देहरादून: राजधानी में कोरोना की दूसरी लहर से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिससे स्वास्थ्य विभाग में हडकंप मचा हुआ है. वहीं,आईसीयू बेड पूरी तरफ फुल हो गए हैं. मरीजों की कोरोना जांच के लिए लंबी कतारें लग रही है. हालात यह हैं कि गंभीर मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच सरकार के सभी दावे एक बार फिर खोखले साबित हो रहे हैं. वहीं, देहरादून निवासी प्रवीण गांधी ने बताया कि वह कोरोना टेस्ट के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा में घंटों लाइन पर खड़े रहे. बावजूद उनका नंबर नहीं आ पाया. साथ ही उन्हें अगले दिन जांच कराने की बात कहकर लौटा दिया गया. उन्होंने मेडिकल कॉलेज के संबंधित अधिकारियों से जांच कराने की गुहार लगाई. लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई. प्रवीण गांधी ने कहा कि परिवार में एक व्यक्ति के संक्रमित होने के बाद वह और उनके भाई हरीश गांधी कोविड टेस्ट कराने दून अस्पताल में पहुंचे, लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते कोविड टेस्ट नहीं हो पाया है. ऐसे में यदि दोनों संक्रमित पाए जाते हैं तो अन्य लोगों में संक्रमण की संभावनाएं बढ़ जाएगी.
अस्पताल में टेस्टिंग की रफ्तार धीमी
करोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित हो रहा है. जिस वजह से टेस्टिंग मे देरी हो रही है. बताया जा रहा है की दून मेडिकल कॉलेज में लगभग 50 स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. यह वो स्टाफकर्मी है, जो टेस्टिंग से लेकर मरीजों की सेवा में लगे हुए थे. मैन पावर की कमी से जूझ रहे दून मेडिकल कॉलेज चिंता का विषय बना हुआ है. इससे अस्पताल प्रबंधन के सामने चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं.
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दून अस्पताल में बेडो की स्थिति चिंताजनक
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के जनसंपर्क अधिकारी महेंद्र भंडारी ने बताया कि अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए कुल 380 बेड आरक्षित हैं. इनमें से 330 बेडों में कोविड मरीजों का उपचार चल रहा है. जबकि चिकित्सालय में आईसीयू के 120 बेड उपलब्ध हैं, जो वर्तमान में फुल हैं.
वहीं, सीएमएस डॉक्टर मनोज उप्रेती ने बताया कि अस्पताल से प्रतिदिन 100 से अधिक मरीजों के सैंपल कोविड जांच के लिए भेजे जा रहे है. जांच रिपोर्ट आने के बाद 30 से अधिक मरीजों में कोरोना संक्रमण पाया जा रहा है. ऐसे में अस्पताल की ओर से जांच रिपोर्ट देते समय जब व्यक्ति को संक्रमित होने की जानकारी दी जा रही है, तो कुछ लोग अपने आपको आइसोलेट कर रहे हैं. जबकि यंग जनरेशन बिना बताए निकल जा रहे है. जिसके बाद उनकी दूरभाष के माध्यम से कांटेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है.