया, जिसके तहत अब उपभोक्ता फोरम के कोरम के मेंबर्स की संख्या में बढ़ोतरी कर दी गई है. जहां अब तक कोरम में एक चेयरमैन समेत दो अन्य मेंबर्स हुआ करते थे, वहीं नए अधिनियम के तहत अब कोरम में एक चेयरमैन समेत चार अन्य मेंबर्स होंगे.
इसके साथ ही बता दें कि, प्रदेश के सभी जनपदों के जिला उपभोक्ता फोरम में दर्ज मामलों में से सबसे अधिक लंबित मामले हरिद्वार, देहरादून और उधम सिंह नगर जनपद में हैं. इस तरह प्रदेश के सभी 13 जनपदों के जिला उपभोक्ता फोरम में लंबित चल रहे मामलों की कुल संख्या की बात करें तो, 30 अक्टूबर 2020 तक प्रदेश के सभी 13 जनपदों के उपभोक्ता फोरम में कुल 2,698 मामलों पर सुनवाई लंबित चल रही है.
प्रदेश के सभी 13 जनपदों के जिला उपभोक्ता फोरम में लंबित चल रहे मामलों की सूची
वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की रजिस्ट्रार अंजूश्री जुयाल ने बताया कि आयोग लगातार प्रयास में है कि आम उपभोक्ताओं से जुड़े मामलों को जल्द निपटाया जाए. ऐसे में जिन जनपदों में कोरम पूरा नहीं है, वहां अलग-अलग दिन निर्धारित कर अन्य जनपदों के कोरम मेंबर्स को भेजा जा रहा है. जिससे कि लंबित मामलों पर जल्द से जल्द सुनवाई कर उपभोक्ताओं को उनका अधिकार दिया जा सके. वहीं, अब आम उपभोक्ता किसी भी तरह की धोखाधड़ी का शिकार होने पर उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर 1800 180 4188 पर संपर्क कर अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं.
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत यह है उपभोक्ताओं के अधिकारः
- खरीदी गई वस्तु की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता और मूल्य की जानकारी का अधिकार, ताकि उपभोक्ता को गलत सामान ना भेजा जा सके
- अनुचित व्यापार पद्धति योग्यताओं के शोषण के विरुद्ध निपटान का अधिकार
- सूचना संपन्न उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अधिकार
- अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का अधिकार
- जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक सामान और सेवाओं की बिक्री के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार
इसके साथ ही बता दें कि, किसी भी तरह की ठगी का शिकार होने पर सामान्य सेवाओं की लागत या मांगी गई क्षतिपूर्ति पर निर्भर करता है. अगर यह राशि 2 लाख रुपए से कम हो तो जिला फोरम में शिकायत दर्ज की जा सकती है. यदि यह राशि 2 लाख से अधिक है और एक करोड़ से कम है, तो राज्य आयोग के सामने शिकायत दी जा सकती है. यदि धन राशि 1 करोड़ रुपए से अधिक है, तो राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के सामने शिकायत दर्ज की जा सकती है. इसके लिए ऑनलाइन वेबसाइट www.fcamin.nic.in उपलब्ध है. साथ ही उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करके भी आप अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं.