ETV Bharat / state

कोरोना की मारः 70 फीसदी श्रमिक लौटे अपने घर, विकास कार्य हो रहा प्रभावित - उत्तराखंड अपडेट समाचार

लॉकडाउन की वजह से मजदूर अपने घर लौटने का मजबूर हैं. वहीं, पिछले एक महीने से भी अधिक का समय बीतने की वजह से 70 फीसदी मजदूर अपने घर लौट चुके हैं. ऐसे में श्रमिकों का घर जाना राज्य के विकास में बाधा बन सकता है.

dehradun
70 फीसदी श्रमिक लौटे अपने घर
author img

By

Published : May 3, 2020, 4:55 PM IST

Updated : May 4, 2020, 1:26 PM IST

देहरादून: किसी भी राज्य या क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में श्रमिकों की एक अहम भूमिका होती है. क्योंकि ये श्रमिक दिन रात मेहनत कर विकास कार्यों को अंजाम तक पहुंचाते हैं. यही नहीं इन श्रमिकों की ना सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में अहम भूमिका है, बल्कि छोटी से बड़ी इंडस्ट्री से लेकर तमाम कामों में श्रमिक अपनी एक अहम भूमिका अदा करते हैं.

70 फीसदी श्रमिक लौटे अपने घर

वहीं, इन दिनों वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर लागू लॉकडाउन के चलते श्रमिक अपने घर को लगातार रवाना हो रहे हैं. जिसका सीधा असर अब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ ही उद्योगों पर पड़ता दिखाई दे रहा है. आखिर क्या है श्रमिकों की मौजूदा स्थिति? देखिए ईटीवी भारत की इस स्पेशल रिपोर्ट में...

उत्तराखंड राज्य में संगठित और असंगठित क्षेत्रों में करीब 6 लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं. जिसमें से अकेले असंगठित क्षेत्रों में करीब 4 लाख श्रमिक कार्यरत हैं. हालांकि, यह सभी श्रमिक ज्यादातर उत्तरप्रदेश और बिहार से ताल्लुक रखते हैं, जो उत्तराखंड की विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.

करीब 70 फीसदी श्रमिक घर को हो चुके हैं रवाना

लॉकडाउन के दौरान अपने परिवारों की चिंता और काम ना मिलने के चलते पहले ही हजारों की संख्या में श्रमिक अपने घर को रवाना हो चुके हैं. वहीं अब भी लगातार मजदूरों के घर वापसी का सिलसिला जारी है. मिली जानकारी के अनुसार करीब 70 फीसदी मजदूर अपने घर को रवाना हो गए हैं.

विकास के कार्य हो रहे हैं प्रभावित

उत्तराखंड राज्य में इन दिनों कई बड़ी योजनाएं पाइप लाइन में हैं. हालांकि, लॉकडाउन की वजह से इन योजनाओं का कार्य नहीं हो पा रहा था, लेकिन अब केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद विकास के तमाम कामों को करने की अनुमति मिल गई है. जिसमें मुख्य रूप से एनएच, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के साथ ही हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ से जुड़े काम चल रहे हैं. वहीं ये काम भी कम मजदूरों के चलते कछुए की गति से हो रहे हैं.

ये भी पढ़े: नैनीतालः घर जाने को बेताब 2 हजार बिहारी और नेपाली प्रवासी मजदूर, लगी लंबी लाइन

उद्योगों पर भी पड़ रहा बड़ा असर

केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद उद्योगों को खोलने का निर्णय सरकार ले चुकी है, लेकिन एक बड़ी समस्या उद्योग के सामने यह है कि अब श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं. क्योंकि करीब 70 फ़ीसदी श्रमिक अपने घर को रवाना हो गए हैं. ऐसे में उद्योगों का काम भी सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है. यही नहीं करीब 30 फीसदी श्रमिक ही उत्तराखंड में मौजूद हैं, जो अपने घर को रवाना नहीं हुए और जो उत्तराखंड से ही हैं. इन 30 फ़ीसदी मजदूरों में से तमाम मजदूर ना सिर्फ उद्योगों में काम कर रहे हैं बल्कि प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्यों में लगे हुए हैं.

श्रमिकों को रोकने की कोशिश की जा रही है: मदन कौशिक

वहीं, शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि उद्योग जगत के लोगों से बातचीत की गई है कि वह श्रमिकों से बात करें. ताकि, ये श्रमिक यहीं रुक जाए और अगर नहीं रुक रहे हैं तो सैलरी समेत तमाम चीजों की बातकर उनको रोकने की कोशिश करें. इसके साथ ही बताया कि उद्योग जगत के लोगों से जानकारी मिली है कि उनके यहां जो लेबर काम कर रहे थे. वह उनसे लगातार संपर्क कर रहे हैं. हालांकि, अभी उद्योगों में 30 से 35 फ़ीसदी मजदूरों से ही काम चलाना पड़ रहा है. इसी तरह कंस्ट्रक्शन के काम में भी तेजी से लाने में थोड़ा समय लगेगा.

हर हाल में अपने घर वापिस जाना चाहते है श्रमिक

मदन कौशिक ने बताया कि इंडस्ट्रियल और कंस्ट्रक्शन के कामों के लिए एक बड़ी चुनौती है. हालांकि जिन लेबरों से बात हुई है उनका कहना है कि वह एक बार अपने घर जाना चाहते हैं. साथ ही बताया कि जिस तरह उत्तराखंड मूल का कोई भी व्यक्ति अन्य राज्य फंसा हुआ है. वह किसी भी हाल में अपने राज्य वापस आना चाहता है. उसी तरह यह श्रमिक भी अपने राज्य में वापस जाना चाहते हैं.

देहरादून: किसी भी राज्य या क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में श्रमिकों की एक अहम भूमिका होती है. क्योंकि ये श्रमिक दिन रात मेहनत कर विकास कार्यों को अंजाम तक पहुंचाते हैं. यही नहीं इन श्रमिकों की ना सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में अहम भूमिका है, बल्कि छोटी से बड़ी इंडस्ट्री से लेकर तमाम कामों में श्रमिक अपनी एक अहम भूमिका अदा करते हैं.

70 फीसदी श्रमिक लौटे अपने घर

वहीं, इन दिनों वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर लागू लॉकडाउन के चलते श्रमिक अपने घर को लगातार रवाना हो रहे हैं. जिसका सीधा असर अब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ ही उद्योगों पर पड़ता दिखाई दे रहा है. आखिर क्या है श्रमिकों की मौजूदा स्थिति? देखिए ईटीवी भारत की इस स्पेशल रिपोर्ट में...

उत्तराखंड राज्य में संगठित और असंगठित क्षेत्रों में करीब 6 लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं. जिसमें से अकेले असंगठित क्षेत्रों में करीब 4 लाख श्रमिक कार्यरत हैं. हालांकि, यह सभी श्रमिक ज्यादातर उत्तरप्रदेश और बिहार से ताल्लुक रखते हैं, जो उत्तराखंड की विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.

करीब 70 फीसदी श्रमिक घर को हो चुके हैं रवाना

लॉकडाउन के दौरान अपने परिवारों की चिंता और काम ना मिलने के चलते पहले ही हजारों की संख्या में श्रमिक अपने घर को रवाना हो चुके हैं. वहीं अब भी लगातार मजदूरों के घर वापसी का सिलसिला जारी है. मिली जानकारी के अनुसार करीब 70 फीसदी मजदूर अपने घर को रवाना हो गए हैं.

विकास के कार्य हो रहे हैं प्रभावित

उत्तराखंड राज्य में इन दिनों कई बड़ी योजनाएं पाइप लाइन में हैं. हालांकि, लॉकडाउन की वजह से इन योजनाओं का कार्य नहीं हो पा रहा था, लेकिन अब केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद विकास के तमाम कामों को करने की अनुमति मिल गई है. जिसमें मुख्य रूप से एनएच, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के साथ ही हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ से जुड़े काम चल रहे हैं. वहीं ये काम भी कम मजदूरों के चलते कछुए की गति से हो रहे हैं.

ये भी पढ़े: नैनीतालः घर जाने को बेताब 2 हजार बिहारी और नेपाली प्रवासी मजदूर, लगी लंबी लाइन

उद्योगों पर भी पड़ रहा बड़ा असर

केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद उद्योगों को खोलने का निर्णय सरकार ले चुकी है, लेकिन एक बड़ी समस्या उद्योग के सामने यह है कि अब श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं. क्योंकि करीब 70 फ़ीसदी श्रमिक अपने घर को रवाना हो गए हैं. ऐसे में उद्योगों का काम भी सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है. यही नहीं करीब 30 फीसदी श्रमिक ही उत्तराखंड में मौजूद हैं, जो अपने घर को रवाना नहीं हुए और जो उत्तराखंड से ही हैं. इन 30 फ़ीसदी मजदूरों में से तमाम मजदूर ना सिर्फ उद्योगों में काम कर रहे हैं बल्कि प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्यों में लगे हुए हैं.

श्रमिकों को रोकने की कोशिश की जा रही है: मदन कौशिक

वहीं, शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि उद्योग जगत के लोगों से बातचीत की गई है कि वह श्रमिकों से बात करें. ताकि, ये श्रमिक यहीं रुक जाए और अगर नहीं रुक रहे हैं तो सैलरी समेत तमाम चीजों की बातकर उनको रोकने की कोशिश करें. इसके साथ ही बताया कि उद्योग जगत के लोगों से जानकारी मिली है कि उनके यहां जो लेबर काम कर रहे थे. वह उनसे लगातार संपर्क कर रहे हैं. हालांकि, अभी उद्योगों में 30 से 35 फ़ीसदी मजदूरों से ही काम चलाना पड़ रहा है. इसी तरह कंस्ट्रक्शन के काम में भी तेजी से लाने में थोड़ा समय लगेगा.

हर हाल में अपने घर वापिस जाना चाहते है श्रमिक

मदन कौशिक ने बताया कि इंडस्ट्रियल और कंस्ट्रक्शन के कामों के लिए एक बड़ी चुनौती है. हालांकि जिन लेबरों से बात हुई है उनका कहना है कि वह एक बार अपने घर जाना चाहते हैं. साथ ही बताया कि जिस तरह उत्तराखंड मूल का कोई भी व्यक्ति अन्य राज्य फंसा हुआ है. वह किसी भी हाल में अपने राज्य वापस आना चाहता है. उसी तरह यह श्रमिक भी अपने राज्य में वापस जाना चाहते हैं.

Last Updated : May 4, 2020, 1:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.