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हरक को झटका: कर्मकार कल्याण बोर्ड की पूर्व सचिव के खिलाफ चार्जशीट, ये है पूरा मामला - Workers Welfare Board Ex-Secretary Damayanti Rawat

हरक सिंह रावत को जोर का झटका लगा है. पिछले दिनों श्रम मंत्री हरक सिंह रावत समेत कर्मकार कल्याण बोर्ड की पूर्व सचिव दमयंती रावत पर नियमों के विरुद्ध ₹ 20 करोड़ रुपए कोटद्वार में अस्पताल बनाने के लिए सीधे कार्यदायी संस्था को दिए जाने के आरोप लगे थे. इस मामले में यह पाया गया था कि कर्मकार कल्याण बोर्ड की तरफ से नियमों का उल्लंघन किया गया है. अब दमयंती रावत के खिलाफ चार्जशीट दी गई है.

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कर्मकार कल्याण बोर्ड
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Published : Oct 14, 2021, 1:24 PM IST

Updated : Oct 14, 2021, 2:18 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कर्मकार कल्याण बोर्ड एक बार फिर चर्चाओं में है. इस बार पूर्व सचिव समेत उच्च अधिकारियों को सरकार ने चार्जशीट दी है. मामला कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के निर्माण से जुड़ा है. जिसमें पूर्व में कार्यदायी संस्था को गलत तरीके से 20 करोड़ रुपए देने का मामला प्रकाश में आया था. उत्तराखंड सरकार ने कर्मकार कल्याण बोर्ड की पूर्व सचिव दमयंती रावत समेत ईएसआई के कुछ अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दी है.

बता दें कि पिछले दिनों श्रम मंत्री हरक सिंह रावत समेत कर्मकार कल्याण बोर्ड की पूर्व सचिव पर नियमों के विरुद्ध ₹ 20 करोड़ रुपए कोटद्वार में अस्पताल बनाने के लिए सीधे कार्यदायी संस्था को दिए जाने के आरोप लगे थे. इस मामले में यह पाया गया था कि कर्मकार कल्याण बोर्ड की तरफ से नियमों का उल्लंघन किया गया है.

पढ़ें-रुड़की: यूपी के MLA भड़ाना ने पिरान कलियर में उड़ाया ड्रोन, SSP ने बैठाई जांच

जांच के बाद यह बात सही पाई गई और कार्यदायी संस्था को रुपए वापस दिए जाने के आदेश दिए गए. जिसके बाद कार्यदायी संस्था ने 20 करोड़ रुपए वापस दे भी दिए हैं. लेकिन नियम विरुद्ध हुए इस कार्य को देखते हुए सरकार ने इस मामले में पूर्व सचिव दमयंती रावत और साईं के चिकित्सक समेत चार लोगों के खिलाफ चार्जशीट दी है. हालांकि श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने इसका पुरजोर विरोध किया है और इसमें कुछ भी गलत नहीं होने की बात कही है.

जानिए कौन हैं दमयंती रावत

बता दें कि दमयंती रावत मूल रूप से शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी हैं. वर्ष 2012 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई तो हरक सिंह रावत कृषि मंत्री बने. तब दमयंती रावत खंड शिक्षा अधिकारी सहसपुर में तैनात थी. कृषि विभाग में दमयंती रावत के लिए बकायदा विशेष कार्याधिकारी का निसंवर्गीय पद ग्रेड वेतन 8700 सृजित किया गया और इस पर प्रतिनियुक्ति के जरिए दमयंती रावत की ताजपोशी की गई. वहीं तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने एनओसी देने से मना कर दिया था. लेकिन दमयंती रावत बेरोकटोक प्रतिनियुक्ति पर आ गई.

यही नहीं कुछ समय बाद उनका ओहदा बढ़ाकर उन्हें कृषि विभाग में उत्तराखंड बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के निदेशक पद पर तैनात कर दिया गया. जिसके बाद साल 2016 में सत्ता के समीकरण गड़बड़ाए और मंत्री हरक सिंह रावत को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा, तो इसका असर दमयंती रावत पर भी पड़ा.

विवाद तब शुरू हुआ जब यह सामने आया कि दमयंती रावत ने शिक्षा विभाग से दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए कोई एनओसी ही नहीं ली. दमयंती रावत को लेकर हरक सिंह रावत का यह स्नेह पहली बार नहीं था. कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए भी हरक सिंह रावत ने दमयंती रावत को अपने विभाग के एक बोर्ड में प्रतिनियुक्ति पर लाए थे. हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत से विवाद के बाद उन्हें सचिव पद छोड़ना पड़ा.

देहरादून: उत्तराखंड में कर्मकार कल्याण बोर्ड एक बार फिर चर्चाओं में है. इस बार पूर्व सचिव समेत उच्च अधिकारियों को सरकार ने चार्जशीट दी है. मामला कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के निर्माण से जुड़ा है. जिसमें पूर्व में कार्यदायी संस्था को गलत तरीके से 20 करोड़ रुपए देने का मामला प्रकाश में आया था. उत्तराखंड सरकार ने कर्मकार कल्याण बोर्ड की पूर्व सचिव दमयंती रावत समेत ईएसआई के कुछ अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दी है.

बता दें कि पिछले दिनों श्रम मंत्री हरक सिंह रावत समेत कर्मकार कल्याण बोर्ड की पूर्व सचिव पर नियमों के विरुद्ध ₹ 20 करोड़ रुपए कोटद्वार में अस्पताल बनाने के लिए सीधे कार्यदायी संस्था को दिए जाने के आरोप लगे थे. इस मामले में यह पाया गया था कि कर्मकार कल्याण बोर्ड की तरफ से नियमों का उल्लंघन किया गया है.

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जांच के बाद यह बात सही पाई गई और कार्यदायी संस्था को रुपए वापस दिए जाने के आदेश दिए गए. जिसके बाद कार्यदायी संस्था ने 20 करोड़ रुपए वापस दे भी दिए हैं. लेकिन नियम विरुद्ध हुए इस कार्य को देखते हुए सरकार ने इस मामले में पूर्व सचिव दमयंती रावत और साईं के चिकित्सक समेत चार लोगों के खिलाफ चार्जशीट दी है. हालांकि श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने इसका पुरजोर विरोध किया है और इसमें कुछ भी गलत नहीं होने की बात कही है.

जानिए कौन हैं दमयंती रावत

बता दें कि दमयंती रावत मूल रूप से शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी हैं. वर्ष 2012 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई तो हरक सिंह रावत कृषि मंत्री बने. तब दमयंती रावत खंड शिक्षा अधिकारी सहसपुर में तैनात थी. कृषि विभाग में दमयंती रावत के लिए बकायदा विशेष कार्याधिकारी का निसंवर्गीय पद ग्रेड वेतन 8700 सृजित किया गया और इस पर प्रतिनियुक्ति के जरिए दमयंती रावत की ताजपोशी की गई. वहीं तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने एनओसी देने से मना कर दिया था. लेकिन दमयंती रावत बेरोकटोक प्रतिनियुक्ति पर आ गई.

यही नहीं कुछ समय बाद उनका ओहदा बढ़ाकर उन्हें कृषि विभाग में उत्तराखंड बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के निदेशक पद पर तैनात कर दिया गया. जिसके बाद साल 2016 में सत्ता के समीकरण गड़बड़ाए और मंत्री हरक सिंह रावत को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा, तो इसका असर दमयंती रावत पर भी पड़ा.

विवाद तब शुरू हुआ जब यह सामने आया कि दमयंती रावत ने शिक्षा विभाग से दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए कोई एनओसी ही नहीं ली. दमयंती रावत को लेकर हरक सिंह रावत का यह स्नेह पहली बार नहीं था. कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए भी हरक सिंह रावत ने दमयंती रावत को अपने विभाग के एक बोर्ड में प्रतिनियुक्ति पर लाए थे. हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत से विवाद के बाद उन्हें सचिव पद छोड़ना पड़ा.

Last Updated : Oct 14, 2021, 2:18 PM IST
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