देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व IAS आराधना जौहरी द्वारा उत्तराखण्ड के मंदिरों पर लिखी गई पुस्तक 'BEYOND THE MISTY VEIL' (Temple Tales OF Uttarakhand) का विमोचन किया. इस कार्यक्रम का आयोजन सीएम कैंप कार्यालय देहरादून स्थित मुख्य सेवक सदन में किया गया.
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुस्तक की लेखिका सुश्री आराधना जौहरी को बधाई देते हुए कहा कि यह पुस्तक देश-विदेश में उत्तराखंड के दिव्य मंदिरों के एक प्रामाणिक परिचय के रूप में जानी जाएगी. इस पुस्तक से लोगों को बेहतरीन जानकारी मिलेगी, पुस्तक की सामग्री से जाहिर होता है कि लेखिका ने इसमें कितनी मेहनत की है. देवभूमि उत्तराखंड के पौराणिक मंदिरों पर आधारित पुस्तक हमें अपनी संस्कृति और माइथोलाॅजी के बारे में अवगत कराती है. लेखिका आराधना जौहरी ने अपने सेवाकाल में बतौर नैनीताल डीएम बहुत से विशिष्ट कार्य किये. अब पुस्तक लेखन द्वारा यह अपना योगदान दे रही हैं.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुस्तक से उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. लोगों को अनगिनत मंदिरों और उनसे जुड़ी लोक गाथाओं के बारे में पता चलेगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु मानसखंड कॉरिडोर पर कार्य कर रही है. उनका प्रयास है कि विभिन्न धार्मिक सर्किटों का विकास किया जा सके. चारधाम के अलावा भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए उन्होंने कहा इसके तहत हम राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आने वाले मुख्य मंदिरों को आपस में जोड़ेंगे एवं सर्किट के रूप में विकसित करके धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपने जीवन में विशिष्ट कार्य कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए, जिससे हम समाज में अपनी अलग पहचान बना सकें. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें देवभूमि उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना है. इसके लिये सभी विभागों को रोडमैप तैयार करने को कहा गया है, सभी को मिलकर इसमें अपना योगदान देना है.
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पुस्तक की लेखिका आराधना जौहरी ने कहा कf देवभूमि उत्तराखंड में उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई है, उनके पिताजी नैनीताल के डीएम रहे फिर 30 साल बाद वो स्वयं यहां की डीएम रहीं. देवभूमि को सेवाएं देना उनके लिए सौभाग्य की बात है. उन्होंने कहा कि नैनीताल में पोस्टिंग के दौरान देवभूमि की संस्कृति यहां के मंदिरों लोक देवताओं को करीब से जानने का मौका मिला.
वे स्वयं मंदिरों तक गईं और वहां की तमाम जानकारियां पुस्तक में देने की कोशिश की है. उनकी यात्रा उतनी ही सुन्दर रही जितनी सुंदर मंजिल थी. यहां का स्थापत्य, इतिहास, लोकगाथाएं, माइथोलाॅजी अद्भुत है. जिसे एक पुस्तक में समेटना आसान नहीं था. 300 पृष्ठ की पुस्तक में तीन वर्ष तक शोध किया. उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य में चारधाम के अतिरिक्त भी धार्मिक पर्यटन की अपार संभावना है. यह पुस्तक इसमें सहायक होगी.