ऋषिकेशः तपोवन स्थित क्रिया योग आश्रम में अवैध रूप से दुर्लभ प्रजाति के जानवर और जंतु रखने के आरोप में आश्रम के संचालक सर्वगुणानंद गिरि को दो साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है. यह सजा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार बर्मन की अदालत ने सुनाई. इसके अलावा सर्वगुणानंद गिरि पर 10 हजार का अर्थदंड भी लगाया है. अगर अर्थदंड जमा नहीं किया तो उन्हें दो महीने की अतिरिक्त साधारण कारावास भी सजा भुगतनी होगी.
गौर हो कि बीती 4 अक्टूबर 2018 को मुखबिर की सूचना पर वन विभाग की टीम ने पुलिस के सहयोग से तपोवन स्थित क्रिया योग आश्रम में छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान आश्रम में एक बड़ा लोहे का पिंजरा मिला. जिसमें दुर्लभ प्रजाति के दो बीजू और एक छोटे से तालाब में पांच कछुए वन विभाग की टीम ने बरामद किए थे. मामले में वन विभाग की टीम ने आश्रम के संचालक सर्वगुणानंद के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था.
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वहीं, पूरे मामले की जांच शुरू की गई और वन विभाग की टीम ने कई साक्ष्य जुटाए. इसके बाद सर्वगुणानंद गिरि को मुकदमा चलने के दौरान कोर्ट में पेश किया गया. अब मामले में टिहरी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार बर्मन ने दोनों पक्षों के गवाहों के बयान और सबूतों को देखने के बाद अपना फैसला सुनाया है.
पूरे मामले में मुख्य मजिस्ट्रेट विनोद कुमार बर्मन ने आश्रम संचालक सर्वगुणानंद गिरि को दोषी पाया है. साथ ही मामले में सर्वगुणानंद गिरि को 2 साल का कठोर कारावास और 10 हजार रुपए का जुर्माने से दंडित किया है. अर्थदंड नहीं भरने पर सर्वगुणानंद गिरि को 2 महीने का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी, लेकिन यह कारावास साधारण होगा.