देहरादून: 2017 के विधानसभा चुनाव में अपनी जमीन खो चुकी कांग्रेस एक बार फिर से अपने आप को मजबूत करने में लगी हुई है. यही कारण है कि इन दिनों कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में बैठकों का दौर जारी है. बुधवार को प्रदेश मुख्यालय में महामंत्रियों के साथ बैठक की गई. इस बैठक में कुल चार प्रस्ताव पारित किए गए.
कांग्रेस को हर मोर्चे पर बीजेपी से चुनौती मिल रही है. ऐसे में कांग्रेस भी अब अपने संघर्ष को धार देने की कोशिश में लगी हुई है, ताकि वह आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पटखनी दे सके. यही कारण है कि मंगलवार को प्रदेश उपाध्यक्षों के साथ हुई बैठक में जहां कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार को घेरने की रणनीति बनाई थी तो बुधवार को महामंत्रियों के साथ हुई बैठक में सरकार की विफलताओं को जनता के बीच कैसे ले जाया जाए इस पर चर्चा हुई. ताकि कांग्रेस दोबार से जनता के बीच जाकर अपना खोया हुआ जनाधार वापस पा सके.
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बैठक में चार प्रस्ताव पास हुए
बैठक में चार प्रस्तावों पर चर्चा हुई, जिसमें सबसे पहला प्रवासियों के रोजगार का मुद्दा था. प्रीतम सिंह ने कहा कि कोरोना काल में जिन उत्तराखंडवासियों ने प्रदेश में वापसी की है, उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. कई प्रवासी अपना कारोबार और नौकरियां छोड़कर वापस आए हैं. ऐसे में राज्य सरकार उन परिवारों को 5 लाख रुपए बतौर आर्थिक सहायता के रूप में अदा करे.
दूसरा प्रस्ताव
दूसरे प्रस्ताव में कांग्रेस ने किसानों का ऋण माफ करने का मुद्दा उठाया है. प्रीतम सिंह ने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी और बीजेपी नेताओं ने प्रदेश की जनता से वादा किया था कि यदि बीजेपी सत्ता में आती है तो किसानों का ऋण माफ किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है. इसीलिए वो किसानों की ऋण माफी के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे. इसके साथ ही महंगाई पर भी सरकार को घेरने के लिए रणनीति बनाई गई. जिसमें तय किया गया कि पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में जो बढ़ोतरी हुई है उस के खिलाफ कांग्रेस भविष्य में भी अपना आंदोलन जारी रखेगी.
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तीसरा प्रस्ताव
तीसरा प्रस्ताव बेरोजगारों के रोजगार से जुड़ा है. प्रीतम सिंह ने राज्य सरकार पर निशान साधते हुए कहा कि पौने चार साल के कार्यकाल में डबल इंजन अभी तक स्टार्ट नहीं हो पाया है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी सरकार से मांग करती है कि तत्काल प्रभाव से बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराया जाए.
चौथा प्रस्ताव
चौथा प्रस्ताव उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड को लेकर है. सरकार की तरफ से गठित देवस्थानम बोर्ड का विरोध कांग्रेस ने विधानसभा के भीतर भी किया था और बाहर भी निरंतर इसका विरोध करती आ रही है. इसके साथ ही तीर्थ पुरोहित और हक हुकूक धारी भी देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ हैं.
ऐसे में कांग्रेस, सरकार से आग्रह करती है कि तत्काल प्रभाव से देवस्थानम बोर्ड को भंग करते हुए पूर्व की भाती व्यवस्था लागू करे. यदि सरकार बोर्ड को भंग नहीं करती है तो 2022 में जब कांग्रेस की सरकार बनेगी तब तीर्थ पुरोहितों, हक हुकूक धारियों और स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर देवस्थानम श्राइन बोर्ड को भंग करके पहले की व्यवस्था लागू की जाएगी.