देहरादून: ऊर्जा निगमों में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कई मामले समय-समय पर चर्चाओं में रहे हैं. हालांकि, इतने गंभीर मामलों पर कभी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई और कई फाइलें तो लंबे समय से निगम के कार्यालयों की धूल फांक रही है लेकिन अब प्रबंध निदेशक दीपक रावत ने इन दबी हुई फाइलों को बाहर निकालने के आदेश दे दिए हैं.
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम का नाम कथित घोटालों में इतनी बार सुर्खियों में रहा है कि अब निगम के हर काम को ही संदेह की नजर से देखा जाने लगा है. इससे भी बड़ी बात यह है कि दर्जनों कथित घोटालों के लिए चर्चाओं में रहने वाले ऊर्जा निगम में कार्रवाई के नाम पर गिने चुने मामले ही सामने आ पाए हैं, हालांकि जो कार्रवाई इन मामलों में हुई है उसको लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं.
पढ़ें- 'पंज प्यारे' वाले बयान पर हरीश रावत का विरोध, AAP ने दिखाए कांडे झंडे
इस मामले में जांच को लेकर जो स्थिति रही है उसमें पूर्व ऊर्जा सचिव से लेकर प्रबंध निदेशक तक भी कटघरे में रहे हैं. बहरहाल, अब इस मामले में पिटकुल और यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक आईएएस अधिकारी दीपक रावत ने दबी हुई फाइलों को बाहर निकालने का फैसला कर लिया है. इसके लिए बकायदा दीपक रावत ने अधिकारियों की बैठक बुलाकर जांच में सालों से दबी हुई फाइलों को लेकर समीक्षा बैठक भी की है. यूपीसीएल और पिटकुल में ही 20 से ज्यादा फाइलें हैं.
पढ़ें- कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने पेयजल अधिकारियों को लगाई फटकार
जो कथित भ्रष्टाचार या वित्तीय अनियमितता से जुड़ी हैं और कई सालों से इन फाइलों की जांच अधर में लटकी हुई है. बड़ी बात यह है कि इन फाइलों को लेकर समय-समय पर शिकायतें भी होती रही है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया, चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी ऊर्जा निगम के कथित घोटालों को लेकर शिकायत की गई. लेकिन कभी किसी के कानों पर जूं नहीं रेंगी. जानिए कौन से वह मामले हैं जिनको लेकर ऊर्जा निगम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा.
क्रिएट बिजली विक्रय कथित घोटाला जिसमें 71 करोड़ का नुकसान होने की बात कही गई.
जिटको (Zitco company) कथित घोटाला जिसमें 32 करोड़ का नुकसान होने की बात कही गई.
सिंगल कोटेशन पर निगम में खरीददारी का मामला.
निगम में टेंडर घोटाला.
ट्रांसफार्मर घोटाला, इसमें 11 अभियंताओं के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया. लेकिन माना गया कि इसमें कुछ और लोगों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए थी.
इलेक्ट्रॉनिक मीटर का कथित घोटाला.
NH 74 बिजली लाइन शिफ्टिंग घोटाला.
घटिया इंसुलेटर उपकरण घोटाला.
भर्ती कथित घोटाला.
उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है, और प्रदेश में ऊर्जा क्षमताओं को देखते हुए इसे फायदे के निगम के रूप में भी बढ़ाया गया. लेकिन आज हालत यह है कि सबसे ज्यादा घाटे वाले निगमों में ऊर्जा निगम शामिल है. हाल ही में कैग की रिपोर्ट में भी सैकड़ों करोड़ रुपए के घाटे को दर्शाया गया है, माना गया है कि खराब नीतियां और करप्शन ऊर्जा निगम में घाटे की बड़ी वजह रहा है.