देहरादूनः कृषि विकास से जुड़ी योजनाओं को लेकर आज केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अगुवाई में देशभर के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्रियों की बैठक हुई. बैठक का मुख्य उद्देश्य कृषि अवसंरचनाओं के विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित करना रहा. इसमें किसानों की आय दोगुनी करने के लिए राज्य सरकारों की ओर से किए जा रहे प्रयास पर भी वार्ता हुई. वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पर्वतीय राज्यों के लिए अलग से नीति बनाने का सुझाव दिया.
बता दें कि कृषि अवसंरचनाओं के विकास में एक लाख करोड़ का पैकेज जारी किया गया है. प्रदेश में कृषि योजनाओं को गति देने के लिए इस बैठक में विशेष बल दिया गया. इस दौरान मुख्यमंत्री और कृषि मंत्रियों ने भी बैठक के दौरान प्रदेश की मौजूदा स्थितियों पर केंद्रीय कृषि मंत्री के सामने अपनी बातें रखी. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस कार्यक्रम को गति देने के लिए राज्यों को एक सेमिनार का आयोजन किया जाना चाहिए. जिसमें कृषि अवसंरचनाओं के विकास और संभावनाओं पर चर्चा की जाए.
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वहीं, उन्होंने कहा कि एक सर्वेक्षण कराकर कृषि क्षेत्र में गैप्स ढूंढ कर उनके लिए योजनाएं बनाई जानी चाहिए. किसानों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए, जिससे किसान अपने उत्पाद को लंबे समय तक और उचित मूल्य मिलने तक सुरक्षित रख सकें. उन्होंने कहा कि 10 हजार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) बनाने का लक्ष्य रखा है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस फंड के माध्यम से पोस्ट हार्वेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और बिचौलियों को खत्म करने में भी मदद मिलेगी. साथ ही कोल्ड चेन, कोल्ड स्टोरेज इंटीग्रेटेड पैक हाउसेस, सप्लाई चेन सर्विसेज, कम्युनिटी फार्म मशीनरी, रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्टेशन और कम्युनिटी ड्राइंग यार्ड जैसी अवसंरचनाओं को विकसित करने में इस फंड का प्रयोग किया जाएगी.
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उन्होंने कहा कि हम अपने किसानों को आत्मनिर्भर कृषि के माध्यम से उद्यमी बनाना चाहते हैं. आगामी 31 मार्च 2021 तक इसके लिए सभी राज्य अपने योजनाओं को उपलब्ध करा दिया जाए. वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से किसानों की आय को बढ़ाने के लिए शुरू की गई आत्मनिर्भर कृषि योजना को लेकर आभार जताया. उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में यह योजना मील के पत्थर की भूमिका निभाएगी.
सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि केंद्र की ओर से प्रत्येक जिले में दो-दो एफपीओ बनाए जाने के लक्ष्य को समय पर पूरा कर लिया जाएगा. अन्य मैदानी राज्यों की तुलना में पर्वतीय राज्यों की परिस्थितियां अलग हैं. जबकि, उत्तराखंड का अधिकांश भूभाग पर्वतीय है. जहां पर अलग-अलग प्रकार की क्लाइमेट कंडीशन है. लिहाजा, उन्होंने पर्वतीय राज्यों के लिए अलग से नीति बनाई जाने का सुझाव दिया.