देहरादून: नगर निगम द्वारा कोरोना काल में शहर को सैनिटाइज करने के लिए खरीदे सोडियम हाइपोक्लोराइड को लेकर हुए घोटाले को लेकर नगर निगम में सियासत शुरू हो गई है. एक तरफ निगम कर्मचारियों ने घोटाले की खबर छपे अखबार के खिलाफ प्रदर्शन किया, तो वही कांग्रेसी पार्षदों ने निगम पर घोटाले को लेकर जमकर प्रदर्शन किया. वहीं, आप पार्टी ने भी इस खरीद को लेकर सवाल खड़े किये हैं.
कांग्रेसी पार्षदों ने मेयर और नगर आयुक्त को ज्ञापन भी सौंपा. साथ ही खरीदे गए सोडियम हाइपोक्लोराइड की जांच के लिए मांग की है. मेयर सुनील उनियाल गामा और नगर आयुक्त ने मामले की गंभीरता को देखते हुए निगम के सीनियर पार्षद को एक कमेटी बनाकर जांच करने के लिए कह दिया है.
कांग्रेसी पार्षदों का कहना है कि नगर निगम द्वारा कोरोना काल में पूरे शहर में सोडियम हाइपोक्लोराइड का छिड़काव कराया था लेकिन आनन फानन में नगर निगम ने सोडियम हाइपोक्लोराइड को पांच गुना रेट में खरीदा जो साफ तौर पर दर्शाता है की इसमें कहीं न कहीं घोटाला हुआ है. जो लगभग ₹60 लाख का है. साथ ही उन्होंने बताया कि जिसको काम दिया गया है, उसका जीएसटी नम्बर भी नहीं है.
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इस पर नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने सफाई देते हुए कहा की कांग्रेस के पार्षद द्वारा आरोप लगाए गए है, वो निराधार है क्योंकि कोरोना काल में सभी दुकाने बंद थीं और कही पर भी कुछ सामान नहीं मिल रहा था, जिसके कारण उस समय सामान महंगा खरीदा गया था. निगम ने बड़ी ही पारदर्शिता से कार्य किया है. फिर भी यदि इनको ऐसा लगता है तो इसके लिए पार्षद बिजेंद्र पाल के नेतृत्व में ही एक कमेटी गठित की गयी है, वो खुद ही इसकी जांच कर दूध का दूध और पानी का पानी करेंगे.
आप पार्टी ने भी खड़े किये सवाल
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट ने मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि एक आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर नगर निगम द्वारा कोविड के दौरान बाजार भाव से कई गुना ज्यादा भाव पर सोडियम हाइपोक्लोराइट को खरीदा गया. उन्होंने कहा कि नगर निगम प्रबंधन ने ₹12 प्रति लीटर के लगभग मिलने वाले इस केमिकल को 60 रुपए की दर पर खरीदा, इसमें सीधे तौर पर प्रबंधन की लापरवाही और मिलीभगत दिखाई दे रही है. उन्होंने नगर निगम प्रबंधन द्वारा खरीदे गए इस केमिकल के महंगी दर पर खरीदे जाने की जांच की मांग उठाई है.
वहीं, इस मामले में नगर आयुक्त ने बताया कि सोडियम हाइपोक्लोराइड विशेष परिस्थिति और आपदा काल को देखते हुए जो रेट मिला उन्होंने ले लिया, सिर्फ देहरादून निगम ही नहीं बल्कि अन्य विभागों के इसी रेट से खरीद की है.