देहरादूनः बेरोजगार युवाओं पर लाठीचार्ज के विरोध और भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच की मांग को लेकर कांग्रेसियों का प्रदर्शन छठवें दिन भी जारी रहा. आज कांग्रेसियों ने सचिवालय कूच किया, लेकिन पुलिस ने सुभाष रोड पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस से तीखी नोकझोंक भी हुई. आगे बढ़ने से रोके जाने से नाराज कांग्रेसी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और धामी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. कुछ देर बाद पुलिस ने महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला समेत अन्य कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और पुलिस लाइन भेज दिया.
आज कांग्रेसी सबसे पहले प्रदेश मुख्यालय में एकत्रित हुए और एक सभा का आयोजन किया. इसके बाद सभी पैदल मार्च निकालते हुए सचिवालय की ओर बढ़े. जहां पहले से ही मौजूद भारी पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया. इस प्रदर्शन में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा, पूर्व नेता प्रतिपक्ष और चकराता विधायक प्रीतम सिंह समेत तमाम नेता शामिल रहे. इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने बताया कि सरकार के तानाशाही रवैये को देखते हुए कांग्रेसजनों ने शिवरात्रि के दिन प्रदेश के सभी शिवालयों में जलाभिषेक किए जाने का निर्णय लिया है.
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अंकिता हत्याकांड और भर्ती घोटाले में शामिल सफेदपोश नेताओं के नाम हों उजागरः उन्होंने कहा कि तमाम कांग्रेसी मंदिरों में जाकर भोलेनाथ से सरकार की सद्बुद्धि को लेकर कामना करेंगे. ताकि अंकिता भंडारी हत्याकांड में शामिल तथाकथित वीआईपी का नाम जल्द से जल्द उजागर हो सके. इसके साथ ही कांग्रेसी कार्यकर्ता शिवरात्रि के दिन भगवान शिव से भर्ती परीक्षा घोटालों में शामिल सफेदपोश नेताओं के नाम सामने आने की प्रार्थना भी करेंगे.
नकल करने वाला अपराधी और नकल करवाने वाला दोषी नहीं, ये कैसा कानूनः करन माहरा ने निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार ऐसा नकल विरोधी कानून लेकर आई है, जिसमें नकल करने वाला अपराधी है, लेकिन नकल कराने वाला हाकम सिंह जैसा सफेदपोश नेता या फिर बीजेपी के मंडल अध्यक्ष जैसा व्यक्ति इसमें दोषी नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को घेरते हुए अंधेर नगरी चौपट राजा का माहौल बताया.
सरकार पहले से लाए कानून का पालन करती तो यह नौबत नहीं आतीः वहीं, कांग्रेस का ये भी कहना है कि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और तत्कालीन शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यकाल में नकल अध्यादेश कानून लाया गया था, लेकिन जिसका आज अता पता नहीं है. ऐसे में नकल रोकने के लिए यदि उत्तराखंड सरकार इस कानून का सही तरीके से पालन कर लेती तो आज यह नौबत नहीं आती.
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