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अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल का बलिदान दिवस आज, CM धामी ने दी श्रद्धांजलि - Martyr Major Durga Malla's death anniversary Latest News

आज शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की पुण्यतिथि है. इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

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अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की पुण्यतिथि आज
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Published : Aug 25, 2021, 3:21 PM IST

देहरादून: शहीद मेजर दुर्गा मल्ल के बलिदान दिवस पर आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने शहीदों की याद में प्रदेश भर में बड़े कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही. साथ ही उन्होंने युवाओं को भी ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने की सलाह दी.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद दुर्गा मल्ल पार्क, गढी कैंट और गांधी पार्क स्थित शहीद दुर्गामल्ल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दते हुए उन्हें याद किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर शहीद दुर्गामल्ल का बलिदान हम सभी को प्रेरणा देता है. जीवन तो सभी जीते हैं परन्तु दुनिया सदियों तक केवल उन्हीं को याद करती है जिन्होंने अपने देश के लिये संघर्ष और बलिदान दिया हो.

अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की पुण्यतिथि आज

पढ़ें- हरदा के दरबार से सिद्धू समर्थकों को झटका, बोले- अमरिंदर ही रहेंगे चुनाव में 'कैप्टन'

अमर शहीद दुर्गामल्ल ऐसे ही व्यक्तित्व थे. ये हमारा कर्तव्य है कि हमारी आने वाली पीढ़ी, शहीदों के संघर्ष और बलिदान के बारे में जानें. शहीदों की स्मृति में कार्यक्रम बड़े स्तर पर आयोजित किये जाने चाहिये. युवाओं को इनमें प्रतिभागिता करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए.

पढ़ें- राज्य कर्मचारियों व पेंशनरों को सौगात, 11 फीसदी बढ़ाया गया महंगाई भत्ता, एरियर भी मिलेगा

कौन थे शहीद मेजर दुर्गा मल्ल: बता दें शहीद मेजर दुर्गा मल्ल का जन्म डोईवाला (घिस्सरपड़ी) में एक जुलाई 1913 को हुआ. उनके पिता का नाम गंगाराम मल्ल था, जो एक गोरखा परिवार था. दुर्गा मल्ल के भीतर बचपन से ही देशभक्ति का जुनून था. वर्ष 1942 में वह सिंगापुर में भारतीय फौज के गोरखा राइफल में हवलदार थे. इसके बाद वह देश को आजादी दिलाने के उद्देश्य से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिद फौज में भर्ती हो गए.

आजाद हिंद फौज में उन्हें गुप्तचर का प्रमुख कार्य सौंपा गया. इस बीच भारत-वर्मा सीमा पार कर गुप्तचरी कार्य के लिए आसाम में प्रवेश करते हुए ब्रिटिश फौज ने 27 मार्च 1944 को उन्हें बंदी बना लिया. उसके बाद ब्रिटिश फौजी अदालत ने उन्हें मृत्युदंड की सजा दी. 25 अगस्त 1944 को जिला जेल दिल्ली में मेजर दुर्गा मल्ल को फांसी की सजा दी गई. उनकी याद में डोईवाला नगर पालिका में स्मारक भी बनाया गया है.

देहरादून: शहीद मेजर दुर्गा मल्ल के बलिदान दिवस पर आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने शहीदों की याद में प्रदेश भर में बड़े कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही. साथ ही उन्होंने युवाओं को भी ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने की सलाह दी.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद दुर्गा मल्ल पार्क, गढी कैंट और गांधी पार्क स्थित शहीद दुर्गामल्ल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दते हुए उन्हें याद किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर शहीद दुर्गामल्ल का बलिदान हम सभी को प्रेरणा देता है. जीवन तो सभी जीते हैं परन्तु दुनिया सदियों तक केवल उन्हीं को याद करती है जिन्होंने अपने देश के लिये संघर्ष और बलिदान दिया हो.

अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की पुण्यतिथि आज

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अमर शहीद दुर्गामल्ल ऐसे ही व्यक्तित्व थे. ये हमारा कर्तव्य है कि हमारी आने वाली पीढ़ी, शहीदों के संघर्ष और बलिदान के बारे में जानें. शहीदों की स्मृति में कार्यक्रम बड़े स्तर पर आयोजित किये जाने चाहिये. युवाओं को इनमें प्रतिभागिता करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए.

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कौन थे शहीद मेजर दुर्गा मल्ल: बता दें शहीद मेजर दुर्गा मल्ल का जन्म डोईवाला (घिस्सरपड़ी) में एक जुलाई 1913 को हुआ. उनके पिता का नाम गंगाराम मल्ल था, जो एक गोरखा परिवार था. दुर्गा मल्ल के भीतर बचपन से ही देशभक्ति का जुनून था. वर्ष 1942 में वह सिंगापुर में भारतीय फौज के गोरखा राइफल में हवलदार थे. इसके बाद वह देश को आजादी दिलाने के उद्देश्य से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिद फौज में भर्ती हो गए.

आजाद हिंद फौज में उन्हें गुप्तचर का प्रमुख कार्य सौंपा गया. इस बीच भारत-वर्मा सीमा पार कर गुप्तचरी कार्य के लिए आसाम में प्रवेश करते हुए ब्रिटिश फौज ने 27 मार्च 1944 को उन्हें बंदी बना लिया. उसके बाद ब्रिटिश फौजी अदालत ने उन्हें मृत्युदंड की सजा दी. 25 अगस्त 1944 को जिला जेल दिल्ली में मेजर दुर्गा मल्ल को फांसी की सजा दी गई. उनकी याद में डोईवाला नगर पालिका में स्मारक भी बनाया गया है.

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