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CM त्रिवेंद्र की इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस गरजी, राजभवन कूच के दौरान पुलिस ने रोका - harish rawat

हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर लगे आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे की मांग को लेकर सैकड़ों कांग्रेसियों ने राजभवन कूच किया, लेकिन उन्हें पुलिस से रास्ते में ही रोक दिया.

congress protest
कांग्रेस का प्रदर्शन
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Published : Oct 29, 2020, 1:08 PM IST

Updated : Oct 29, 2020, 3:40 PM IST

देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट से सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश के बाद कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस सीएम त्रिवेंद्र से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग कर रही है. इसी कड़ी में आज सरकार बर्खास्तगी की मांग को लेकर कांग्रेस ने राजभवन कूच किया, लेकिन हाथीबड़कला स्थित बैरिकेडिंग पर उन्हें रोक दिया. जिससे गुस्साए कांग्रेसी धरने पर बैठ गए. इस दौरान कांग्रेसियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई. उधर, खबर है कि नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है.

कांग्रेस का राजभवन कूच.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे की मांग पर अड़े कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व सीएम हरीश रावत समेत तमाम नेताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शन बढ़ता देख पुलिस ने कई कांग्रेस नेताओं को हिरासत में लिया है. इस मामले में बुधवार को कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें राजभवन की तरफ से समय नहीं दिया गया था.

ये भी पढ़ेंः CBI जांच पर हरदा का बड़ा बयान, कहा- उनका केस CM त्रिवेंद्र से अलग

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव का कहना है कि हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि मौजूदा सीएम के खिलाफ जो सीबीआई जांच का आदेश दिया है, उसे लेकर कांग्रेसियों ने राज्यपाल से मुलाकात का समय मांगा था, लेकिन कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को राजभवन से समय नहीं दिया गया. कांग्रेस पार्टी राज्यपाल को यह अवगत कराने जा रही थी कि जो स्थिति बीते 4 सालों में उत्तराखंड के भीतर चल रही है, उसका संज्ञान हाईकोर्ट ने लिया है. निर्देश दिए हैं कि सीबीआई को इस भ्रष्टाचार की जांच करने के साथ ही 2 दिन के भीतर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि जब राजभवन ने कांग्रेसियों को मुलाकात के लिए समय नहीं दिया तो कांग्रेस पार्टी को राजभवन कूच करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर प्रत्येक जिले और ब्लॉक में पहुंचेगी. इस भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेगी.

ये भी पढ़ेंः कांग्रेस का राजभवन कूच, पूर्व सीएम हरीश रावत समेत कई कांग्रेसी पुलिस हिरासत में

सीएम के खिलाफ सीबीआई की जांच
बता दें, बीते 27 अक्टूबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपी थी. हाईकोर्ट ने सीबीआई को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ केस दर्ज कर करप्शन के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है.

नैनीताल हाईकोर्ट ने यह आदेश पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि बिगाड़ने के मामले में दर्ज FIR को रद्द करने को लेकर दिया है. उमेश शर्मा के खिलाफ देहरादून के एक थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के आदेश देते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकल पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले के सभी दस्तावेज अदालत में जमा कराए जाएं. हालांकि, अब इस आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी है.

क्या है मामला
देहरादून निवासी प्रो. हरेंद्र सिंह रावत ने बीते 31 जुलाई 2016 को देहरादून थाने में पत्रकार उमेश शर्मा और अन्य के खिलाफ ब्लैकमेलिंग, बदनाम करने समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था. जिसमें कहा गया था कि उमेश शर्मा की ओर से उनके खिलाफ सोशल मीडिया में खबर चलाई थी कि हरेंद्र और उनकी पत्नी सविता ने नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान के खाते में पैसे जमा करवाए और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने की बात कही गई.

तहरीर में शिकायतकर्ता ने कहा कि उनकी पत्नी मुख्यमंत्री के पत्नी की बहन नहीं हैं. जो भी तथ्य बताए गए हैं, वह पूरी तरह से गलत हैं. उमेश शर्मा की ओर से उनके बैंक के कागजात गलत तरीके से बनवाए हैं और उन्होंने उनके बैंक खातों की सूचना गैरकानूनी तरीके से प्राप्त की है. मामला सामने आने के बाद इस पूरे प्रकरण में राज्य सरकार ने उमेश शर्मा समेत अन्य लोगों के खिलाफ देशद्रोह, गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था.

देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट से सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश के बाद कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस सीएम त्रिवेंद्र से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग कर रही है. इसी कड़ी में आज सरकार बर्खास्तगी की मांग को लेकर कांग्रेस ने राजभवन कूच किया, लेकिन हाथीबड़कला स्थित बैरिकेडिंग पर उन्हें रोक दिया. जिससे गुस्साए कांग्रेसी धरने पर बैठ गए. इस दौरान कांग्रेसियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई. उधर, खबर है कि नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है.

कांग्रेस का राजभवन कूच.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे की मांग पर अड़े कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व सीएम हरीश रावत समेत तमाम नेताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शन बढ़ता देख पुलिस ने कई कांग्रेस नेताओं को हिरासत में लिया है. इस मामले में बुधवार को कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें राजभवन की तरफ से समय नहीं दिया गया था.

ये भी पढ़ेंः CBI जांच पर हरदा का बड़ा बयान, कहा- उनका केस CM त्रिवेंद्र से अलग

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव का कहना है कि हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि मौजूदा सीएम के खिलाफ जो सीबीआई जांच का आदेश दिया है, उसे लेकर कांग्रेसियों ने राज्यपाल से मुलाकात का समय मांगा था, लेकिन कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को राजभवन से समय नहीं दिया गया. कांग्रेस पार्टी राज्यपाल को यह अवगत कराने जा रही थी कि जो स्थिति बीते 4 सालों में उत्तराखंड के भीतर चल रही है, उसका संज्ञान हाईकोर्ट ने लिया है. निर्देश दिए हैं कि सीबीआई को इस भ्रष्टाचार की जांच करने के साथ ही 2 दिन के भीतर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि जब राजभवन ने कांग्रेसियों को मुलाकात के लिए समय नहीं दिया तो कांग्रेस पार्टी को राजभवन कूच करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर प्रत्येक जिले और ब्लॉक में पहुंचेगी. इस भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेगी.

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सीएम के खिलाफ सीबीआई की जांच
बता दें, बीते 27 अक्टूबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपी थी. हाईकोर्ट ने सीबीआई को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ केस दर्ज कर करप्शन के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है.

नैनीताल हाईकोर्ट ने यह आदेश पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि बिगाड़ने के मामले में दर्ज FIR को रद्द करने को लेकर दिया है. उमेश शर्मा के खिलाफ देहरादून के एक थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के आदेश देते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकल पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले के सभी दस्तावेज अदालत में जमा कराए जाएं. हालांकि, अब इस आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी है.

क्या है मामला
देहरादून निवासी प्रो. हरेंद्र सिंह रावत ने बीते 31 जुलाई 2016 को देहरादून थाने में पत्रकार उमेश शर्मा और अन्य के खिलाफ ब्लैकमेलिंग, बदनाम करने समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था. जिसमें कहा गया था कि उमेश शर्मा की ओर से उनके खिलाफ सोशल मीडिया में खबर चलाई थी कि हरेंद्र और उनकी पत्नी सविता ने नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान के खाते में पैसे जमा करवाए और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने की बात कही गई.

तहरीर में शिकायतकर्ता ने कहा कि उनकी पत्नी मुख्यमंत्री के पत्नी की बहन नहीं हैं. जो भी तथ्य बताए गए हैं, वह पूरी तरह से गलत हैं. उमेश शर्मा की ओर से उनके बैंक के कागजात गलत तरीके से बनवाए हैं और उन्होंने उनके बैंक खातों की सूचना गैरकानूनी तरीके से प्राप्त की है. मामला सामने आने के बाद इस पूरे प्रकरण में राज्य सरकार ने उमेश शर्मा समेत अन्य लोगों के खिलाफ देशद्रोह, गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था.

Last Updated : Oct 29, 2020, 3:40 PM IST
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