देहरादूनः उत्तराखंड में मदरसों के सर्वे का मुद्दा सुर्खियों में है. खुद सीएम पुष्कर धामी कह चुके हैं कि उत्तराखंड में मदरसों का सर्वे होना जरूरी है. बीजेपी ने मदरसों का सर्वे कराए जाने की सरकार की योजनाओं को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर पहल बताया है तो वहीं, कांग्रेस का कहना है कि सर्वे सिर्फ मदरसों का ही नहीं, बल्कि उन सभी स्थानों के भी होने चाहिए. जिनमें आस्था के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा (Congress State President Karan Mahara) भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के तहत अपने सात दिवसीय दौरे के बाद आज देहरादून पहुंचे. जहां उन्होंने उत्तराखंड में मदरसों के सर्वे को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यदि सरकार चाहती है कि मदरसों के सर्वे होने चाहिए तो इसमें कोई हर्ज नहीं है, लेकिन सर्वे सिर्फ मदरसों के ही नहीं होने चाहिए, बल्कि उन सभी स्थानों के भी सर्वे होने चाहिए. जिनमें आस्था के कार्यक्रम होते हैं.
उन्होंने कहा कि हमारे यहां ये परंपराएं रही हैं कि ऋषि मुनियों के भीतर जब आध्यात्म जागता था, तब वो हिमालय और जंगलों में जाकर तप किया करते थे. ऐसे में उन स्थानों पर उनके अनुयायियों ने मठ और मंदिर बनवा दिए हैं, लेकिन आज भी वो जमीनें मंदिरों के नाम नहीं हुई है. उन्होंने मांग उठाते हुए कहा कि उन सबके भी सर्वे होने चाहिए. उन संस्थाओं मंदिर और मठों के नाम उन जमीनों को मुख्यमंत्री को रेगुलराइज कर देना चाहिए.
बता दें कि बीती रोज यानी 12 सितंबर को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स (Uttarakhand Waqf Board Chairman Shadab Shams) ने सूबे के 103 मदरसों का सर्वे कराने की बात कही थी. शादाब का कहना था कि पूरे प्रदेश में 500 से ज्यादा मदरसे संचालित किए जा रहे हैं. जिसमें से 103 मदरसे वक्फ बोर्ड के अधीन आते हैं. इनमें राज्य सरकार मुस्लिम छात्रों के शिक्षा, खाना और अन्य सुविधाओं के लिए पैसा देती है. ऐसे में राज्य सरकार का यह पूरा अधिकार है कि वो इन मदरसों का समय-समय पर निरीक्षण करें.
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इसी के तहत वक्फ बोर्ड उत्तराखंड में मौजूद सभी अपने 103 मदरसों का सर्वे करेगा (Survey of Madrasas in Uttarakhand) और उनमें दी जाने वाली राज्य सरकार की तमाम सुविधाओं का किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है, इसे सुनिश्चित करेंगे. उन्होंने बताया कि प्रदेश में वक्फ बोर्ड के अलावा 419 मदरसे, मदरसा बोर्ड के तहत संचालित किए जाते हैं, लेकिन ये वक्फ बोर्ड के तहत नहीं आते हैं.
लिहाजा, यह सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर (Uttarakhand Madarsa Board) हैं, लेकिन फिर भी क्योंकि ये मदरसे उत्तराखंड में हैं और वक्फ बोर्ड के मदरसों में तमाम तरह के सुधारों के बाद इन मदरसों में भी इसका साफतौर पर असर देखने को मिलेगा. इसके अलावा प्रदेश में कुछ निजी तौर पर भी मदद से मदरसे संचालित किए जाते हैं, उन पर भी राज्य सरकार की निगरानी बनी हुई है.
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CM धामी ने शादाब शम्स के बयान पर लगाई मुहरः उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स के मदरसों को लेकर दिए बयान पर सीएम पुष्कर सिंह धामी की प्रतिक्रिया सामने आई है. सीएम धामी ने भी मदरसों के सर्वे पर मुहर लगा दी है. सीएम धामी का कहना है कि मदरसों को लेकर समय समय पर तमाम तरीके की बातें सामने आती रहती हैं. ऐसे में जांच होना जरूरी है, ताकि सच सामने आ सके. गौलतलब है कि उत्तर प्रदेश में भी तेजी से मदरसों की जांच (Investigation of madrasas) के साथ अवैध मदरसों को ध्वस्त किया जा रहा है.
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AAP ने शादाब शम्स का पुतला दहन किया, DGP को सौंपा ज्ञापनः पिरान कलियर पर विवादित बयान देने के बाद वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गए हैं. आज आम आदमी पार्टी के अल्पसंख्यक विंग ने शादाब शम्स की ओर से पिरान कलियर पर विवादित बयान को लेकर उनका पुतला दहन किया. आप अल्पसंख्यक विंग के जिला अध्यक्ष कासिम चौधरी के नेतृत्व में आप कार्यकर्ता आराघर चौक पर एकत्रित हुए और जोरदार नारेबाजी के बीच प्रदर्शन करते हुए शादाब शम्स का पुतला दहन (AAP burned Shadab Shams effigy) किया.
आप के गढ़वाल मीडिया प्रभारी रविंद्र आनंद का कहना है कि वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने पवित्र धार्मिक स्थल पिरान कलियर के बारे में पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना और अनर्गल बयान (Shadab Shams statement on Piran Kaliyar) दिया है. पिरान कलियर की महत्ता पर चोट करने का अपराध किया है. इसके बाद आप के प्रदेश के पदाधिकारी गणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार (Uttarakhand DGP Ashok Kumar) से भी मुलाकात की, और उन्हें ज्ञापन सौंपा. जिसमें ये मांग की गई कि शादाब शम्स ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है. ऐसे में उनके खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए.