देहरादून: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह कल उत्तराखंड में कोऑपरेटिव सोसायटी के कंप्यूटराइजेशन को लेकर योजना का शुभारंभ करने जा रहे हैं. योजना के तहत राज्य में सभी पैक्स सोसाइटीज को कंप्यूटराइज किया गया है. लेकिन, अमित शाह का यह दौरा उस समय विवादों में आ गया, जब पिछले साल अगस्त में भेजे गए उनके एक पत्र पर कांग्रेस ने विवाद खड़ा कर दिया.
उत्तराखंड की नहीं बल्कि देशभर में कोऑपरेटिव सोसाइटीज को कंप्यूटराइज किया जा रहा है. इसके तहत उत्तराखंड में भी तमाम पैक्स समितियों को कंप्यूटराइज करने का काम किया गया है. राज्य में सभी 670 सोसायटी कंप्यूटराइज की गई हैं. प्रदेश में हुये इस महत्वपूर्ण कार्य के बाद अब अमित शाह योजना के शुभारंभ के लिए पहुंच रहे हैं. जाहिर है बहुउद्देशीय प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियों के ऑनलाइन से जुड़े इस कार्यक्रम में अमित शाह की मौजूदगी की खबरों के साथ ही उनका वह पत्र वायरल होने लगा है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कम्प्यूटर्स खरीद में 5.30 लाख की तुलना में केंद्र द्वारा 1.20 लाख के कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने की बात कही थी.
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अमित शाह की तरफ से मुख्यमंत्री को जब यह पत्र लिखा गया था उस समय तक 108 समितियों को कंप्यूटरीकृत किया जा चुका था. जबकि, 500 से ज्यादा समितियों को कंप्यूटरीकृत किया जाना था. ऐसे में सवाल उठने लगा कि अमित शाह के उस पत्र के बाद बाकी समितियों में कंप्यूटराइजेशन के लिए किस कीमत पर खरीद की गई. इसको लेकर जब ईटीवी भारत ने सहकारिता विभाग के सचिव डॉक्टर बीवीआरसी पुरुषोत्तम से बात की तो उन्होंने कहा अमित शाह के उक्त पत्र को गलत तरीके से लिया गया था. सहकारिता विभाग की तरफ से कंप्यूटर खरीद को लेकर नियमों का पालन किया गया है.
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खास बात यह है कि अमित शाह के दौरे से पहले जिस तरह यह पत्र वायरल हुआ उसके बाद कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा खुद केंद्रीय सहकारिता मंत्री कंप्यूटर खरीद में गड़बड़ी की बात कह रहे थे. ऐसे में वह भी केंद्रीय सहकारिता मंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी लेंगे. साथ ही वह मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि फौरन इस मामले की जांच की जाए.
इस मामले को लेकर खास बात यह भी रही कि कांग्रेस के आरोपों के जवाब में भाजपा का कोई भी नेता सामने नहीं आया. दरअसल, मामला अमित शाह से जुड़ा है तो ऐसे में भाजपा नेताओं के सामने भी बड़ा संकट है कि वह गड़बड़ी से जुड़े इस मामले में कैसे सामने आए.