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उच्च हिमालयी क्षेत्रों में होमस्टे योजना को बढ़ावा देने की जरूरत- उत्पल कुमार

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Published : Jul 24, 2019, 12:37 PM IST

उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने प्रेदश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों को दौरा किया. इस दौरान उन्होंने यहां के निवासियों से उनकी रोजमर्रा की जिंगदी को लेकर चर्चा की. मुख्य सचिव का कहना है कि रोजगार की दृष्टि से यहां होमस्टे योजना को बढ़ावा देने की जरूरत है.

मुख्य सचिव ने किया उच्च हिमालयी क्षेत्रों को दौरा

देहरादून: प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने हिमालय की गोद मे बसे ग्रामीण अंचलों में दौरा किया. इस दौरान उन्होंने यहां के लोगों से बीत की और यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को जाना और समझा. 2 दिवसीय दौरे से लौटे मुख्य सचिव ने बताया कि उन सारे विषयों को नजदीक से देखा जो कि इन लोगों के लिए इस क्षेत्र में बसे रहने के लिए सबसे जरूरी हैं.

मुख्य सचिव ने सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील के सीमांत क्षेत्र ब्यास घाटी में पड़ने वाले गांव बूंदी, गर्ब्याल, नप्लचु, गुंजी, नाबी, रोंगकांग और कुटी सहित कुल 7 गांवों का भृमण किया. मुख्य सचिव ने बताया कि सूबे के बॉर्डर एरिया से लगे इन अंचलों में परिस्थितियां तो काफी विपरीत है लेकिन यहां के लोगों में गर्मजोशी और जज्बा काबिले तारीफ है. मुख्यसचिव ने बताया कि राज्य की तमाम योजनाएं इन तक भी पहुंच रही हैं. हालांकि, काफी कुछ अभी इन क्षेत्रों के लिए किया जाना अभी भी बाकी है.

मुख्य सचिव ने किया उच्च हिमालयी क्षेत्रों को दौरा.

मुख्य सचिव ने बताया कि उनको गूंजी पंचायत, कुत्ती पांवहायत में लोगों के साथ समय बिताने का मौका मिला. इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से वहां के हालातों और जरूरतों पर बातचीत की, जिसमे निकल कर आया कि इन क्षेत्रों में पर्यटकों के बढ़ते रुझान के चलते होमस्टे योजना में काफी काम हुआ है. सुदूर हिमालय अंचलों में बसे प्राकृतिक और सुंदर पहाड़ी शिल्प के आशियाने पर्यटकों को खूब भा रहे हैं. लेकिन इसके अलावा अभी भी इन क्षेत्रों में रोजगार की अन्य संभावनाओं को तलाशने की बेहद जरूरत है, उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में जड़ी बूटी उत्पादन के रूप में हॉर्टिकल्चर कई अत्यधिक संभावनाएं है.

पढ़ें- जल्द खुलेगी चीन बॉर्डर की सड़कें, त्रिवेंद्र सरकार का सीमाओं के विकास पर फोकस

इसके अलावा मानसरोवर यात्रा के जरिए भी इस क्षेत्र में रोजगार का एक नया विकल्प खुल सकता है. मुख्यसचिव ने बताया कि यहां से मानसरोवर यात्रा का पारम्परिक मार्ग है और इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार इस मार्ग को खोलने के लिए प्रयासरत है.

2 अंतराष्ट्रीय और 3 अंतराज्यीय सीमा से लगा उत्तराखंड सीमावर्ती क्षेत्रों में अवस्थापना विकास के महत्व को भली भांति जानता है. उत्तराखंड इस बात से वाकिफ है कि सीमाओं पर जितना जरूरी मजबूत सुरक्षा बल उस से ज्यादा महत्वपूर्ण सुदूर सीमावर्ती क्षेत्र में विषम परिस्थितियों में रहने वाले अलग-अलग जनजातीय समाज के लोग हैं तो स्वाभाविक है कि सीमाओं की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले तब तक ही वहां रह पाएंगे, जब तक उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली अवस्थापना सुविधाएं मिल पाएगी.

देहरादून: प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने हिमालय की गोद मे बसे ग्रामीण अंचलों में दौरा किया. इस दौरान उन्होंने यहां के लोगों से बीत की और यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को जाना और समझा. 2 दिवसीय दौरे से लौटे मुख्य सचिव ने बताया कि उन सारे विषयों को नजदीक से देखा जो कि इन लोगों के लिए इस क्षेत्र में बसे रहने के लिए सबसे जरूरी हैं.

मुख्य सचिव ने सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील के सीमांत क्षेत्र ब्यास घाटी में पड़ने वाले गांव बूंदी, गर्ब्याल, नप्लचु, गुंजी, नाबी, रोंगकांग और कुटी सहित कुल 7 गांवों का भृमण किया. मुख्य सचिव ने बताया कि सूबे के बॉर्डर एरिया से लगे इन अंचलों में परिस्थितियां तो काफी विपरीत है लेकिन यहां के लोगों में गर्मजोशी और जज्बा काबिले तारीफ है. मुख्यसचिव ने बताया कि राज्य की तमाम योजनाएं इन तक भी पहुंच रही हैं. हालांकि, काफी कुछ अभी इन क्षेत्रों के लिए किया जाना अभी भी बाकी है.

मुख्य सचिव ने किया उच्च हिमालयी क्षेत्रों को दौरा.

मुख्य सचिव ने बताया कि उनको गूंजी पंचायत, कुत्ती पांवहायत में लोगों के साथ समय बिताने का मौका मिला. इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से वहां के हालातों और जरूरतों पर बातचीत की, जिसमे निकल कर आया कि इन क्षेत्रों में पर्यटकों के बढ़ते रुझान के चलते होमस्टे योजना में काफी काम हुआ है. सुदूर हिमालय अंचलों में बसे प्राकृतिक और सुंदर पहाड़ी शिल्प के आशियाने पर्यटकों को खूब भा रहे हैं. लेकिन इसके अलावा अभी भी इन क्षेत्रों में रोजगार की अन्य संभावनाओं को तलाशने की बेहद जरूरत है, उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में जड़ी बूटी उत्पादन के रूप में हॉर्टिकल्चर कई अत्यधिक संभावनाएं है.

पढ़ें- जल्द खुलेगी चीन बॉर्डर की सड़कें, त्रिवेंद्र सरकार का सीमाओं के विकास पर फोकस

इसके अलावा मानसरोवर यात्रा के जरिए भी इस क्षेत्र में रोजगार का एक नया विकल्प खुल सकता है. मुख्यसचिव ने बताया कि यहां से मानसरोवर यात्रा का पारम्परिक मार्ग है और इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार इस मार्ग को खोलने के लिए प्रयासरत है.

2 अंतराष्ट्रीय और 3 अंतराज्यीय सीमा से लगा उत्तराखंड सीमावर्ती क्षेत्रों में अवस्थापना विकास के महत्व को भली भांति जानता है. उत्तराखंड इस बात से वाकिफ है कि सीमाओं पर जितना जरूरी मजबूत सुरक्षा बल उस से ज्यादा महत्वपूर्ण सुदूर सीमावर्ती क्षेत्र में विषम परिस्थितियों में रहने वाले अलग-अलग जनजातीय समाज के लोग हैं तो स्वाभाविक है कि सीमाओं की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले तब तक ही वहां रह पाएंगे, जब तक उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली अवस्थापना सुविधाएं मिल पाएगी.

Intro:summary- पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्तीय क्षेत्रों की परिस्थितियों की जानकारी मुख्यसचिव उत्तप्ल कुमार सिंह ने दी।

Note- इस ख़बर पर बाइट मुख्यसचिव की भेजी जा रही है लकिन अन्य वीसुअल, कुछ किरन सर उपलब्ध करवाएंगे ओर कुछ स्थानीय संवादतों से ले कर अच्छा पैकेज बन सकता है। कृपया श्पेशल में लागये।


एंकर- प्रदेश के सीमावर्तीय उच्च हिमालयी क्षेत्रों में देश और राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्तीय लोगों के बीच मुख्यसचिव उत्प्पल कुमार सिंह अपने दो दिवसीय दौरे में पंहुचे थे जिससे लौटने के बाद मंगलवार को उन्होंने इन क्षेत्रों की विषयवस्तु को मीडिया के सामने रखा साथ ही ये भी बताया कि इन क्षेत्रों में अभी और कितना काम करने की जरूरत है।





Body:वीओ- सोमवार देर शाम पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्तीय क्षेत्र में 2 दिवसीय दौरे से वापिस लौटे मुख्यसचिव ने चीन की सीमा से लगे भारतीय सीमा के भीतर आखरी छोर पर हिमालय की गोद मे बसें ग्रामीण अंचलों में दौरा किया। मुख्यसचिव ने सीमावर्तीय जिले पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील के सीमांत क्षेत्र ब्यास घाटी में पड़ने वाले गांव- बूंदी, गर्ब्याल, नप्लचु, गुंजी, नाबी, रोंगकांग और कुटी सहित कुल 7 गांवों का भृमण किया और इस दौरान उन्होंने उन सारे विषयों को नजदीक से देखा जो कि इन लोगों के लिए इस क्षेत्र में बसे रहने के लिए सबसे जरूरी है।

मुख्यसचिव ने बताया कि सूबे के बॉर्डर एरिया से लगे इन अंचलों में परिस्थितियां तो काफी विपरीत है लेकिन यंहा रहने वाले लोगों की गर्मजोशी ओर जज्बा काबिलेतारीफ है। मुख्यसचिव ने बताया कि राज्य की तमाम योजनाये इन तक भी पहुंच रही है हालांकि काफी कुछ अभी इन क्षेत्रों के लिए किया जाना अभी भी बाकी है।

मुख्य सचिव ने बताया कि वो गूंजी पंचायत कुत्ती पाँवहायत में इन लोगों के साथ समय बिताने का मौका मिला। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से क्षेते की समस्याओं पर बात चीत की। यंहा के हालातों और जरूरतों पर ग्रमीणों से बातचीत की जिसमे निकल कर आया की इन क्षेत्रों में पर्यटकों के बढ़ते रुझान के चलते होमस्टे योजना में काफी काम हुआ है। सुदूर हिमालय अंचलों में बसे प्रकार्तिक और सुंदर पहाड़ी शिल्प के आशियाने पर्यटकों को खूब भा रहे हैं। लेकिन इसके अलावा मुख्यसचिव ने कहा कि अभी भी इन क्षेत्रों में रोजगार के अन्य सम्भावनाओं को तलाशने की बेहद जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में जड़ी बूटी उत्पादन के रूप में होलटिक्लचर कई अत्यधिक संभावनाएं है।

इसके अलावा मानसरोवर यात्रा के जरिए भी इस क्षेत्र में रोजगार का एक नया विकल्प खुल सकता है। मुख्यसचिव ने कहा कि यंहा से मानसरोवर यात्रा का पारम्परिक मार्ग है और इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार इस मार्ग को खोलने के लिए प्रयासरत है।

बाइट- उत्पल कुमार सिंह, मुख्यसचिव


Conclusion:2 अंतराष्ट्रीय और 3 अंतराज्यीय सीमा से लगा उत्तराखंड सीमावर्ती क्षेत्रों में अवस्थापना विकास के महत्व को भली भांति जानता है। उत्तराखंड इस बात से वाकिफ है कि सीमाओं पर जितना जरूरी मजबूत सुरक्षा बल उस से ज्यादा महत्वपूर्ण सुदूर सीमावर्तीय क्षेत्र में विषम परिस्थितियों में रहने वाले अलग अलग जनजातीय समाज के लोग है। तो स्वाभाविक है कि सीमाओं की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सीमावर्तीय क्षेत्रों में रहने वाले तब तक ही वंहा राह पाएंगे जब तक उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली अवस्थापना सुविधायें मिल पाएगी। और यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार सीमावर्तीय क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के विकास के लिए कटिबद्ध है।
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