देहरादून: सहकारिता विभाग द्वारा टिहरी के नैनबाग मौगी गांव में सामूहिक खेती के पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद अब इस माधो सिंह भंडारी सामूहिक सहकारी खेती योजना को राज्य के सभी 95 ब्लॉकों में उतारने का प्लान तैयार हो चुका है. जिसको लेकर उच्च स्तर से आदेश दे दिये गये हैं कि तय समय सीमा पर कार्य पूरा किया जाए. इस योजना में केवल बंजर भूमि के ही प्रस्ताव ब्लॉक से प्राप्त किये जा रहे हैं.
बंजर खेतों को आबाद करेगी सहकारी सामूहिक खेती: राज्य में लगातार वीरान हो रहे गांवों और बंजर हो चुके खेतों को एक बार फिर से आबाद करने के लिए उत्तराखंड सहकारिता विभाग द्वारा सहकारिता समितियों की मदद से शुरू की गई सामूहिक खेती योजना की अब अगले चरण की तैयारी है. आपको बता दें कि उत्तराखंड में कृषि सहकारी समितियों यानी पैक्स समितियों के जरिए सरकारिता विभाग ने प्लान तैयार किया है. उत्तराखंड के कृषि क्षेत्र में सामने आ रही चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सहकारिता विभाग ने रणनीति तैयार की है. इसका पहला पायलट प्रोजेक्ट टिहरी जिले के नैनबाग में मौजूद मौगी गांव में सफलतम प्रयोग किया गया है.
किसानों की आय दोगुनी करना है लक्ष्य: इस सामूहिक खेती योजना का मकसद संयुक्त सहकारी खेती का बड़े स्तर पर उत्पादन, संग्रहण के अलावा तैयार उत्पादों को किसानों के लिए लाभकारी मूल्य पर बाजार में उतारना है. ताकि छोटे गरीब किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके और उनके जीवन स्तर में बदलाव के साथ साथ किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य भी साकार हो पाये.
ऐसा है सामूहिक सहकारी खेती का स्वरूप: सहकारिता सचिव ने इस संबंध में बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के बाद पूरे राज्य में इस योजना के अंतर्गत तकरीबन 670 सहकारी समितियों को मजबूत करते हुए प्लान तैयार किया गया है. ग्रामीण आर्थिक विकास केन्द्र के तौर पर विकसित कर इस योजना से किसानों की छोटी-छोटी जोतों को जोड़कर सहकारी सामूहिक खेती की जाएगी. यानी साफ है कि इस योजना के तहत गांव में अलग अलग स्वामित्व रखने वाले छोटे -छोटे खेतों को जोड़ कर सरकारिता समिति उस पर एक क्लस्टर के रूप में खेती करेगी. सरकारिता विभाग की इस सामूहिक खेती में कृषि की आधुनिक तकनीकी और क्षेत्र विशेष तय करते हुए एक रणनीति के तहत कृषि उत्पादन किया जाएगा जो कि अपने आप में एक नायाब पहल है और इसके दूरगामी परिणाम होंगे.
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सफल रहा पहले पायलट प्रोजेक्ट का ट्रायल: सहकारिता सचिव आईएएस अधिकारी बीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि पहले पायलट प्रोजेक्ट में सफल ट्रायल के बाद अब पहले चरण में पूरे प्रदेश भर से सामूहिक सहकारी खेती के 68 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. वहीं अब इस योजना को युद्धस्तर पर आगे बढ़ाते हुए कोऑपरेटिव अधिकारी ब्लॉक और न्याय पंचायत स्तर पर काम शुरू कर रहे हैं. इस सामूहिक खेती में जन सुविधा केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका है. लिहाजा सुविधा केंद्र खुलावाने के भी लगातार प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं. वहीं अब तक 37 प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं और 58 आने और बाकी हैं. शासन स्तर से कहा गया है कि जिला सहायक निबंधक खुद ब्लॉकों में जाकर इन जन सुविधा केंद्रों को खुलवाएं. वहीं अब तक 27 जगह यह सुविधा उपलब्ध है तो ऑनलाइन खातों को भी खुलवाया जा रहा है.