देहरादून: प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 9 अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस (august revolution day) के मौके पर प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों पर विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन का निर्णय लिया है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि कांग्रेस पार्टी भाजपा उत्तराखंड छोड़ो का नारा बुलंद करने जा रही हैं, क्योंकि भाजपा ने उत्तराखंड की सारी परंपराओं, धारणाओं, आस्थाओं को तोड़ने का काम किया है.
आज कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के आवाहन पर कांग्रेस पार्टी सभी जिला मुख्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रही है. जिसके तहत सभी जिला मुख्यालयों में अगस्त क्रांति के शहीदों को श्रद्धांजलि दिए जाने के साथ ही तिरंगा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है. कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में 9 तारीख को कांग्रेस सेवा दल के कार्यकर्ता तिरंगा यात्रा निकालेंगे.
इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने क्रांति के अवसर पर अपने सभी कार्यकर्ताओं को अपने-अपने घरों पर आवश्यक रूप से पार्टी ध्वज लगाने का आह्वान किया है. इसके अलावा कार्यक्रमों में सभी स्थानीय वरिष्ठ नेतागण और कार्यकर्ताओं के साथ ही पार्टी के सभी पदाधिकारी अनुषांगिक संगठन विभागों और प्रकोष्ठ के अध्यक्ष के कार्यकर्ता भाग लेंगे. कांग्रेस पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा उत्तराखंड छोड़ों का नारा बुलंद करने जा रही है.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि कांग्रेस के पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल ने सुझाव दिया था कि हम भाजपा उत्तराखंड छोड़ों का नारा देंगे, भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड की परंपराओं, धारणाओं, आस्थाओं को तोड़ा है और यह हमला उत्तराखंडियत पर हुआ है. इसलिए भाजपा को उत्तराखंड की सेवा करने का कोई अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए.
कांग्रेस पार्टी भाजपा को घेरने के लिए चार परिवर्तन यात्राएं निकालेगी: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी प्रदेश में 4 परिवर्तन यात्राएं निकालने जा रही है.उन यात्राओं के माध्यम से पार्टी सकारात्मक एजेंडे को जनता के समक्ष रखेगी. उन्होंने कहा कि ऋषिकेश में संपन्न हुए 3 दिवसीय मंथन शिविर के दौरान 21 बिंदुओं को चुना गया था. इन बिंदुओं को लेकर कांग्रेस पार्टी लोगों के बीच जाएगी और भाजपा की विफलताओं पर चर्चा करने के साथ ही कांग्रेस कार्यकाल की उपलब्धियां बताएगी.
9 अगस्त को हुआ था भारत छोड़ो आंदोलन का आगाज: नौ अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी, इसीलिए इतिहास में नौ अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है. इसी दिन महात्मा गांधी ने अन्य नेताओं के साथ मिलकर देश को आजादी की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया था. बता दें, आठ अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के बम्बई सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया.
भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए प्रमुख नेता: महात्मा गांधी, अब्दुल कलाम आजाद, जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल.
भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी: उषा मेहता-उषा मेहता भारत छोड़ो आंदोलन के समय खुफिया कांग्रेस रेडियो चलाने के कारण पूरे देश में विख्यात हुईं. उन्होंने स्वतंत्रता के लिए युद्ध के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए 'वॉयस ऑफ फ्रीडम' नामक एक रेडियो ट्रांसमीटर स्थापित किया था. उषा और उनके भाई को इसके लिए12 नवंबर 1942 में गिरफ्तार भी किया गया था और चार साल की सजा सुनाई थी.
अरुणा आसफ अली: नमक सत्याग्रह के दिनों में अरुणा विख्यात हुईं. उन्हें 1942 में भारत छोडो आंदोलन के दौरान, मुंबई के गोवालीया मैदान में कांग्रेस का झंडा फ्हराने के लिये हमेशा याद किया जाता है. उस वक्त सभी कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा था लेकिन 1942 से 1946 तक देश भर में सक्रिय रहकर भी वे पुलिस की पकड़ में नहीं आईं. 1946 में जब उनके नाम का वारंट रद्द हुआ, तभी वे सामने हुईं. उनकी सारी सम्पत्ति जब्त कर ली गई था फिर भी उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया.
सुचेता कृपलानी: सुचेता कृपलानी भारत छोड़ो आंदोलन की प्रमुख नेत्री थीं. इस दौरान उनका पहला काम पूरे भारत में सक्रिय समूहों के साथ संपर्क स्थापित करना और उन्हें अहिंसक गतिविधि जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना था. 1944 में उन्हें 'खतरनाक कैदी' के रूप में लखनऊ जेल में बंद कर दिया गया.
सुशीला नय्यर: सुशीला नय्यर पेशे से एक डॉक्टर थी और गांधी के सचिव प्यारेलाल की छोटी बहन थीं. वह गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा की निजी डॉक्टर बन गई. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वो कस्तूरबा गांधी के साथ मुंबई में गिरफ्तार भी हुईं.
राजकुमारी अमृत कौर: राजकुमारी अमृत कौर कपूरथला राज्य के शाही परिवार से थीं. उन्होंने नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. उनकी गतिविधियों का मुख्य क्षेत्र महिला शिक्षा और हरिजनों का उत्थान था. वह ऑल इंडिया विलेज इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं. आंदोलन के दौरान राजकुमारी अमृत कौर ने विरोध सभाओं के आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाई. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वह सबसे अधिक सक्रिय थीं. उन्हें कालका में गिरफ्तार किया गया था.