देहरादून: राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव को लेकर नया विवाद पैदा हो रहा है. अब संघ की कार्यकारिणी भंग होने को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं. प्रांतीय अध्यक्ष ने प्रांतीय कार्यकारिणी भंग करने के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक से संयोजक मंडल गठित करने की मांग की है. वहीं, प्रांतीय महामंत्री ने उनके इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अकेले अध्यक्ष कार्यकारिणी भंग नहीं कर सकते, इससे संघ की मान्यता पर संकट पैदा हो गया है.
उत्तराखंड राजकीय शिक्षक संघ में एक समय पर चुनाव ना होने से संघ में फिर दरार पड़ती दिख रही है. वहीं, संघ के प्रांतीय महामंत्री डॉक्टर सोहन मांजरा ने कहा संघ के चुनाव कोविड के चलते इस बार नहीं हो पाए. जबकि संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी मनमानी करते हुए कार्यकारणी को भंग कर दिया है. अध्यक्ष को पहले सभी सदस्यों से पूछना चाहिए था, लेकिन उन्होंने किसी भी सदस्य को नहीं पूछा.
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उन्होंने कहा कि 2021 सितंबर में संघ के चुनाव होने थे, लेकिन अब तक चुनाव नहीं हुए है. अध्यक्ष ने डारेक्टर को कार्यकारणी भंग करने का पत्र दिया है, जो संविधान के खिलाफ है. यदि विभाग उनके पत्र को मानता है तो राजकीय शिक्षक संघ पर सवालिया निशान लगते है. ऐसे में हमने अपना पक्ष निदेशक के पास रखा है.
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री ने कहा संविधान के अनुसार अध्यक्ष अकेले कार्यकारिणी भंग करने का फैसला नहीं ले सकते है. इसके लिए कार्यकारिणी की सहमति जरूरी है. ब्लॉक जिले और मंडल की कार्यकारिणी गठित हुए बिना सीधा प्रांत की कार्यकारिणी का चुनाव करवाना भी गलत है. संविधान अनुसार संघ के नियमित सदस्य जो हर साल सदस्यता लेंगे, वही वोट दे सकते हैं. शिक्षकों से सदस्यता के नाम पर वसूली के करीब 16 लाखों रुपए का हिसाब भी नहीं किया गया है.