देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान सदन में उस समय सन्नाटा पसर गया, जब कांग्रेस की विधायक कानून व्यवस्था पर अपनी बात रखते हुए महिलाओं पर पुलिस के उत्पीड़न की बात कह कर रोने लगीं. मामला रुड़की विधानसभा क्षेत्र के बेलड़ा प्रकरण से जुड़ा था, जिसपर कांग्रेस विधायक ममता राकेश सदन में बोल रही थीं. इस दौरान पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल खड़े किए गए.
सदन में छाया रहा बेलड़ा प्रकरण: उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान कानून व्यवस्था को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने नियम 310 के तहत चर्चा करने की मांग की. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 58 के तहत सदन में इस पर विपक्ष को बोलने की अनुमति दी. इसके बाद सदन में बसपा के विधायक मोहम्मद शहजाद ने बेलड़ा प्रकरण को उठाते हुए इस मामले में पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए और आम लोगों पर पुलिस द्वारा उत्पीड़न की बात कही. उधर कांग्रेस के दूसरे विधायकों ने भी विभिन्न कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों को लेकर सदन में अपनी बात रखी.
अंकिता हत्याकांड में सीबीआई जांच की मांग: रुड़की के बेलड़ा प्रकरण पर भगवानपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने भी बोलना शुरू किया. उन्होंने इस प्रकरण के दौरान अपने अनुभवों को सदन में रखा. इस दौरान ममता राकेश के बेलड़ा मामले को लेकर यहां की महिलाओं के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए आंसू छलक पड़े. ममता राकेश ने कहा कि महिलाओं के साथ पुलिस की तरफ से मारपीट की गई थी. जब वह इन महिलाओं के पास पहुंचीं तो इन महिलाओं ने अपनी चोटों को दिखाकर उन्हें अपनी आपबीती बताई. उधर उसके बाद कानून व्यवस्था के दूसरे कई मामले भी उठे. अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले पर भी विपक्षी दल के विधायकों ने सरकार से सीबीआई जांच की मांग की. इस पर जमकर बवाल करते हुए सदन से वॉक आउट भी किया.
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क्या था रुड़की का बेलड़ा प्रकरण: रुड़की के बेलड़ा गांव में 11 जून को पंकज नाम के युवक की मौत हो गई थी. मामले में परिजनों की तरफ से हत्या की आशंका जताई गई और हत्या के तहत ही मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई. लेकिन पुलिस ने इस मामले को सड़क दुर्घटना बताया और इसी पर अड़ी रही. उसके बाद 12 जून को इसी मांग को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश पनपा और लोगों द्वारा पुलिस पर पथराव कर दिया गया. इस घटना के बाद ही मामला बिगड़ गया और पुलिस ने पथराव और मारपीट करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी. प्रकरण में मुख्य आरोपी प्रमोद नाम के युवक को बनाया गया और उसकी गिरफ्तारी कर ली गई. इसके बाद गिरफ्तार किए गए प्रमोद की तबीयत खराब हो गई और उसे एम्स में भर्ती कराया गया, जहां 23 जुलाई को उसकी मौत हो गई. प्रमोद की मौत की वजह लीवर की बीमारी को बताया गया, लेकिन उसके परिजनों ने पुलिस की पिटाई के कारण उसकी मौत होने का आरोप लगाया.
मामला बिगड़ने के बाद इस पर राजनीति भी शुरू हो गई. भीम आर्मी से लेकर कांग्रेस के नेताओं ने भी क्षेत्र में पहुंचकर लोगों से बातचीत करनी शुरू कर दी. ऐसे में जिला प्रशासन और पुलिस ने स्थानीय प्रतिनिधियों को गंभीरता से जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन देकर लोगों को मनाया. खास बात यह है कि मामले में पुलिस पर भी डकैती का एक मुकदमा इस मामले में दर्ज किया गया. प्रकरण पर कांग्रेस के विधायक, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले और इसके बाद इस पर जांच बैठा दी गई. साथ ही 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए गए. हालांकि ममता राकेश ने बताया कि इन निर्देशों के बावजूद भी अब तक इसकी रिपोर्ट का कोई अता पता नहीं है. इतना ही नहीं पीड़ित परिवारों को भी किसी तरह की कोई राहत नहीं दी गई है.
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कानून व्यवस्था के सवालों पर सदन में संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की तरफ से जवाब दिया गया. एक तरफ अपराध के कम होते आंकड़ों का जिक्र सदन में सरकार की तरफ से किया गया तो वही अंकित भंडारी हत्याकांड में सीट की तरफ से निष्पक्ष जांच किए जाने की भी बात कही गई. उधर दूसरी तरफ बेलड़ा प्रकरण पर भी आरोपियों के खिलाफ मुकद्दर करने और उनकी गिरफ्तारियां की बात रखी गई. इसको लेकर सरकार की तरफ से कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि अंकित भंडारी हत्याकांड फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है, लिहाजा इस पर ज्यादा नहीं कहा जा सकता. जहां तक राज्य में अपराधों की बात है तो सदन में भी उन आंकड़ों को सार्वजनिक किया गया है, जो बताते हैं कि अपराध की घटनाएं पहले की तुलना में कम हो रही हैं.