देहरादून: लॉकडाउन काल में हर ओर सन्नाटा है. इस सन्नाटे में एक राहत वाली खबर ये है कि उत्तराखंड में अपराधों का ग्राफ भी बहुत नीचे पहुंच गया है. ये हम नहीं पुलिस के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं. उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं से लेकर, लूट, डकैती, फिरौती, अपहरण, दुष्कर्म व चेन स्नैचिंग जैसे कई संगीन अपराधों में रिकॉर्ड स्तर पर गिरावट देखने को मिली है. हालांकि घरेलू हिंसा के मामले काफी बढ़ गये हैं.
लॉकडाउन के दरम्यान बीते 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक के अपराध आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 3 साल के अप्रैल माह की तुलना अपराधों में चौंकाने वाले नतीजे सामने आये हैं.
वर्ष 2018 से 2020 तक अप्रैल माह के अधिकारिक आंकड़ों की सूची
अपराध | 2020 | 2019 | 2018 |
डकैती | 0 | 2 | 0 |
लूट | 5 | 17 | 14 |
बलात्कार | 2 | 43 | 42 |
वाहन लूट | 0 | 2 | 4 |
चेन लूट | 0 | 7 | 10 |
गृह भेदन | 17 | 35 | 29 |
वाहन चोरी | 7 | 68 | 95 |
चोरी | 24 | 64 | 79 |
हत्या | 8 | 10 | 12 |
फिरौती हेतु अपहरण | 10 | 0 | 1 |
हत्या हेतु अपहरण | 0 | 0 | 0 |
महिला व्यपहरण | 0 | 0 | 1 |
अन्य अपहरण | 1 | 12 | 2 |
दहेज हत्या | 5 | 7 | 0 |
अन्य IPC FIR | 453 | 557 | 648 |
कुल योग मुकदमें दर्ज | 522 | 853 | 960 |
सड़क दुर्घटनाओं का 3 वर्षीय तुलनात्मक विवरण मात्र (अप्रैल माह का):
जिला | दुर्घटनाओं की संख्या(2020-2019-2018) | मृतकों की संख्या(2020-2019-2018) | घायलों की संख्या(2020-2019-2018) |
चमोली | 1- 1- 6 | 0 1- 3 | 3- 0- 8 |
उत्तरकाशी | 0-1- 4 | 0- 1- 5 | 0- 0- 12 |
टिहरी | 2- 4- 10 | 2- 6- 11 | 4- 2- 24 |
रुद्रप्रयाग | 0- 0- 1 | 0- 0- 0 | 0- 0- 1 |
पौड़ी गढ़वाल | 0- 3- 2 | 0- 4- 0 | 0- 4- 5 |
देहरादून | 2- 30- 34 | 1- 21- 7 | 1- 16- 25 |
हरिद्वार | 2- 17- 28 | 0- 13- 11 | 2- 12- 35 |
नैनीताल | 1- 16- 13 | 0- 5- 8 | 1- 14- 14 |
उधमसिंहनगर | 2-31- 33 | 0- 19- 16 | 2- 27- 24 |
अल्मोड़ा | 0- 1- 1 | 0- 0- 0 | 0- 1- 1 |
पिथौरागढ़ | 1- 1- 0 | 0 1- 0 | 4- 3- 0 |
चंपावत | 1- 1- 3 | 1- 0- 2 | 0- 4- 6 |
बागेश्वर | 0- 1- 1 | 0- 3- 0 | 0- 3- 1 |
योग | 12- 107-126 | 4- 74- 63 | 17- 86 156 |
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लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के मामले सबसे ज्यादा
लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड में सड़क हादसे फ़िलहाल न के बराबर हैं. लेकिन घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की मानें तो स्वभाविक रूप से लॉकडाउन के दौरान सड़क दुर्घटनाएं शून्य की ओर हैं. इतना ही नहीं संगीन किस्म के ज्यादातर अपराध भी कम हो गए हैं. हालांकि प्रॉपर्टी और आपसी रंजिश के चलते हत्या की घटनाओं में कोई खास फर्क नहीं हैं. लेकिन इस दौरान घरेलू हिंसा और मारपीट के मामले पहले की तरह बदस्तूर जारी हैं.