देहरादून: देश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हर बीतते दिन के साथ प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला भी जारी है. देश के कोने-कोने से प्रवासी वापस अपने घरों की ओर लौट रहे हैं, जिसमें उन्हें बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. मगर घर वापसी की खुशी ने इनकी तमाम परेशानियों और चिंताओं को मानों छू कर दिया है. ऐसा ही कुछ राजधानी देहरादून में भी देखने को मिला. बिहार लौट रहे कुछ प्रवासी मजदूरों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इन मजदूरों का कहना है कि 'अब हमें घर जाना है, जिसके कारण भूख-प्यास और चटक धूप भी अब हमें परेशान नहीं करती'.
मजदूरों की इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि घर वापसी इन मजदूरों के लिए कितनी अहमियत रखती है. देहरादून के बन्नूपुर में दीपनगर के बालिका इंटर कॉलेज और रायपुर स्टेडियम में कई दिनों से बिहार के मजदूरों का जमावड़ा लगा हुआ है. ये सभी अपने परिवार के साथ घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे ही कुछ लोगों से ईटीवी भारत ने बात की. हमने मजदूरों के मन को टटोलते हुए ये जानना चाहा कि घर वापसी के बाद और हालात सामान्य होने पर क्या वो वापस अपने पुराने ठिकाने पर आएंगे?
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सवाल के जबाव में इन मजदूरों ने जो भी कहा वो वाकई मन को झकझोर देने वाला था. ईटीवी भारत से लॉकडाउन और कोरोना काल के दौर की मुसीबतों को साझा करते हुए मजदूरों ने नम आंखों से अपने दर्द की दास्तां बयां की. इन्होंने बताया कि पिछले कई महीनों से ये घर वापसी की राह देख रहे हैं. उन्होंने बताया लॉकडाउन के दौरान उन्होंने बहुत सी परेशानियां झेली हैं. अब आने वाली सारी परेशानियां छोटी हैं.
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हमारी टीम ने हर वर्ग से मजदूरों से उनकी परेशानियों और हालातों के बारे में बात की. सभी का कहना था अब घर वापसी होने जा रही है, जिसके सामने अब कोई कठिनाई नहीं आ सकती. इन मजदूरों का कहना था कि पिछले कई महीनों से वे रोजी-रोटी के लिए परिवार से दूर थे मगर अब अपनों की चिंता और घर वापसी ने उनके संशय को खत्म कर दिया है. नतीजा अब ये प्रवासी मजदूर घर वापसी कर रहे हैं जिसकी खुशी इनके चेहरों पर साफ तौर से देखी जा सकती है.
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आज दोपहर को एक विशेष ट्रेन देहरादून से बिहार के लिए रवाना हुई. जिससे इन बेबस और मजबूर प्रवासी मजूदरों की वापसी हुई. जिसके लिए दीपनगर बालिका इंटर कॉलेज में बिहार के अररिया, बक्सर और अलग-अलग जनपदों के लोग सुबह सात बजे से ही अपनी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
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प्रशासन की ओर से घर वापसी के लिए पहले इन मजदूरों को एक यूनिक कोड दिया गया. जिसके बाद बारी-बारी से इनकी जानकारी और सभी प्रकार की डिटेल्स नोट की गई. इसके बाद सरकारी दिशा निर्देशों के साथ इनकी थर्मल स्क्रीनिंग करवाई गई, जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ इनके गांव कस्बे के हिसाब से इन्हें रेलवे स्टेशन पर भिजवाया गया, जहां से विशेष ट्रेन के जरिए इन मजदूरों की घर वापसी हुई.