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लखवाड़ बहुद्देश्यीय परियोजना को जल्द मिलेगी वित्तीय स्वीकृति, शेखावत ने CM धामी को किया आश्वस्त

मुख्यमंत्री ने जनपद देहरादून में यमुना नदी पर स्थित 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना पर चर्चा करते हुए कहा कि परियोजना निर्माण हेतु सभी वांछित स्वीकृतियां प्राप्त हैं. लेकिन वित्तीय सहायता हेतु भारत सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति से स्वीकृति एवं केन्द्रीय अनुदान प्राप्त होते ही इस राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जा सकता है.

CM Pushkar Singh Dhami
सीएम पुष्कर सिंह धामी
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Published : Aug 11, 2021, 12:49 PM IST

देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से शिष्टाचार भेंट की. मुख्यमंत्री ने लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की भारत सरकार से वित्तीय स्वीकृति प्रदान करवाने और किसाऊ परियोजना का संशोधित एमओयू किए जाने का अनुरोध किया. इस पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की भारत सरकार से जल्द वित्तीय स्वीकृति दी जाएगी.

गौर हो कि किसाऊ परियोजना पर संबंधित राज्यों की संयुक्त बैठक की जाएगी. केंद्रीय मंत्री ने किसाऊ परियोजना के संशोधित एमओयू के लिये भी आश्वस्त किया. यह भी निर्णय लिया गया कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में जल जीवन मिशन की जल्द ही संयुक्त समीक्षा करेंगे. मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से (पीएमकेएसवाई) हर खेत को पानी योजना के अन्तर्गत पर्वतीय राज्यों के लिये मानकों में परिवर्तन या शिथिलीकरण प्रदान किये जाने का आग्रह किया. साथ ही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- 'हर खेत को पानी' अन्तर्गत 422 लघु सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति निर्गत किए जाने का भी अनुरोध किया.

मुख्यमंत्री ने जनपद देहरादून में यमुना नदी पर स्थित 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना पर चर्चा करते हुए कहा कि परियोजना निर्माण हेतु सभी वांछित स्वीकृतियां प्राप्त हैं. वित्तीय सहायता हेतु भारत सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति से स्वीकृति एवं केन्द्रीय अनुदान प्राप्त होते ही इस राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जा सकता है.

मुख्यमंत्री ने केद्रीय मंत्री से भारत सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति से लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना की शीघ्र वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने हेतु प्राथमिकता पर आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया. इस पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की भारत सरकार से जल्द वित्तीय स्वीकृति दी जाएगी.

पढ़ें-वंदना कटारिया के स्वागत कार्यक्रम की तैयारी में अव्यवस्था, नाराज हुए MLA राठौड़

मुख्यमंत्री ने किसाऊ परियोजना पर चर्चा करते हुए कहा कि परियोजना की विद्युत घटक लागत एवं जल घटक लागत को भविष्य में परियोजना की कुल पुनरीक्षित लागत के सापेक्ष क्रमशः 13.3 प्रतिशत व 86.7 प्रतिशत पर स्थिर किया जाए. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को बिना किसी बाधवार सीमा के अपने जलांश का उपयोग किये जाने और अपने जलांश के अनुपयोगी जल को (यदि कोई हो) किसी भी राज्य को विक्रय किया जाने की अनुमति हो.

उत्तराखंड को पूर्व में अपर यमुना रिवर बोर्ड द्वारा आवंटित जलांश 3.814 प्रतिशत से कम न किया जाए. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से किसाऊ बहुउद्देशीय बांध परियोजना के कार्यान्वयन को गति प्रदान करने हेतु उक्त संशोधनों के साथ अंतर्राज्यीय समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किये जाने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करवाने का अनुरोध किया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसाऊ परियोजना पर संबंधित राज्यों की संयुक्त बैठक की जाएगी. केंद्रीय मंत्री ने किसाऊ परियोजना के संशोधित एमओयू के लिये भी आश्वस्त किया.

पढ़ें-देहरादून: सुद्दोवाला जेल के कैदी बनेंगे Radio Jockey, आज से शुरू होगा ऑनलाइन ऑडिशन

मुख्यमंत्री ने केन्द्र पुरोनिधानित बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (सीएसएस-एफएमपी) के अन्तर्गत निर्माणाधीन 12 योजनाओं के लिए अवशेष केंद्रांश 29.52 करोड़ रुपये की राशि अवमुक्त करने और 38 नई बाढ़ सुरक्षा योजनाओं अनुमानित लागत 1108.38 करोड़ रुपये की इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस की स्वीकृति देने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की केन्द्र पुरोनिधानित बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के अन्तर्गत 38 नई बाढ़ सुरक्षा योजनायें, अनुमानित लागत 1108.38 करोड़ रुपए हैं. गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग, पटना, जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा टेक्नो इकोनोमिक क्लीयरेंस प्रदान किया जा चुका है. इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस के लिये प्रस्ताव जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित है, जिन पर स्वीकृति अपेक्षित है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की दुर्गम स्थिति को देखते हुए पीएमकेएसवाई-हर खेत को पानी योजना के अन्तर्गत पर्वतीय राज्यों के लिये मानकों में परिवर्तन या शिथिलीकरण प्रदान किया जाना चाहिए. सर्फेस माइनर इरीगेशन स्कीम में नहरों की पुनरोद्धार/जीर्णोद्वार, सुदृढ़ीकरण तथा विस्तारीकरण की योजनाओं को भी स्वीकृति प्रदान की जाये. पर्वतीय क्षेत्रों में नहर निर्माण की लागत अधिक होने के कारण वर्तमान प्रचलित गाइड लाइन 2.50 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर लागत की सीमा को बढ़ाकर 3.50 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर किया जाना चाहिए. बैठक में उत्तराखंड के मुख्य स्थानिक आयुक्त ओमप्रकाश, स्थानिक आयुक्त डाॅ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम भी उपस्थित थे.

देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से शिष्टाचार भेंट की. मुख्यमंत्री ने लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की भारत सरकार से वित्तीय स्वीकृति प्रदान करवाने और किसाऊ परियोजना का संशोधित एमओयू किए जाने का अनुरोध किया. इस पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की भारत सरकार से जल्द वित्तीय स्वीकृति दी जाएगी.

गौर हो कि किसाऊ परियोजना पर संबंधित राज्यों की संयुक्त बैठक की जाएगी. केंद्रीय मंत्री ने किसाऊ परियोजना के संशोधित एमओयू के लिये भी आश्वस्त किया. यह भी निर्णय लिया गया कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में जल जीवन मिशन की जल्द ही संयुक्त समीक्षा करेंगे. मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से (पीएमकेएसवाई) हर खेत को पानी योजना के अन्तर्गत पर्वतीय राज्यों के लिये मानकों में परिवर्तन या शिथिलीकरण प्रदान किये जाने का आग्रह किया. साथ ही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- 'हर खेत को पानी' अन्तर्गत 422 लघु सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति निर्गत किए जाने का भी अनुरोध किया.

मुख्यमंत्री ने जनपद देहरादून में यमुना नदी पर स्थित 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना पर चर्चा करते हुए कहा कि परियोजना निर्माण हेतु सभी वांछित स्वीकृतियां प्राप्त हैं. वित्तीय सहायता हेतु भारत सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति से स्वीकृति एवं केन्द्रीय अनुदान प्राप्त होते ही इस राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जा सकता है.

मुख्यमंत्री ने केद्रीय मंत्री से भारत सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति से लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना की शीघ्र वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने हेतु प्राथमिकता पर आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया. इस पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की भारत सरकार से जल्द वित्तीय स्वीकृति दी जाएगी.

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मुख्यमंत्री ने किसाऊ परियोजना पर चर्चा करते हुए कहा कि परियोजना की विद्युत घटक लागत एवं जल घटक लागत को भविष्य में परियोजना की कुल पुनरीक्षित लागत के सापेक्ष क्रमशः 13.3 प्रतिशत व 86.7 प्रतिशत पर स्थिर किया जाए. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को बिना किसी बाधवार सीमा के अपने जलांश का उपयोग किये जाने और अपने जलांश के अनुपयोगी जल को (यदि कोई हो) किसी भी राज्य को विक्रय किया जाने की अनुमति हो.

उत्तराखंड को पूर्व में अपर यमुना रिवर बोर्ड द्वारा आवंटित जलांश 3.814 प्रतिशत से कम न किया जाए. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से किसाऊ बहुउद्देशीय बांध परियोजना के कार्यान्वयन को गति प्रदान करने हेतु उक्त संशोधनों के साथ अंतर्राज्यीय समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किये जाने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करवाने का अनुरोध किया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसाऊ परियोजना पर संबंधित राज्यों की संयुक्त बैठक की जाएगी. केंद्रीय मंत्री ने किसाऊ परियोजना के संशोधित एमओयू के लिये भी आश्वस्त किया.

पढ़ें-देहरादून: सुद्दोवाला जेल के कैदी बनेंगे Radio Jockey, आज से शुरू होगा ऑनलाइन ऑडिशन

मुख्यमंत्री ने केन्द्र पुरोनिधानित बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (सीएसएस-एफएमपी) के अन्तर्गत निर्माणाधीन 12 योजनाओं के लिए अवशेष केंद्रांश 29.52 करोड़ रुपये की राशि अवमुक्त करने और 38 नई बाढ़ सुरक्षा योजनाओं अनुमानित लागत 1108.38 करोड़ रुपये की इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस की स्वीकृति देने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की केन्द्र पुरोनिधानित बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के अन्तर्गत 38 नई बाढ़ सुरक्षा योजनायें, अनुमानित लागत 1108.38 करोड़ रुपए हैं. गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग, पटना, जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा टेक्नो इकोनोमिक क्लीयरेंस प्रदान किया जा चुका है. इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस के लिये प्रस्ताव जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित है, जिन पर स्वीकृति अपेक्षित है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की दुर्गम स्थिति को देखते हुए पीएमकेएसवाई-हर खेत को पानी योजना के अन्तर्गत पर्वतीय राज्यों के लिये मानकों में परिवर्तन या शिथिलीकरण प्रदान किया जाना चाहिए. सर्फेस माइनर इरीगेशन स्कीम में नहरों की पुनरोद्धार/जीर्णोद्वार, सुदृढ़ीकरण तथा विस्तारीकरण की योजनाओं को भी स्वीकृति प्रदान की जाये. पर्वतीय क्षेत्रों में नहर निर्माण की लागत अधिक होने के कारण वर्तमान प्रचलित गाइड लाइन 2.50 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर लागत की सीमा को बढ़ाकर 3.50 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर किया जाना चाहिए. बैठक में उत्तराखंड के मुख्य स्थानिक आयुक्त ओमप्रकाश, स्थानिक आयुक्त डाॅ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम भी उपस्थित थे.

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