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दिल्ली में मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के संयुक्त सम्मेलन में CM धामी ने लिया हिस्सा

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Published : Apr 30, 2022, 1:01 PM IST

Updated : Apr 30, 2022, 5:33 PM IST

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने भी हिस्सा लिया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में जहां एक ओर न्यायपालिका की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं विधायिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है.

CM pushkar singh dhami participated in Joint conference
संयुक्त सम्मेलन में CM धामी ने लिया हिस्सा.

देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आज नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों की संयुक्त कॉन्फ्रेंस में (Joint conference of CMS Chief justices) शिरकत की. इस मौके इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान की दो धाराओं न्यायपालिका एवं विधायिका के प्रभावी एवं समयबद्ध न्याय व्यवस्था को लेकर अपने विचार साझा किये. साथ ही इस मौके प्रधानमंत्री मोदी ने न्यायालयों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की बात भी कही.

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने भी हिस्सा लिया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में जहां एक ओर न्यायपालिका की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं विधायिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है. मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा.

पढ़ें- केदारनाथ यात्रा में चलेंगे जीपीएस चिप सिस्टम लगे घोड़े खच्चर, पल-पल की मिलेगी जानकारी

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के इन 75 सालों ने न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों के ही रोल और जिम्मेदारियों को निरंतर स्पष्ट किया है. जहां जब भी जरूरी हुआ, देश को दिशा देने के लिए ये रिश्ता लगातार विकसित हुआ है. प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएं कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार भी न्याय व्यवस्था में तकनीक की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है. उदाहरण के तौर पर, ई-कोर्ट प्रोजेक्ट को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें अदालत में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे.

उत्तराखंड के विषय में जानकारी देते हुए सीएम धामी ने कहा कि विगत 5 वर्षों में विधिक अधिकारियों का कैडर रिव्यू करते हुए स्वीकृत पदों की संख्या 230 से बढाकर 299 की गई है. वर्तमान में 271 न्यायाधीश कार्य कर रहे हैं. इसी प्रकार उत्तराखंड द्वारा पूर्व लंबित प्रकरण (3 साल की अवधि से ज्यादा) को पूर्ण करते हुए 5 नयी परियोजनाएं विगत वर्षों में जिला न्यायालयों के निर्माण इत्यादि में पूर्ण किया है.

उत्तराखंड ने अपना पंचवर्षीय एवं वार्षिक अवस्थापना संबंधी आवश्यकताओं का माननीय उच्च न्यायालय के साथ मिलकर तैयार किया है. जिसे केन्द्र सरकार को भेजा जा चुका है, जिसके तहत केन्द्र पोषित योजना (CSS) इस वित्तीय वर्ष में 80 करोड़ रुपए की धनराशि केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य को आवंटित की गई है. इसी प्रकार माननीय उच्च न्यायालय में तथा सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार करते हुए एक टेक्निकल अधिकारी के सापेक्ष वर्तमान में 26 टेक्निकल अधिकारी कार्यरत हैं.

सभी को सुचारू रूप से निःशुल्क न्यायिक सेवा प्राप्त हो, इस उद्देश्य से सभी 13 जिलों में 13 सदस्य सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में नियुक्त किए हैं. साथ ही सभी 13 जनपदों में विशेष किशोर पुलिस इकाई की स्थापना की है. उत्तराखंड द्वारा सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को दिए जाने वाली सुविधा के संबंध में नियमावली माह दिसम्बर 2021 में अधिसूचित कर दी गई है. उत्तराखंड द्वारा राज्य में 2 वाणिज्यिक न्यायालय शुरू कर दिए गये हैं तथा शीघ्र ही राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का भी संचालन प्रारम्भ कर दिया जाएगा. देश में सर्वप्रथम वृद्ध, बीमार एवं न्यायालय आने में असमर्थ व्यक्तियों की गवाही के लिए लिए उत्तराखंड के 13 जिलों में 13 मोबाइल न्यायालय वैन की सुविधा प्रारंभ की गई है. जिससे विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही रिकॉर्ड कराई जा रही है.

इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने न्यायपालिका और लोकतंत्र के हर संस्थान को देश की सामाजिक और भौगोलिक विविधता का ही स्वरूप बताया. इस मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल, असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश सीएम पेमा खांडू, मेघालय सीएम कोनराड संगमा और पंजाब सीएम भगवंत मान भी उपस्थित रहे.

देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आज नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों की संयुक्त कॉन्फ्रेंस में (Joint conference of CMS Chief justices) शिरकत की. इस मौके इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान की दो धाराओं न्यायपालिका एवं विधायिका के प्रभावी एवं समयबद्ध न्याय व्यवस्था को लेकर अपने विचार साझा किये. साथ ही इस मौके प्रधानमंत्री मोदी ने न्यायालयों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की बात भी कही.

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने भी हिस्सा लिया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में जहां एक ओर न्यायपालिका की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं विधायिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है. मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा.

पढ़ें- केदारनाथ यात्रा में चलेंगे जीपीएस चिप सिस्टम लगे घोड़े खच्चर, पल-पल की मिलेगी जानकारी

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के इन 75 सालों ने न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों के ही रोल और जिम्मेदारियों को निरंतर स्पष्ट किया है. जहां जब भी जरूरी हुआ, देश को दिशा देने के लिए ये रिश्ता लगातार विकसित हुआ है. प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएं कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार भी न्याय व्यवस्था में तकनीक की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है. उदाहरण के तौर पर, ई-कोर्ट प्रोजेक्ट को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें अदालत में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे.

उत्तराखंड के विषय में जानकारी देते हुए सीएम धामी ने कहा कि विगत 5 वर्षों में विधिक अधिकारियों का कैडर रिव्यू करते हुए स्वीकृत पदों की संख्या 230 से बढाकर 299 की गई है. वर्तमान में 271 न्यायाधीश कार्य कर रहे हैं. इसी प्रकार उत्तराखंड द्वारा पूर्व लंबित प्रकरण (3 साल की अवधि से ज्यादा) को पूर्ण करते हुए 5 नयी परियोजनाएं विगत वर्षों में जिला न्यायालयों के निर्माण इत्यादि में पूर्ण किया है.

उत्तराखंड ने अपना पंचवर्षीय एवं वार्षिक अवस्थापना संबंधी आवश्यकताओं का माननीय उच्च न्यायालय के साथ मिलकर तैयार किया है. जिसे केन्द्र सरकार को भेजा जा चुका है, जिसके तहत केन्द्र पोषित योजना (CSS) इस वित्तीय वर्ष में 80 करोड़ रुपए की धनराशि केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य को आवंटित की गई है. इसी प्रकार माननीय उच्च न्यायालय में तथा सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार करते हुए एक टेक्निकल अधिकारी के सापेक्ष वर्तमान में 26 टेक्निकल अधिकारी कार्यरत हैं.

सभी को सुचारू रूप से निःशुल्क न्यायिक सेवा प्राप्त हो, इस उद्देश्य से सभी 13 जिलों में 13 सदस्य सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में नियुक्त किए हैं. साथ ही सभी 13 जनपदों में विशेष किशोर पुलिस इकाई की स्थापना की है. उत्तराखंड द्वारा सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को दिए जाने वाली सुविधा के संबंध में नियमावली माह दिसम्बर 2021 में अधिसूचित कर दी गई है. उत्तराखंड द्वारा राज्य में 2 वाणिज्यिक न्यायालय शुरू कर दिए गये हैं तथा शीघ्र ही राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का भी संचालन प्रारम्भ कर दिया जाएगा. देश में सर्वप्रथम वृद्ध, बीमार एवं न्यायालय आने में असमर्थ व्यक्तियों की गवाही के लिए लिए उत्तराखंड के 13 जिलों में 13 मोबाइल न्यायालय वैन की सुविधा प्रारंभ की गई है. जिससे विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही रिकॉर्ड कराई जा रही है.

इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने न्यायपालिका और लोकतंत्र के हर संस्थान को देश की सामाजिक और भौगोलिक विविधता का ही स्वरूप बताया. इस मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल, असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश सीएम पेमा खांडू, मेघालय सीएम कोनराड संगमा और पंजाब सीएम भगवंत मान भी उपस्थित रहे.

Last Updated : Apr 30, 2022, 5:33 PM IST
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