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सफारी के लिहाज से रिजेक्ट हो चुकी थी इंटरसेप्टर, सवालों में उलझा चीला हादसा? इन जवाबों का इंतजार! - Major accident in Chilla range

Forest Department Interceptor Accident, Interceptor accident Chilla range चीला मार्ग पर हुये सड़क हादसे को दूसरा हफ्ता हो रहा है. इसमें मरने वालों की संख्या भी बढ़कर 6 हो गयी है. इसके बावजूद ऐसे कई सवाल हैं, जिनका सार्वजनिक रूप से जवाब मिलना बाकी है. सवाल हादसे के पीछे की सटीक वजह, दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी की तकनीकी जानकारी, इसमें नियमों की अनदेखी से जुड़ा है. यही नहीं सामने आए वीडियो को लेकर भी सस्पेंस बना हुआ है, जिसके जवाब वन विभाग को देने हैं.

Interceptor accident Chilla range
सवालों में उलझा चीला हादसा?
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 18, 2024, 10:12 AM IST

Updated : Jan 18, 2024, 4:21 PM IST

सवालों में उलझा चीला हादसा?

देहरादून: उत्तराखंड में साल 2024 की शुरुआत एक बड़ी दुर्घटना से हुई. ऋषिकेश में चीला मार्ग पर वाहन के ट्रायल के दौरान हुए हादसे में 5 वन कर्मियों समेत 6 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. इस घटना को करीब 9 दिन बीत चुके हैं. इसके बाद भी ऐसे कई सवाल हैं जिनका अब भी जवाब मिलना बाकी है. ये सवाल वाहन के ट्रायल लेने की प्रक्रिया से लेकर वाहन ट्रायल नियमों की अनदेखी का है. इतना ही नहीं, सामने आए दुर्घटना के वीडियो पर भी वन विभाग हैरत में है.

Interceptor accident Chilla range
सफारी के लिहाज से रिजेक्ट हो चुकी थी इंटरसेप्टर

दरअसल, बीती 8 जनवरी को हरिद्वार-ऋषिकेश हाइवे स्थित चीला मार्ग पर एक इलेक्ट्रिक व्हीकल दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. वन विभाग का ये वाहन ट्रायल के दौरान एक पेड़ से टकरा गया था. इस दुर्घटना में 4 लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी, जबकि विभाग की SDO आलोकी नहर में डूब गई थीं, जिनका शव चार दिन बाद नहर से बरामद किया गया. इस घटना को लेकर ईटीवी भारत ने विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल से लेकर कई अफसरों से बातचीत की. जिसके बाद ऐसे कई सवाल सामने आए जो वाकई हैरान करने वाले हैं.

Interceptor accident Chilla range
दुर्घटनाग्रस्त इंटरसेप्टर

ये हैं कई अनसुलझे सवाल

  • चीला मार्ग पर दुर्घटनाग्रस्त वाहन में क्षमता से ज्यादा 10 लोग क्यों सवार थे?
  • ट्रायल लेने से पहले वन विभाग को दुर्घटनाग्रस्त वाहन के रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंस की कोई जानकारी क्यों नहीं थी?
  • जब ट्रायल विभाग के मंत्री और अफसर ले चुके थे तो दोबारा वन कर्मी क्यों इसका ट्रायल ले रहे थे?
  • जब इस वाहन को सफारी के रूप में उपयोग के लिए ट्रायल में लाया जाना था तो इसे सड़क पर तेज स्पीड में क्यों दौड़ाया गया?
  • तकनीकी जानकर (जैसे परिवहन विभाग का RI) के बिना क्यों ट्रायल लिया जा रहा था?
  • गाड़ी की कम ऊंचाई और इसकी चौड़ाई जब पहले ही सफारी के लिए उपयुक्त नहीं थी तो फिर क्यों इसी गाड़ी से ट्रायल किया गया?
  • सफारी के लिए जिप्सी के विकल्प के तौर पर करीब 40 लाख की महंगी गाड़ी का ट्रायल लेने की क्या थी जरूरत?
  • बाजार में कई पुरानी कम्पनियां मौजूद हैं, बावजूद इसके स्टार्टअप वाली कम्पनी को ट्रायल के लिए प्राथमिकता क्यों?
  • गाड़ी के एक्सीडेंट का वीडियो कहां से लीक हुआ, वन विभाग भी वीडियो से अनजान?
  • क्या मंत्री और PCCF वाइल्ड लाइफ के ट्रायल के दौरान भी रिकॉर्ड हुआ था ऑडियो-वीडियो?

इन तमाम सवालों को ईटीवी भारत ने विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल के भी सामने रखा. जिस पर कोई ठोस जानकारी वाला जवाब नहीं मिल पाया. हालांकि, उन्होंने इस घटना को दुखद बताते हुए मामले में कंपनी पर मुकदमा करने और पुलिस की जांच में सभी तथ्य सामने आने की बात कही.

पढे़ं- वन रेंजर्स का मौत का 'ट्रायल', सवालों में खस्ताहाल इंटरसेप्टर, जांच के आदेश, सुबह तक टला सर्च ऑपरेशन

चीला मार्ग पर हादसे को लेकर ये 10 सवाल वन महकमे के लिए भी सरदर्द बने हुए हैं. इसमें से अधिकतर सवालों पर विभाग के अधिकारियों ने इसे महज ट्रायल कहकर सवालों को टाल दिया. जबकि पहली ही नजर में विभाग के उपयोग के लिहाज से अनुपयोगी इस वाहन में जरूरी बदलाव के बाद ही विचार किया जाना सही माना जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. बड़े अफसरों के बाद फील्ड कर्मी भी ट्रायल के लिए उतर आये.

Interceptor accident Chilla range
सवालों में उलझा चीला हादसा?

हादसे के बाद से ही सवालों के घेरे में ट्रायल: इस हादसे के बाद से ही इलेक्ट्रिक वाहन का ट्रायल सवालों के घेरे में है. वन विभाग के अंदर भी इस पर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. कहीं हादसे को लेकर रोष है तो कहीं ट्रायल की जरूरत पर प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं. वन विभाग में अब तक जिप्सी से सफारी करवाई जाती है. इनकी कीमत करीब 10 लाख तक है, फिर 40 लाख की गाड़ी का ट्रायल लेना समझ से परे है.

पढे़ं- उत्तराखंड में बड़ा हादसा, PMO उपसचिव के भाई समेत 4 वनाधिकारियों की मौत, महिला नहर में लापता, 5 घायल

इंटरसेप्टर को लेकर भी खड़े हो रहे सवाल: कई लोग सवाल ये भी कर रहे हैं कि जिस गाड़ी का ट्रायल लिया जा रहा था, उसे क्या किसी टाइगर रिजर्व से सफारी के तौर पर कोई अनुमति मिली थी? यदि नहीं तो फिर ऐसे वाहन का स्ट्रक्चर सफारी लायक नहीं होने पर उसका बार बार बिना बदलाव के ट्रायल क्यों लिया जाता रहा? वैसे इस मामले में पहली बार वन मंत्री सुबोध उनियाल ने विस्तृत रूप से ईटीवी भारत से बात भी की. जिसमें उन्होंने सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश की. उन्होंने कई मामलों में ट्रायल को लेकर खामियां होने की बात भी स्वीकार की. मगर इसके बाद भी ऐसे कई सवाल हैं जो अभी भी अनसुलझे हैं.

सवालों में उलझा चीला हादसा?

देहरादून: उत्तराखंड में साल 2024 की शुरुआत एक बड़ी दुर्घटना से हुई. ऋषिकेश में चीला मार्ग पर वाहन के ट्रायल के दौरान हुए हादसे में 5 वन कर्मियों समेत 6 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. इस घटना को करीब 9 दिन बीत चुके हैं. इसके बाद भी ऐसे कई सवाल हैं जिनका अब भी जवाब मिलना बाकी है. ये सवाल वाहन के ट्रायल लेने की प्रक्रिया से लेकर वाहन ट्रायल नियमों की अनदेखी का है. इतना ही नहीं, सामने आए दुर्घटना के वीडियो पर भी वन विभाग हैरत में है.

Interceptor accident Chilla range
सफारी के लिहाज से रिजेक्ट हो चुकी थी इंटरसेप्टर

दरअसल, बीती 8 जनवरी को हरिद्वार-ऋषिकेश हाइवे स्थित चीला मार्ग पर एक इलेक्ट्रिक व्हीकल दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. वन विभाग का ये वाहन ट्रायल के दौरान एक पेड़ से टकरा गया था. इस दुर्घटना में 4 लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी, जबकि विभाग की SDO आलोकी नहर में डूब गई थीं, जिनका शव चार दिन बाद नहर से बरामद किया गया. इस घटना को लेकर ईटीवी भारत ने विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल से लेकर कई अफसरों से बातचीत की. जिसके बाद ऐसे कई सवाल सामने आए जो वाकई हैरान करने वाले हैं.

Interceptor accident Chilla range
दुर्घटनाग्रस्त इंटरसेप्टर

ये हैं कई अनसुलझे सवाल

  • चीला मार्ग पर दुर्घटनाग्रस्त वाहन में क्षमता से ज्यादा 10 लोग क्यों सवार थे?
  • ट्रायल लेने से पहले वन विभाग को दुर्घटनाग्रस्त वाहन के रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंस की कोई जानकारी क्यों नहीं थी?
  • जब ट्रायल विभाग के मंत्री और अफसर ले चुके थे तो दोबारा वन कर्मी क्यों इसका ट्रायल ले रहे थे?
  • जब इस वाहन को सफारी के रूप में उपयोग के लिए ट्रायल में लाया जाना था तो इसे सड़क पर तेज स्पीड में क्यों दौड़ाया गया?
  • तकनीकी जानकर (जैसे परिवहन विभाग का RI) के बिना क्यों ट्रायल लिया जा रहा था?
  • गाड़ी की कम ऊंचाई और इसकी चौड़ाई जब पहले ही सफारी के लिए उपयुक्त नहीं थी तो फिर क्यों इसी गाड़ी से ट्रायल किया गया?
  • सफारी के लिए जिप्सी के विकल्प के तौर पर करीब 40 लाख की महंगी गाड़ी का ट्रायल लेने की क्या थी जरूरत?
  • बाजार में कई पुरानी कम्पनियां मौजूद हैं, बावजूद इसके स्टार्टअप वाली कम्पनी को ट्रायल के लिए प्राथमिकता क्यों?
  • गाड़ी के एक्सीडेंट का वीडियो कहां से लीक हुआ, वन विभाग भी वीडियो से अनजान?
  • क्या मंत्री और PCCF वाइल्ड लाइफ के ट्रायल के दौरान भी रिकॉर्ड हुआ था ऑडियो-वीडियो?

इन तमाम सवालों को ईटीवी भारत ने विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल के भी सामने रखा. जिस पर कोई ठोस जानकारी वाला जवाब नहीं मिल पाया. हालांकि, उन्होंने इस घटना को दुखद बताते हुए मामले में कंपनी पर मुकदमा करने और पुलिस की जांच में सभी तथ्य सामने आने की बात कही.

पढे़ं- वन रेंजर्स का मौत का 'ट्रायल', सवालों में खस्ताहाल इंटरसेप्टर, जांच के आदेश, सुबह तक टला सर्च ऑपरेशन

चीला मार्ग पर हादसे को लेकर ये 10 सवाल वन महकमे के लिए भी सरदर्द बने हुए हैं. इसमें से अधिकतर सवालों पर विभाग के अधिकारियों ने इसे महज ट्रायल कहकर सवालों को टाल दिया. जबकि पहली ही नजर में विभाग के उपयोग के लिहाज से अनुपयोगी इस वाहन में जरूरी बदलाव के बाद ही विचार किया जाना सही माना जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. बड़े अफसरों के बाद फील्ड कर्मी भी ट्रायल के लिए उतर आये.

Interceptor accident Chilla range
सवालों में उलझा चीला हादसा?

हादसे के बाद से ही सवालों के घेरे में ट्रायल: इस हादसे के बाद से ही इलेक्ट्रिक वाहन का ट्रायल सवालों के घेरे में है. वन विभाग के अंदर भी इस पर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. कहीं हादसे को लेकर रोष है तो कहीं ट्रायल की जरूरत पर प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं. वन विभाग में अब तक जिप्सी से सफारी करवाई जाती है. इनकी कीमत करीब 10 लाख तक है, फिर 40 लाख की गाड़ी का ट्रायल लेना समझ से परे है.

पढे़ं- उत्तराखंड में बड़ा हादसा, PMO उपसचिव के भाई समेत 4 वनाधिकारियों की मौत, महिला नहर में लापता, 5 घायल

इंटरसेप्टर को लेकर भी खड़े हो रहे सवाल: कई लोग सवाल ये भी कर रहे हैं कि जिस गाड़ी का ट्रायल लिया जा रहा था, उसे क्या किसी टाइगर रिजर्व से सफारी के तौर पर कोई अनुमति मिली थी? यदि नहीं तो फिर ऐसे वाहन का स्ट्रक्चर सफारी लायक नहीं होने पर उसका बार बार बिना बदलाव के ट्रायल क्यों लिया जाता रहा? वैसे इस मामले में पहली बार वन मंत्री सुबोध उनियाल ने विस्तृत रूप से ईटीवी भारत से बात भी की. जिसमें उन्होंने सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश की. उन्होंने कई मामलों में ट्रायल को लेकर खामियां होने की बात भी स्वीकार की. मगर इसके बाद भी ऐसे कई सवाल हैं जो अभी भी अनसुलझे हैं.

Last Updated : Jan 18, 2024, 4:21 PM IST
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