देहरादून: प्रदेश में अब लगभग सभी तरह की गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं. सरकारी कार्यालयों में काफी हद तक काम शुरू हो चुका है. स्कूल और कॉलेजों को खोलने को लेकर भी सरकार ने तेजी दिखाई है. बावजूद इसके मीडिया की सचिवालय में जाने की मनाही है. जिस पर विपक्ष दल ने सवाल खड़े किए हैं.
सचिवालय में लगे मीडिया के प्रतिबंध पर कांग्रेस का कहना है कि जब प्रदेश में तमाम गतिविधियां हो रही है तो सचिवालय में मीडिया को लेकर प्रतिबंध क्यों है? कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि सरकार मीडिया की रिपोर्टिंग से डरी हुई है. सरकार किसी भी तरह से मीडिया को सचिवालय के अंदर नहीं आने देना चाहती है.
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कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार केवल मीडिया को अपना भोंपू बना कर रखना चाहती है. सूचना विभाग जो सूचना उपलब्ध कराएं केवल वही मीडिया में जाती है. बीजेपी मीडिया के उस्तादों की इन्वेस्टिगेटिंग रिपोर्टिंग से डरती है. इसी वजह से पत्रकारों से लिए सचिवालय के दरवाजे सरकार ने बंद किए हुए है.
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यदि सरकार ने सचिवालय में मीडिया की एंट्री नहीं दी तो वे जल्द ही सचिवालय गेट के सामने मीडिया पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए उपवास करेंगे. सरकारी अच्छी तरह से जानती है कि अगर मीडिया सचिवालय में गई तो वह छानबीन करेगी, पूछताछ करेगी. जिससे बीजेपी की भ्रष्ट सरकार एक्सपोज हो जाएगी.
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार के सचिवालय में बाहरी लोगों की एंट्री बंद कर दी थी. जिसमें पत्रकार भी शामिल थे. हालांकि, अब प्रदेश में सभी गतिविधियां लगभग पहले की तरह शुरू हो चुकी है. लेकिन सचिवालय में पत्रकारों की एंट्री पर अभी भी बैन लगा हुआ है. जिसका कांग्रेस ने भी विरोध किया है.