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Purola Mahapanchayat को रोकने के लिए DGP से मिले कांग्रेस नेता, बोले- व्यक्ति को धर्म से नहीं नागरिक की हैसियत से देखें

पुरोला में 15 जून को हिंदू संगठनों की प्रस्तावित महापंचायत को रोकने के लिए उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने आज डीजीपी अशोक कुमार से मुलाकात की. इस दौरान करन माहरा ने कहा कि इस देश में रहने वाले व्यक्ति को धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि नागरिक की हैसियत से देखा जाना चाहिए.

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Published : Jun 14, 2023, 4:33 PM IST

देहरादून: पुरोला में 15 जून को हिंदू संगठनों की प्रस्तावित महापंचायत ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींच रखा है. पुरोला में हिंदू संगठनों की प्रस्तावित महापंचायत को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक में याचिका दायर की गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा. कई मुस्लिम संगठन भी केंद्रीय मंत्री गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिख चुके है. वहीं, उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल आज डीजीपी अशोक कुमार से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने किसी भी तरह की महापंचायत पर रोक लगाये जाने की मांग को लेकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा.

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल में विधायक ममता राकेश, विधायक फुरकान अहमद, विधायक वीरेंद्र जाती और पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन आदि नेता मौजूद रहे. डीजीपी से मुलाकात के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस महानिदेशक से वार्ता हुई है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पुरोला में घटना घटी है, यह शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि हर नागरिक अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सके.
पढ़ें- पुरोला महापंचायत पर कांग्रेस ने कहा- चुनाव के वक्त "जिहाद" का नारा ठीक नहीं, एक की सजा पूरी कौम को नहीं मिलनी चाहिए

उन्होंने कहा कि हालात यह हो गए हैं कि सरकार से संबंध रखने वाले कुछ संगठन अल्पसंख्यकों को डराने और धमकाने की कोशिश कर रहे हैं. भय के कारण पुरोला से कई लोगों ने अपना व्यापार बंद कर दिया है और वहां से चले गए हैं, जो सबके लिए चिंता का विषय है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने डीजीपी से मांग की है कि जो भी दोषी है, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन किसी भी नागरिक में असुरक्षा की भावना नहीं आनी चाहिए. इस देश में रहने वाले व्यक्ति को धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि नागरिक की हैसियत से देखा जाना चाहिए.

माहरा ने कहा कि 2017 से लगातार उत्तराखंड में माहौल खराब किए जाने की कोशिशें की जा रही हैं. ऐसे में डीजीपी से हेट स्पीच देने वाले छद्म धर्मगुरुओं के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई है. उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि पुरोला वाली घटना में जिस तरह से संगठन काम कर रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि अंकिता हत्याकांड से ध्यान भटकाने और वीआईपी को बचाने की नाकाम कोशिशें की जा रही हैं.
पढ़ें- पुरोला में आज से 6 दिन के लिए धारा 144 लागू, लव जिहाद के खिलाफ 15 जून को है महापंचायत, सीएम ने की शांति की अपील

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तमाम भर्ती घोटालों व विकास के मामले में जहां सरकार पिछड़ रही है, उन सभी मामलों को दबाने की कोशिश की जा रही है, ताकि जनता का ध्यान असल मुद्दों से हटाया जा सके.

देहरादून: पुरोला में 15 जून को हिंदू संगठनों की प्रस्तावित महापंचायत ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींच रखा है. पुरोला में हिंदू संगठनों की प्रस्तावित महापंचायत को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक में याचिका दायर की गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा. कई मुस्लिम संगठन भी केंद्रीय मंत्री गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिख चुके है. वहीं, उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल आज डीजीपी अशोक कुमार से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने किसी भी तरह की महापंचायत पर रोक लगाये जाने की मांग को लेकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा.

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल में विधायक ममता राकेश, विधायक फुरकान अहमद, विधायक वीरेंद्र जाती और पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन आदि नेता मौजूद रहे. डीजीपी से मुलाकात के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस महानिदेशक से वार्ता हुई है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पुरोला में घटना घटी है, यह शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि हर नागरिक अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सके.
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उन्होंने कहा कि हालात यह हो गए हैं कि सरकार से संबंध रखने वाले कुछ संगठन अल्पसंख्यकों को डराने और धमकाने की कोशिश कर रहे हैं. भय के कारण पुरोला से कई लोगों ने अपना व्यापार बंद कर दिया है और वहां से चले गए हैं, जो सबके लिए चिंता का विषय है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने डीजीपी से मांग की है कि जो भी दोषी है, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन किसी भी नागरिक में असुरक्षा की भावना नहीं आनी चाहिए. इस देश में रहने वाले व्यक्ति को धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि नागरिक की हैसियत से देखा जाना चाहिए.

माहरा ने कहा कि 2017 से लगातार उत्तराखंड में माहौल खराब किए जाने की कोशिशें की जा रही हैं. ऐसे में डीजीपी से हेट स्पीच देने वाले छद्म धर्मगुरुओं के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई है. उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि पुरोला वाली घटना में जिस तरह से संगठन काम कर रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि अंकिता हत्याकांड से ध्यान भटकाने और वीआईपी को बचाने की नाकाम कोशिशें की जा रही हैं.
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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तमाम भर्ती घोटालों व विकास के मामले में जहां सरकार पिछड़ रही है, उन सभी मामलों को दबाने की कोशिश की जा रही है, ताकि जनता का ध्यान असल मुद्दों से हटाया जा सके.

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