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उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू, यात्रा पर जाने से पहले जानिए नियम

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Published : Jul 1, 2020, 6:02 AM IST

Updated : Jul 1, 2020, 3:24 PM IST

लंबे असमंजस और ऊहापोह के बाद उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. अगर आप चारधाम यात्रा पर जाने वाले हैं, तो इस रिपोर्ट के जरिए यात्रा संबंधित नियमों को जानिए.

Chardham Yatra 2020
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू

देहरादून: लंबे असमंजस और ऊहापोह के बाद आखिरकार चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. वहीं, बाहरी राज्यों से आने वाले उत्तराखंड के लोगों को क्वारंटाइन प्रक्रिया पूरी करने के बाद यात्रा में शामिल हो सकेंगे. चारधाम यात्रा का हिन्दुओं में काफी महत्व है. माना जाता है कि चारधाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालु के समस्त पाप धुल जाते हैं और आत्मा को जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है. ETV BHARAT अपनी खास रिपोर्ट में बता रहा है कि इस बार चारधाम यात्रा का स्वरूप कैसा है.

नए नियम के मुताबिक, बदरीनाथ में 1200, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 लोग ही एक दिन में दर्शन कर सकेंगे. वहीं, कंटेनमेंट जोन और बफर जोन में रहने वाले लोगों को किसी भी धाम में जाने की अनुमति नहीं होगी. इसके साथ ही नए नियम के मुताबिक दर्शन में लोगों की भीड़ न लगे, इसके लिए टोकन सिस्टम की शुरुआत की गई है. इसके साथ ही चारधाम के यात्रियों को पुजारी के निकट जाना प्रतिबंधित होगा.

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू.

उत्तराखंड निवासी कर सकेंगे चारधाम यात्रा

उत्तराखंड चारधाम यात्रा कई मायने में बेहद खास है. चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. जिसकी वजह से प्रदेश में 5 लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी चलती है. उत्तराखंड को देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों वाले राज्यों में से एक माना जाता है. यहां प्रतिवर्ष लाखों लोग बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. ऐसे में यात्रा शुरू होने से देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को राहत मिली है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बढ़ा गजराज का कुनबा, हाथियों की संख्या हुई 2026

पहले ही खुल चुके हैं धाम के कपाट

प्रदेश के प्रसिद्ध धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ के कपाट खुल चुके हैं. 26 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए और 29 अप्रैल को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट शुभ मुहुर्त में खोले गए. 15 मई को ब्रह्ममुहूर्त में बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए.

ऐसे करिए चारधाम की यात्रा

चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की वेबसाइट https://badrinath-kedarnath.gov.in पर पंजीकरण करना होगा. जिसमें सेल्फ डिक्लेरेशन के साथ ही यात्रा प्रारंभ करने की तिथि एवं अन्य विवरण समेत उत्तराखंड राज्य का निवास स्थान आदि का उल्लेख करना और फिर वेबसाइट पर पते का फोटो आईडी अपलोड करना होगा. जिसके बाद यात्रा संबंधित E-Pass जारी होगा, जिसकी मदद से चारधाम यात्रा की जा सकेगी.

चारधाम यात्रा के लिए दिशा-निर्देश

कोविड-19 के लक्षण वाले व्यक्ति यात्रा नहीं कर सकेंगे. 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यात्रा नहीं करने के निर्देश हैं. यात्रा में हैंड सैनिटाइजर, मास्क और सोशल डिस्टेंस का पालन करना अनिवार्य होगा. कोई भी श्रद्धालु धाम में मंदिर के गर्भगृह, सभा मंडप के अग्रभाग में नहीं जा सकेंगे. मंदिर में प्रवेश से पहले हाथ पैर धोना जरूरी होगा, परिसर के बाहर से लाए किसी प्रसाद चढ़ावे को मंदिर परिसर में लाना वर्जित रहेगा, देवमूर्ति को स्पर्श करना वर्जित रहेगा.

होटल संचालक तैयार

उत्तराखंड चारधाम की यात्रा को देखते होटल कारोबारी पूरी तरह से तैयार हैं. होटल के सभी कमरों को सैनिटाइज किया जा रहा है, इसके साथ ही होटल कर्मचारी यात्रियों का पूरा ब्यौरा रखने की भी तैयारी में जुटे हुए हैं. साथ ही होटल कर्मचारियों के लिए भी सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग अनिवार्य किया गया है. वहीं चारधाम यात्रा को देखते हुए उत्तराखंड परिवहन निगम कई रूटों पर बसों का संचालन शुरू कर दिया है. उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक चारधाम के लिए जल्द ही बसों का भी निर्धारण किया जाएगा.

वर्ष 2019 में चारधाम यात्रा पर आए यात्री

  • केदारनाथ धाम- 10 लाख
  • बदरीनाथ धाम- 12,44,993
  • गंगोत्री धाम- 5,30,334
  • यमुनोत्री धाम- 4,65,534

चारधाम की स्थापना कैसे हुई

स्कंद पुराण के अनुसार गढ़वाल को केदारखंड कहा गया है. केदारनाथ का वर्णन महाभारत में भी है. महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के केदारनाथ में दर्शन-पूजा करने का वर्णन होता है. माना जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा मौजूदा मंदिर को बनवाया था. बदरीनाथ मंदिर के बारे में भी स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में वर्णन मिलता है. बदरीनाथ मंदिर के वैदिक काल भी मौजूद होने के बारे में पुराणों में वर्णन है.गंगा को धरती पर लाने का श्रेय राजा भगीरथ को जाता है.

1790 से 1815 तक कुमाऊं-गढ़वाल पर गोरखा लोगों ने राज किया था. इसी दौरान गंगोत्री मंदिर का निर्माण गोरखा जनरल अमर सिंह थापा ने करवाया था. यमुनोत्री के असली मंदिर को जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में बनवाया था. कुछ दस्तावेज इस ओर भी इशारा करते हैं कि पुराने मंदिर को टिहरी के महाराज प्रताप शाह ने बनवाया था. मौसम की मार के कारण पुराने मंदिर के टूटने पर मौजूदा मंदिर का निर्माण किया गया है.

देहरादून: लंबे असमंजस और ऊहापोह के बाद आखिरकार चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. वहीं, बाहरी राज्यों से आने वाले उत्तराखंड के लोगों को क्वारंटाइन प्रक्रिया पूरी करने के बाद यात्रा में शामिल हो सकेंगे. चारधाम यात्रा का हिन्दुओं में काफी महत्व है. माना जाता है कि चारधाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालु के समस्त पाप धुल जाते हैं और आत्मा को जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है. ETV BHARAT अपनी खास रिपोर्ट में बता रहा है कि इस बार चारधाम यात्रा का स्वरूप कैसा है.

नए नियम के मुताबिक, बदरीनाथ में 1200, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 लोग ही एक दिन में दर्शन कर सकेंगे. वहीं, कंटेनमेंट जोन और बफर जोन में रहने वाले लोगों को किसी भी धाम में जाने की अनुमति नहीं होगी. इसके साथ ही नए नियम के मुताबिक दर्शन में लोगों की भीड़ न लगे, इसके लिए टोकन सिस्टम की शुरुआत की गई है. इसके साथ ही चारधाम के यात्रियों को पुजारी के निकट जाना प्रतिबंधित होगा.

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू.

उत्तराखंड निवासी कर सकेंगे चारधाम यात्रा

उत्तराखंड चारधाम यात्रा कई मायने में बेहद खास है. चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. जिसकी वजह से प्रदेश में 5 लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी चलती है. उत्तराखंड को देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों वाले राज्यों में से एक माना जाता है. यहां प्रतिवर्ष लाखों लोग बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. ऐसे में यात्रा शुरू होने से देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को राहत मिली है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बढ़ा गजराज का कुनबा, हाथियों की संख्या हुई 2026

पहले ही खुल चुके हैं धाम के कपाट

प्रदेश के प्रसिद्ध धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ के कपाट खुल चुके हैं. 26 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए और 29 अप्रैल को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट शुभ मुहुर्त में खोले गए. 15 मई को ब्रह्ममुहूर्त में बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए.

ऐसे करिए चारधाम की यात्रा

चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की वेबसाइट https://badrinath-kedarnath.gov.in पर पंजीकरण करना होगा. जिसमें सेल्फ डिक्लेरेशन के साथ ही यात्रा प्रारंभ करने की तिथि एवं अन्य विवरण समेत उत्तराखंड राज्य का निवास स्थान आदि का उल्लेख करना और फिर वेबसाइट पर पते का फोटो आईडी अपलोड करना होगा. जिसके बाद यात्रा संबंधित E-Pass जारी होगा, जिसकी मदद से चारधाम यात्रा की जा सकेगी.

चारधाम यात्रा के लिए दिशा-निर्देश

कोविड-19 के लक्षण वाले व्यक्ति यात्रा नहीं कर सकेंगे. 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यात्रा नहीं करने के निर्देश हैं. यात्रा में हैंड सैनिटाइजर, मास्क और सोशल डिस्टेंस का पालन करना अनिवार्य होगा. कोई भी श्रद्धालु धाम में मंदिर के गर्भगृह, सभा मंडप के अग्रभाग में नहीं जा सकेंगे. मंदिर में प्रवेश से पहले हाथ पैर धोना जरूरी होगा, परिसर के बाहर से लाए किसी प्रसाद चढ़ावे को मंदिर परिसर में लाना वर्जित रहेगा, देवमूर्ति को स्पर्श करना वर्जित रहेगा.

होटल संचालक तैयार

उत्तराखंड चारधाम की यात्रा को देखते होटल कारोबारी पूरी तरह से तैयार हैं. होटल के सभी कमरों को सैनिटाइज किया जा रहा है, इसके साथ ही होटल कर्मचारी यात्रियों का पूरा ब्यौरा रखने की भी तैयारी में जुटे हुए हैं. साथ ही होटल कर्मचारियों के लिए भी सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग अनिवार्य किया गया है. वहीं चारधाम यात्रा को देखते हुए उत्तराखंड परिवहन निगम कई रूटों पर बसों का संचालन शुरू कर दिया है. उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक चारधाम के लिए जल्द ही बसों का भी निर्धारण किया जाएगा.

वर्ष 2019 में चारधाम यात्रा पर आए यात्री

  • केदारनाथ धाम- 10 लाख
  • बदरीनाथ धाम- 12,44,993
  • गंगोत्री धाम- 5,30,334
  • यमुनोत्री धाम- 4,65,534

चारधाम की स्थापना कैसे हुई

स्कंद पुराण के अनुसार गढ़वाल को केदारखंड कहा गया है. केदारनाथ का वर्णन महाभारत में भी है. महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के केदारनाथ में दर्शन-पूजा करने का वर्णन होता है. माना जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा मौजूदा मंदिर को बनवाया था. बदरीनाथ मंदिर के बारे में भी स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में वर्णन मिलता है. बदरीनाथ मंदिर के वैदिक काल भी मौजूद होने के बारे में पुराणों में वर्णन है.गंगा को धरती पर लाने का श्रेय राजा भगीरथ को जाता है.

1790 से 1815 तक कुमाऊं-गढ़वाल पर गोरखा लोगों ने राज किया था. इसी दौरान गंगोत्री मंदिर का निर्माण गोरखा जनरल अमर सिंह थापा ने करवाया था. यमुनोत्री के असली मंदिर को जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में बनवाया था. कुछ दस्तावेज इस ओर भी इशारा करते हैं कि पुराने मंदिर को टिहरी के महाराज प्रताप शाह ने बनवाया था. मौसम की मार के कारण पुराने मंदिर के टूटने पर मौजूदा मंदिर का निर्माण किया गया है.

Last Updated : Jul 1, 2020, 3:24 PM IST
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