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खालसा पंथ के संस्थापक गुरू गोबिंद सिंह जी की जयंती आज, सीएम ने दिया बधाई संदेश

शौर्य और साहस के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बिहार के पटना में हुआ था. इस बार ये तिथि 2 जनवरी को है. इस कारण प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.

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गुरू गोबिंद सिंह जयंती
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Published : Jan 2, 2020, 9:38 AM IST

देहरादून: सिखों के 10वें गुरू गोबिंद सिंह की आज जयंती है. उनका जन्म पटना के साहिब में हुआ था. साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. गुरू गोबिंद सिंह ने ही गुरू ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरू घोषित किया था. इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को बधाई व शुभकामनाएं दी हैं.

सीएम ने कहा कि गुरू गोबिंद सिंह एक महान लेखक, मौलिक चिन्तक और संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता थे. उन्होंने धर्म के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान कर दिया था. उनकी वीरता, शौर्य, संघर्ष एवं समाज में व्याप्त ऊंच-नीच व जातिवाद को समाप्त करने के साथ ही धर्म की रक्षा के लिये यह भारत भूमि हमेशा उनकी कृतज्ञ रहेगी. उन्होंने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया और अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से अपने शत्रुओं को परास्त किया. गुरू गोबिंद सिंह के विचार एवं शिक्षाएं आज भी समाज के लिए प्रासंगिक हैं.

ये भी पढ़ें: नववर्ष पर परमार्थ निकेतन में योग रिट्रीट, लोगों ने रुद्राभिषेक कर लिया संकल्प

गौर हो कि गोबिंद सिंह के पिता गुरू तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरू थे. उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता के लिए शहीद माना जाता है, वह इस्लाम में बदलने से इनकार करने के लिए मारे गए थे. उनकी मृत्यु के बाद गोबिंद सिंह को सिखों का दसवां गुरू बनाया गया था. गुरू गोबिंद सिंह जी की जयंती के अवसर पर घरों और गुरुद्वारों में कीर्तन होता है. खालसा पंत की झांकियां निकाली जाती हैं. इस दिन खासतौर पर लंगर का आयोजन किया जाता है.

गुरू गोविंद सिंह ने जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए हैं, जिन्हें पंच ककार कहा जाता है. सिखों में इन पांच चीजों का अनिवार्य माना जाता है. ये पांच चीजें हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा.

देहरादून: सिखों के 10वें गुरू गोबिंद सिंह की आज जयंती है. उनका जन्म पटना के साहिब में हुआ था. साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. गुरू गोबिंद सिंह ने ही गुरू ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरू घोषित किया था. इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को बधाई व शुभकामनाएं दी हैं.

सीएम ने कहा कि गुरू गोबिंद सिंह एक महान लेखक, मौलिक चिन्तक और संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता थे. उन्होंने धर्म के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान कर दिया था. उनकी वीरता, शौर्य, संघर्ष एवं समाज में व्याप्त ऊंच-नीच व जातिवाद को समाप्त करने के साथ ही धर्म की रक्षा के लिये यह भारत भूमि हमेशा उनकी कृतज्ञ रहेगी. उन्होंने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया और अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से अपने शत्रुओं को परास्त किया. गुरू गोबिंद सिंह के विचार एवं शिक्षाएं आज भी समाज के लिए प्रासंगिक हैं.

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गौर हो कि गोबिंद सिंह के पिता गुरू तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरू थे. उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता के लिए शहीद माना जाता है, वह इस्लाम में बदलने से इनकार करने के लिए मारे गए थे. उनकी मृत्यु के बाद गोबिंद सिंह को सिखों का दसवां गुरू बनाया गया था. गुरू गोबिंद सिंह जी की जयंती के अवसर पर घरों और गुरुद्वारों में कीर्तन होता है. खालसा पंत की झांकियां निकाली जाती हैं. इस दिन खासतौर पर लंगर का आयोजन किया जाता है.

गुरू गोविंद सिंह ने जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए हैं, जिन्हें पंच ककार कहा जाता है. सिखों में इन पांच चीजों का अनिवार्य माना जाता है. ये पांच चीजें हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा.

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खालसा पंथ के संस्थापक गुरू गोबिंद सिंह जी की जयंती आज, सीएम ने दिया बधाई संदेश



देहरादून: सिखों के 10वें गुरू गोबिंद सिंह की आज जयंती है. उनका जन्म पटना के साहिब में हुआ था. साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. गुरू गोबिंद सिंह ने ही गुरू ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरू घोषित किया था. इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को बधाई व शुभकामनाएं दी हैं. 



सीएम ने कहा कि गुरू गोबिंद सिंह एक महान लेखक, मौलिक चिन्तक और संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता थे. उन्होंने धर्म के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान कर दिया था. उनकी वीरता, शौर्य, संघर्ष एवं समाज में व्याप्त ऊंच-नीच व जातिवाद को समाप्त करने के साथ ही धर्म की रक्षा के लिये यह भारत भूमि हमेशा उनकी कृतज्ञ रहेगी. उन्होंने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया और अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से अपने शत्रुओं को परास्त किया. गुरू गोबिंद सिंह के विचार एवं शिक्षाएं आज भी समाज के लिए प्रासंगिक हैं.



गौर हो कि गोबिंद सिंह के पिता गुरू तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरू थे. उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता के लिए शहीद माना जाता है, वह इस्लाम में बदलने से इनकार करने के लिए मारे गए थे. उनकी मृत्यु के बाद गोबिंद सिंह को सिखों का दसवां गुरू बनाया गया था. गुरू गोबिंद सिंह जी की जयंती के अवसर पर घरों और गुरुद्वारों में कीर्तन होता है. खालसा पंत की झांकियां निकाली जाती हैं. इस दिन खासतौर पर लंगर का आयोजन किया जाता है.



गुरू गोविंद सिंह ने जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए हैं, जिन्हें पंच ककार कहा जाता है. सिखों में इन पांच चीजों का अनिवार्य माना जाता है. ये पांच चीजें हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा.

 


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