देहरादून: राज्य में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (Rashtriya Kishor Swasthya Karyakram) की रफ्तार तेज कर दी गई है. किशोर और किशोरियों को योजना का लाभ पहुंचाने के लिये शिक्षा विभाग के साथ समन्वय स्थापित करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये गये हैं, ताकि स्कूलों, कॉलेजों को इस योजना से जोड़ा जा सके. प्रदेश के 6 जिलों में संचालित राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक कुल 3 लाख 81 हजार सात सौ 66 किशोर एवं किशोरियों का पंजीकरण कर उनकी काउंसलिंग की गई है. वहीं इस वित्तीय वर्ष अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जनपदों को भी राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में शामिल कर दिया गया है. जिससे इस योजना का लाभ नौ जनपदों को मिल सकेगा.
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत (Health Minister Dhan Singh Rawat) ने राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम को बड़े स्तर पर संचालित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए. केन्द्र की इस योजना का लाभ किशोरों को पहुंचाने के लिये शिक्षा विभाग के साथ समन्वय स्थापित किया जायेगा, जिसके निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं. उन्होंने बताया कि इस योजना से सूबे के आंगनबाड़ी केन्द्र, स्कूलों एवं कॉलेजों को जोड़ा जायेगा. साथ ही 10 से 19 आयु वर्ग के किशोर एवं किशोरियों को पोषण, यौन प्रजनन, मानसिक स्वास्थ्य, चोट एवं हिंसा, नशावृत्ति एवं गैर संचारी रोगों की रोकथाम के लिये निःशुल्क परामर्श व उपचार दिया जायेगा.
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स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम राज्य के छह जनपदों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल एवं नैनीताल में संचालित किया जा रहा है. इस वित्तीय वर्ष अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जनपदों को भी राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में शामिल कर दिया गया है. जिससे इस योजना का लाभ नौ जनपदों को मिल सकेगा. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक कुल 3 लाख 81 हजार सात सौ 66 किशोर और किशोरियों का पंजीकरण कर उनकी काउंसलिंग की गई है.
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काउंसलिंग में 2,02,290 किशोरियां एवं 1,79,476 किशोर शामिल हैं. योजना के तहत पंजीकृत 1,11,967 किशोरियों एवं 89,532 किशोरों का उपचार किया गया. योजना के तहत पीयर एजुकेटर को प्रशिक्षण देने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये गये हैं, ताकि किशोरों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी उपलब्ध कर उनकी बेहतर काउंसलिंग के साथ-साथ उचित उपचार दिया जा सके. उन्होंने स्कूलों में टी-3 कैंप लगा कर काउंसलरों के माध्यम से किशोरों का रक्त परीक्षण करने निर्देश भी दिए, ताकि हीमोग्लोबिन की कमी सहित अन्य बीमारियों का समय पर पता लगाकर किशोरों को त्वरित उपचार उपलब्ध कराया जा सके. इसके साथ ही उन्होंने विभागीय अधिकारियों को बीईओ, सीडीपीओ स्कूल एवं आंगनबाड़ी पर्यवेक्षकों के माध्यम से सभी स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों में आगामी 18 जुलाई तक बच्चों को दी जाने वाली विभिन्न दवाएं (सिरप, गुलाबी गोली एवं नीली गोली) उपलब्ध करने के निर्देश दिये.