देहरादूनः उत्तराखंड की राजनीति में भ्रष्टाचार एक बार फिर बड़ा मुद्दा बन कर सामने आया है. हाल ही में चावल घोटाले की ऑडिट रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में सचिवालय को दलाल मुक्त होने की बात कही है. खास बात ये है कि इससे फिर राजनीति में भ्रष्टाचार पर बहस शुरू हो गयी है.
उत्तराखंड में सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिन्होंने राज्य में जीरो टॉलरेंस का संदेश दिया. सरकार और भाजपा भी लगातार मौजूदा सरकार को जीरो टॉलरेंस की सरकार बताती रही है. इस दौरान अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर बयान जारी करते हुए कहा है कि उन्होंने अपनी सरकार में सचिवालय और मुख्यमंत्री कार्यालय को भ्रष्टाचारियों और दलालों से मुक्त कर दिया है. राज्य में चावल घोटाले को लेकर सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मामला उनसे पूर्व की सरकार का है और भाजपा सरकार ने इस मामले को पकड़ा है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि पहले की सरकार में राशन की दुकानों पर राशन नहीं बल्कि केवल कागज में ही खानापूर्ति होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है.
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उधर, कांग्रेस पार्टी त्रिवेंद्र सिंह के इस दावे को सत्य से परे बता रही है. कांग्रेस नेताओं की मानें तो भाजपा महज आरोप लगाने तक ही सीमित रहती है. सरकार बताए कि यदि को घोटाला पकड़ा है तो पिछले साढ़े तीन साल के कार्यकाल में अब तक कितने कांग्रेसियों पर घोटालों को लेकर मुकदमे हुए. उल्टा छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर भाजपा के नेताओं के बेटों पर मुकदमे हुए हैं और अब तक सरकार किसी भी मामले पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाई है.