देहरादून: चमोली में दर्दनाक हादसे के चलते 16 लोगों की मौत होने के बाद भी ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब अब तक नहीं मिल पाया है. ताज्जुब की बात यह है कि अब तक किसी भी विभाग ने अपनी गलती को सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी नहीं किया है. उधर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम देख रही निजी कंपनी और छोटे अधिकारियों पर ही पूरा ठीकरा फोड़ने की तैयारी कर ली गई है.
घटना की नहीं सुलझ पाई गुत्थी: नमामि गंगे के तहत चल रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर करंट फैलने से हुए हादसे की गुत्थी अब तक नहीं सुलझ पाई है. विद्युत सुरक्षा से जुड़ी टीम मौके पर स्थिति का जायजा ले चुकी है और तमाम बड़े अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचकर कारणों को जानने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए हैं. इस दौरान सीधे तौर पर दिखने वाली कुछ चीजों को लेकर तो लापरवाही किए जाने के रूप में मान लिया गया. लेकिन ऐसे बहुत सारे सवाल हैं, जिनका जवाब अब तक नहीं मिल पाया है.
ये हैं वो सवाल
- नमामि गंगे के तहत एसटीपी में तय किए गए मानकों का कितना पालन किया जा रहा था.
- पेयजल निगम द्वारा निजी कंपनी को दिए गए इस काम के दौरान दोनों के बीच अनुबंध की क्या शर्ते थी.
- सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में पहले दिन जिस ऑपरेटर की मृत्यु हुई उस की शैक्षिक योग्यता क्या अनुबंध के अनुसार थी, यदि नहीं तो प्लांट में ऑपरेटर के तौर पर तकनीकी व्यक्ति क्यों नियुक्त नहीं किया गया था.
- यूपीसीएल में जेई बड़े स्तर पर नियुक्ति होने के बावजूद प्रभारी जूनियर इंजीनियर के तौर पर क्यों तैनाती दी जा रही है.
- इतना बड़ा हादसा होने के दौरान ऑटोमेटिक ट्रिप डाउन यानी बिजली कट क्यों नहीं हुई.
- यहां दी गई अर्थिंग और ट्रांसफार्मर के प्रॉपर मेंटेनेंस में कहां चुक रह गई.
- जनरेटर होने के बावजूद बिजली का कनेक्शन उस पर दिए बिना सीधे क्यों जोड़ दिया गया.
- रखरखाव की जिम्मेदारी संभालने वाला जल निगम प्लांट की मॉनिटरिंग करने में किस स्तर पर फेल हुआ.
आखिर कौन घटना के लिए जिम्मेदार: बहरहाल यह सवाल है जिनका जवाब मिलना भी बाकी है, सबसे बड़ी बात यह है कि ट्रांसफार्मर से मीटर तक की लाइन के पूरी तरह से ठीक होने की बात कहकर फिलहाल उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड इस पूरे घटनाक्रम में खुद की भूमिका को किसी भी स्तर पर गलत नहीं मान रहा है. उधर पेयजल निगम इसमें निजी कंपनी को जिम्मेदारी देकर खुद की भूमिका को इससे अलग कर चुका है. लेकिन जल निगम पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि उसने निजी कंपनी के साथ किए गए अनुबंध के आधार पर प्लांट में मौजूद व्यवस्थाओं को कितना व्यवस्थित किया.
छोटे कर्मचारियों पर घटना की आंच : प्लांट में तकनीकी व्यक्ति की 24x7 तैनाती को क्यों जरूरी नहीं रखा गया. पहले भी हादसे होने के बाद निजी कंपनी ने क्यों एहतियात नहीं बरती और जल निगम इससे कैसे अनजान रह गया. कुल मिलाकर निजी कंपनी जल निगम और यूपीसीएल के छोटे कर्मचारियों की गिरफ्तारी करके पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि जांच की आंच छोटे कर्मचारियों तक की पहुंचने वाली है. जबकि क्षेत्रीय एई से लेकर और बड़े अफसरों के स्तर पर मॉनिटरिंग में रही कमी को कैसे जस्टिफाई किया जाएगा यह बड़ा ज्वलंत सवाल है.
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क्या कह रहे जिम्मेदार: चमोली में इस हादसे के बाद स्थितियों का जायजा लेने के लिए पहुंचे उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के निदेशक परिचालन एम एल प्रसाद से ईटीवी भारत ने बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कैमरे पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन हादसे पर बातचीत के दौरान निजी कंपनी के स्तर पर गलतियां होने की बात कही. हालांकि उन्होंने इस पूरे मामले में जल्द ही जांच रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट होने की बात भी दोहराई.
इस हादसे के बाद अब पूरे प्रदेश भर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट समेत दूसरे बड़े प्रोजेक्ट पर यूपीसीएल की तरफ से अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी हो गए हैं. अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि केवल ट्रांसफार्मर से मीटर तक ही विद्युत व्यवस्था की जिम्मेदारी से आगे बढ़कर प्लांट के भीतर सुरक्षा व्यवस्थाओं और विद्युत कनेक्शन और वायरिंग को लेकर भी परीक्षण किया जाए ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोका जा सके.