देहरादून: कोरोना संकट काल में जारी अनलॉक के बीच जहां एक तरफ अब लोगों की जिंदगी कुछ हद तक पटरी पर लौटने लगी है. वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश के हजारों लोक कलाकारों का भविष्य अंधकार में जाता नजर आ रहा है. क्योंकि कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच प्रदेश में फिलहाल किसी भी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन में पूर्ण प्रतिबंध है. जिसकी वजह से प्रदेश के लोक कलाकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराता जा रहा है.
प्रदेश के लोक कलाकारों का दर्द बयां करते हुए स्थानीय लोक कलाकार राजीव चौहान बताते हैं कि सरकार की तरफ से राहत के तौर पर लोक कलाकारों को महज 1 हजार रुपए की धनराशि देने का एलान किया गया है, जो महंगाई के इस दौर में किसी मजाक से कम नहीं लगता. वहीं, संस्कृति निदेशालय की ओर से भी अब जा कर स्थानीय लोक कलाकारों का बकाया मानदेय दिया जा रहा है. यह धनराशि भी इतनी कम है कि इससे भी परिवार का पोषण कर पाना भी मुश्किल है. राजीव बताते है कि कोरोना संकट में जिस तरह सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन पर पूर्ण प्रतिबंध है, उसे देखते हुए प्रदेश के हजारों स्थानीय लोक कलाकार अब यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि आखिर वह करें तो करें क्या?
प्रदेश के स्थानीय लोक कलाकारों की दयनीय स्थिति को लेकर ईटीवी भारत ने संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट से बात की. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के साथ ही संस्कृति निदेशालय भी लगातार प्रदेश के स्थानीय लोक कलाकारों के भविष्य को सुरक्षित करने पर विचार कर रहा है. यही कारण है कि निदेशालय की ओर से प्रदेश के 5 हजार से ज्यादा पंजीकृत स्थानीय कलाकारों का बकाया मानदेय दिया जा रहा है. साथ ही निदेशालय की ओर से स्थानीय कलाकारों के लिए कोरोना संकट काल में जल्द ही ऑनलाइन वर्कशॉप और ऑनलाइन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कराने पर विचार किया जा रहा है, जिससे कि कोविड-19 के बीच प्रदेश के स्थानीय कलाकारों की आर्थित स्थिति में कुछ सुधार हो सके.
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वृद्ध लोक कलाकारों को नहीं मिली पेंशन
वहीं, प्रदेश में कुछ लोक कलाकार ऐसे भी हैं, जिनकी कोरोना काल में आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है. वहीं, 100 से अधिक वृद्ध कलाकार पिछले 6 महीने से पेंशन के इंतजार में है. वृद्ध लोक कलाकारों को पिछले कई महीनों से राज्य सरकार द्वारा निर्धारित 3000 रुपए की पेंशन नहीं मिल पाई है.
वहीं, संस्कृति निदेशक बीना भट्ट का कहना है कि साल 2020-2021 में जारी बजट से वृद्ध कलाकारों को पेंशन दिए जाने की अनुमति नहीं दी गई है, जिसे लेकर संस्कृति विभाग की ओर से कई बार शासन को पत्र भी लिखा जा चुका है. ऐसे में सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही प्रदेश के वृद्ध कलाकारों को पेंशन मिल सकेगी, जिसके वह हकदार हैं.
बता दें, उत्तराखंड संस्कृति निदेशालय में 200 से ज्यादा लोक सांस्कृतिक दल पंजीकृत हैं, जिसमें एक दल में एक दल नायक समेत 20 सदस्य होते हैं. राज्य सरकार की ओर से जनवरी 2020 में स्थानीय लोक कलाकारों के मानदेय में कुछ वृद्धि की गई है. शासनादेश के अनुसार दल नायक को प्रति कार्यक्रम 1000 रुपए मानदेय और 500 रुपए यात्रा भत्ता दिया जाना है. वहीं, सांस्कृतिक दल में मौजूद अन्य कलाकारों को प्रति कार्यक्रम 800 रुपए मानदेय और 400 रुपए यात्रा भत्ता दिए जाने का जिक्र है.