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जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार के बहाने कांग्रेस ने त्रिवेंद्र सरकार पर साधा निशाना

देहरादून में किच्छा विधायक ने उधम सिंह नगर के डीएम पर उनके विशेषाधिकार का हनन का आरोप लगाया है. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी त्रिवेंद्र सरकार पर जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार हनन को लेकर जमकर निशाना साधा है.

uttrakhand
प्रीतम सिंह
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Published : Jul 22, 2020, 7:24 PM IST

देहरादून: किच्छा बीजेपी विधायक राजेश शुक्ला ने उधम सिंह नगर के डीएम पर उनके विशेषाधिकार का हनन का आरोप लगाया है. उन्होंने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को एक नोटिस भेजकर कार्रवाई की मांग की है. वहीं, आज शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की बैठक में सचिवों की गैर मौजूदगी से मदन कौशिक बिफर पड़े. इस पर कांग्रेस पार्टी ने भी त्रिवेंद्र सरकार पर जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार हनन को लेकर जमकर निशाना साधा है.

कांग्रेस ने त्रिवेंद्र सरकार पर साधा निशाना.

बता दें कि किच्छा विधायक ने नोटिस में लिखा है कि 17 जुलाई को जिला कलेक्टर के सभागार में दोपहर दो बजे से प्रभारी मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में खनन न्यास समिति की बैठक चल रही थी. बैठक में भाजपा के जिला पदाधिकारी भी मौजूद थे. ऐसे में किच्छा चुनाव क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए जब उनके द्वारा जानकारी मांगी गई तो जिलाधिकारी ने उन्हें अपमानित किया है. जिलाधिकारी ने कहा कि न्यास से किच्छा में कई कार्य कराए गए हैं. लेकिन विधायक जी की याददाश्त कमजोर है. किच्छा विधायक की तरफ से नोटिस जारी होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने भी साफ किया है कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें: महाकुंभ की बैठक में अधिकारियों से खफा मदन कौशिक, छोड़ी बैठक और निकल गए बाहर

वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि किच्छा के विधायक ने विशेषाधिकार हनन नोटिस जारी किया है. उन्होंने उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है. प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार के कोई भी सत्र में किसी ना किसी विधायक ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ना दिया हो. वहीं, पीठ ने भी सरकार को कई बार निर्देशित भी किया. विधायकों के विशेषाधिकार हनन को लेकर कार्रवाई की जाए. लेकिन सरकार सोती रही और इस विषय में कोई कार्रवाई नहीं हुई. यही कारण रहा कि अधिकारियों का हौसला बढ़ गया और विधायकों के विशेषाधिकार हनन करने लगे.

उन्होंने कहा कि शहरी विकास मंत्री की बैठक में सचिवों की गैर मौजूदगी पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किस प्रदेश में दरअसल सरकार नाम मात्र की रह गई है. इस प्रदेश को न्यायालय संचालित कर रहा है. उन्होंने शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे, बाल विकास मंत्री रेखा आर्य, परिवहन मंत्री यशपाल आर्य और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी अपनी पीड़ी का इजहार कर चुके है.

देहरादून: किच्छा बीजेपी विधायक राजेश शुक्ला ने उधम सिंह नगर के डीएम पर उनके विशेषाधिकार का हनन का आरोप लगाया है. उन्होंने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को एक नोटिस भेजकर कार्रवाई की मांग की है. वहीं, आज शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की बैठक में सचिवों की गैर मौजूदगी से मदन कौशिक बिफर पड़े. इस पर कांग्रेस पार्टी ने भी त्रिवेंद्र सरकार पर जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार हनन को लेकर जमकर निशाना साधा है.

कांग्रेस ने त्रिवेंद्र सरकार पर साधा निशाना.

बता दें कि किच्छा विधायक ने नोटिस में लिखा है कि 17 जुलाई को जिला कलेक्टर के सभागार में दोपहर दो बजे से प्रभारी मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में खनन न्यास समिति की बैठक चल रही थी. बैठक में भाजपा के जिला पदाधिकारी भी मौजूद थे. ऐसे में किच्छा चुनाव क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए जब उनके द्वारा जानकारी मांगी गई तो जिलाधिकारी ने उन्हें अपमानित किया है. जिलाधिकारी ने कहा कि न्यास से किच्छा में कई कार्य कराए गए हैं. लेकिन विधायक जी की याददाश्त कमजोर है. किच्छा विधायक की तरफ से नोटिस जारी होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने भी साफ किया है कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें: महाकुंभ की बैठक में अधिकारियों से खफा मदन कौशिक, छोड़ी बैठक और निकल गए बाहर

वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि किच्छा के विधायक ने विशेषाधिकार हनन नोटिस जारी किया है. उन्होंने उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है. प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार के कोई भी सत्र में किसी ना किसी विधायक ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ना दिया हो. वहीं, पीठ ने भी सरकार को कई बार निर्देशित भी किया. विधायकों के विशेषाधिकार हनन को लेकर कार्रवाई की जाए. लेकिन सरकार सोती रही और इस विषय में कोई कार्रवाई नहीं हुई. यही कारण रहा कि अधिकारियों का हौसला बढ़ गया और विधायकों के विशेषाधिकार हनन करने लगे.

उन्होंने कहा कि शहरी विकास मंत्री की बैठक में सचिवों की गैर मौजूदगी पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किस प्रदेश में दरअसल सरकार नाम मात्र की रह गई है. इस प्रदेश को न्यायालय संचालित कर रहा है. उन्होंने शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे, बाल विकास मंत्री रेखा आर्य, परिवहन मंत्री यशपाल आर्य और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी अपनी पीड़ी का इजहार कर चुके है.

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