देहरादून: उत्तराखंड में बीजेपी विधायक अक्सर सरकारी अधिकारियों की शिकायत करते हुए नजर आते है. ताजा मामला उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी और किच्छा विधायक के बीच हुई नोकझोंक से जुड़ा हुआ है. जिस पर कांग्रेस ने भी चुटकी ली है. उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी हावी हो चुकी है.
धस्माना ने कहा कि यदि चुने हुए जनप्रतिनिधि को सरकार का कोई अधिकारी यह कह रहा है कि आपकी याददाश्त ठीक नहीं है तो उससे पता चलता है कि प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी कितनी हावी है. ये सब कैबिनेट मंत्री की मौजूदगी में हो रहा है. इसके अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में सरकार की क्या स्थिति होगी?
धस्माना ने कहा इस मामले में प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत और मुख्य सचिव कई बार अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दे चुके है, लेकिन अधिकारियों को उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. एक मुख्यमंत्री के इशारे पर पूरी सरकार चल रही है. सरकार अधिकारी मंत्री और विधायकों का कितना सम्मान करते हैं, इसका अंदाजा उधम सिंह नगर के ताजा विवाद से लगाया जा सकता है.
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धस्माना ने कहा कि लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि सबसे बड़े होते हैं. ऐसे में यदि अधिकारी जनप्रतिनिधि को सम्मान नहीं दे रहा है तो उससे पता चलता है कि राज्य में सरकार की नहीं चल रही है.
बता दें कि शुक्रवार को ऊधम सिंह नगर जिले में प्रभारी मंत्री मदन कौशिक की बैठक में किच्छा से बीजेपी विधायक राजेश शुक्ला अधिकारियों और विशेषकर जिलाधिकारी पर बरस पड़े. प्रभारी मंत्री के सामने विधायक शुक्ला ने गुस्से में कहा कि सरकार का कोई माई-बाप नहीं होता और सरकारी अधिकारी उनकी कोई बात नहीं सुनते. विधायक शुक्ला के मुताबिक वो बैठक में अपनी विधानसभा की खराब सड़कों और जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर अपनी शिकायत रख रहे थे लेकिन जिले के डीएम नीरज खैरवाल ने विधायक जी की याददाश्त पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए. शुक्ला के मुताबिक, डीएम ने कहा कि विधायक जी आपकी याददाश्त ठीक नहीं है. आपके विधानसभा क्षेत्र में बहुत से विकास कार्य हुए हैं.
डीएम की ये बात सुनते ही विधायक जी का पारा चढ़ गया और वो बैठक से उठकर चलते बने. हालांकि, प्रभारी मंत्री मदन कौशिक ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन विधायक शुक्ला नहीं मानें. हालांकि, बाद में मंत्री मदन कौशिक ने विधायक की नाराजगी को ठीक करार देते हुए कहा कि अधिकारियों को जन प्रतिनिधियों की बात सुननी चाहिए और उसका सकारात्मक समाधान निकालना चाहिए.