डोइवालाः आज हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटल ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. स्वामी राम की 24वीं पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए. 2019 स्वामी राम मानवता पुरस्कार भारत माता मंदिर के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद महाराज को दिया गया. उनके अनुयाई अवधेशानंद गिरी महाराज को 5 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र दिया गया.
हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी राम की 24वीं पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट पहुंचे और स्वामी राम को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तराखंड उनकी जन्मभूमि है और यहां के महापुरुष से हमेशा उनको प्रेरणा मिलती है. ऐसे ही महान संत स्वामी राम थे, आज उनके द्वारा स्थापित हिमालयन हॉस्पिटल ट्रस्ट सेवा भाव से मानवता की सेवा कर रहा है.
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वामी राम मानवता पुरस्कार ऐसी महान विभूति को दिया गया है जिनका समस्त जीवन दूसरों की सेवा में लगा रहा. ऐसे ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद को यह पुरस्कार देकर उनके परोपकार के कार्यों को दर्शाता है और यह पुरस्कार उनके अनुयाई जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज को सौंपा गया.
योगी आदित्यनाथ ने हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल के संस्थापक स्वामी राम की सेवा भाव को याद करते हुए कहा कि स्वामी राम भी जीवन पर बिना भेदभाव के दूसरों की सेवा में लगे रहे और हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट भी उनके सपनों को और सेवा भाव को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है.
कौन हैं डॉ. स्वामी राम
स्वामी राम (1925–1996) एक योगी थे, जिन्होंने 'हिमालयन इन्टरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा सांइस एण्ड फिलासफी' सहित कई संस्थानों की स्थापना की. स्वामी राम ने लगभग 44 पुस्तकों की भी रचना की है.
साल 1925 में पौड़ी जनपद के तोली गांव में स्वामीराम का जन्म हुआ था. किशोरावस्था में ही स्वामीराम ने संन्यास की दीक्षा ली थी. 13 वर्ष की अल्पायु में ही विभिन्न धार्मिक स्थलों और मठों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू कर दिया. 24 वर्ष की आयु में वह प्रयाग, वाराणसी और लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद कारवीर पीठ के शंकराचार्य बने.
गुरू के आदेश पर पश्चिम सभ्यता को योग और ध्यान का मंत्र देने 1969 में अमेरिका पहुंचे. 1970 में अमेरिका में उन्होंने कुछ ऐसे परीक्षणों में भाग लिया, जिनसे शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता मिली. उनके इस शोध को 1973 में इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ईयर बुक ऑफ साइंस व नेचर साइंस एनुअल और 1974 में वर्ल्ड बुक साइंस एनुअल में प्रकाशित किया गया.
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स्वास्थ्य सुविधाओं से जूझ रहे उत्तराखंड में विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान बनाने का स्वामी राम ने सपना देखा था. उन्होंने 1989 में अपने सपने को आकार देना शुरू किया. इसी साल उन्होंने गढ़वाल हिमालय की घाटी में हिमालयन इंस्टीट्यूट अस्पताल ट्रस्ट की स्थापना की. ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाओं के पहुंचाने के मकसद से 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट (आरडीआई) व 1994 में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की. प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को महसूस करते हुए स्वामी राम ने 1995 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की. नवंबर 1996 में स्वामी राम ब्रह्मलीन हो गए.