देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने बड़ासी पुल में पुश्ता ढहने के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया है. मुख्यमंत्री ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे. प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने आदेश जारी करते हुए लोक निर्माण विभाग के तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. सस्पेंड किए गए अधिकारियों में अधिशासी अभियंता जीत सिंह रावत, तत्कालीन अधिशासी अभियंता शैलेंद्र मिश्र और सहायक अभियंता अनिल कुमार चंदोला शामिल हैं.
तीनों अधिकारी निलंबन की अवधि में क्षेत्रीय मुख्य अभियंता कार्यालय लोक निर्माण विभाग पौड़ी में संबद्ध रहेंगे. बताया जा रहा है कि जीत सिंह रावत ने निर्माण एजेंसी के फाइनल बिल को पास किया था, जिसकी वजह से उनपर कार्रवाई हुई है. अधिकारियों का कहना है कि विस्तृत जांच में अगर जीत सिंह रावत निर्दोष पाए जाते हैं तो उनकी बहाली की जाएगी.
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गौर हो कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में करोड़ों रुपए की लागत से बना बडासी का पुल तीन साल में ही मिट्टी में मिल गया. मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिस जीरो टॉलरेंस और विकास कार्यों में गुणवत्ता को लेकर कोई कंप्रोमाइज नहीं करने का जो दावा किया था, उस पर बडासी पुल ने पानी फेर दिया. करोड़ों की लागत से बना पुल तीन में जमीन पर आ गया.
देहरादून के रायपुर क्षेत्र में बुधवार 16 जून की रात को बडासी पुल का टूटना कोई सामान्य बात नहीं है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह पुल 2018 में ही बना था और किसी पुल का तीन साल के अंदर बीच से टूट जाना सवाल खड़े करता है. ईटीवी भारत ने मौके पर पहुंचकर पुल के टूटे हिस्से को देखा था तो पता चला कि पुल से जो पुस्ते बनाए गए थे, उसमें सरिये का बहुत कम इस्तेमाल किए गया था.
जानकारी के अनुसार 2018 में इस पुल को बनाया गया था. इसका शुभारंभ भी तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. खास बात यह है कि इस पुल से ठीक पहले बनाए गए भोपाल पानी के पुल में भी खराब गुणवत्ता की ऐसी ही शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ इंजीनियरों को सस्पेंड भी किया था.
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इंवेस्टर्स समिट के लिए आनन-फानन में बना था पुल
थानो रोड पर बड़ासी के पास इस पुल का निर्माण अक्टूबर 2018 में इंवेस्टर्स समिट शुरू होने से कुछ समय पहले पूरा किया गया था. समिट के लिए पुल का निर्माण पूरा करने के लिए उच्चाधिकारियों का भारी दबाव था. इसके चलते दिन-रात एक कर पुल का निर्माण किया गया. इसके साथ ही एप्रोच रोड पर 9 मीटर तक भरान भी किया गया था.
जानकारों का कहना है कि इतने गहरे भरान के बाद सतह के नेचुरल कॉम्पैक्शन (प्राकृतिक रूप से सख्त बनाना) के लिए काफी समय चाहिए होता है, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इंवेस्टर्स समिट को देखते हुए एप्रोच रोड को इतना समय दिया ही नहीं. साथ ही एप्रोच रोड को पक्का कर दिया, जिसकी वजह से भीतर की मिट्टी कच्ची अवस्था में रह गई. यही कारण है कि एप्रोच रोड इतने कम समय में ढह गई.