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कोरोना के चलते बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के समय में हुआ बदलाव

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के समय में किए गये बदलाव पर देवस्थानम बोर्ड ने जवाब दिया है. बोर्ड का कहना है कि एसओपी के मुताबिक ही कपाट खोलने के समय में बदलाव किया गया.

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देहरादून
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Published : Jun 2, 2021, 6:01 PM IST

देहरादूनः बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने के समय परिवर्तन पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने जवाब दिया है. बोर्ड ने कहा कि 3 मई को जारी एसओपी के मुताबिक ही बदरीनाथ मंदिर के कपाट सुबह 7 बजे खोले गए व शाम 7 बजे बंद किए गए. किसी भी तरह का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित धार्मिक नियम परंपरा के मुताबिक ही बदरीनाथ धाम में पूजा पद्धति लगातार चल रही है.

डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने किया स्वागत

उधर डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने देवस्थानम बोर्ड के निर्णय एवं एसओपी का स्वागत करते हुए कहा है कि बदरीनाथ मंदिर में व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल रही हैं. कहीं कुछ ऐसा नहीं है जिससे परंपराएं टूट रही हों.

ये भी पढ़ेंः बदरीधाम में कुछ ऐसा हुआ जिसे बताने से डर रहे धर्माधिकारी, कहा- कुछ बोलूंगा तो चली जाएगी नौकरी

बदरीनाथ पूजा नियमावली में सुबह 7.30 बजे खुलते थे कपाट

गौरतलब है कि दशकों पहले भारी बर्फबारी, विकट भौगोलिक परिस्थिति और मौसम की प्रतिकूलता को देखते हुए मंदिर के कपाट सुबह 7.30 बजे खोले जाते थे. 26 मार्च 1970 में जारी श्री बदरीनाथ पूजा नियमावली तथा उससे पहले भी बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने का समय सुबह 7.30 बजे था. टिहरी महाराज के परामर्श के बाद बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में इस संबंध में सर्व सम्मति से प्रस्ताव भी पारित हुआ था.

मंदिर जीर्णोद्धार पर रखा गया था प्रस्ताव

साल 1975 में जब श्री बदरीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ तो यात्रियों की सुविधा के लिए मंदिर को ब्रह्म मुहूर्त में प्रात 4.30 बजे खोलने का प्रस्ताव पास हुआ. जिसका तत्कालीन समय के रावल एवं धर्माधिकारी द्वारा विरोध भी किया गया. लेकिन श्रद्धालुओं की अधिक संख्या, अनुकूल मौसम, कम बर्फबारी को देखते हुए मंदिर सुबह 7.30 बजे के स्थान पर प्रात: 4.30 बजे खुलना शुरू हुआ. वर्तमान समय में कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर को खोलने का समय प्रात: 7 बजे रखा गया था. जिसका तीर्थपुरोहित समाज के कुछ सदस्यों ने विरोध किया था. इसे धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध बताया था.

ये भी पढ़ेंः बदरीनाथ-केदारनाथ धाम से प्रसाद घर भेजने की तैयारी, 427 श्रद्धालु करा चुके है ऑनलाइन पूजा

बोर्ड ने बताई समस्या

देवस्थानम बोर्ड के हवाले से बताया गया कि बदरीनाथ मंदिर में प्रात: कालीन पूजा में भगवान बदरीविशाल के महाभिषेक एवं अभिषेक के लिए गाय के दूध की भी जरूरत होती है, जिससे पंचगव्य बनाया जाता है. जोकि कोरोना के कारण स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. निकटवर्ती पांडुकेश्वर गांव से बदरीनाथ धाम के लिए दूध लाया जा रहा था, जिसमें समय लग रहा था.

शास्त्रीय परंपराओं के उल्लंघन का आरोप ठीक नहीं

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि मई महीने की एसओपी में चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं को सुचारू ढंग से चलाने की व्यवस्था बनाई गई. देवस्थानम बोर्ड का विरोध भी हो रहा है‌‌. यह संवैधानिक हक है, लेकिन देवस्थानम बोर्ड के विरोध स्वरूप शास्त्रीय परंपराओं के उल्लंघन का आरोप ठीक नहीं है. देवस्थानम बोर्ड नीतिगत विषय है. देवस्थानम बोर्ड के अधीन कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों का निरंतर प्रयास है कि चारधाम सहित सभी मंदिरों की व्यवस्थाएं एंव प्रबंधन सुचारू चलता रहे.

चार धाम हक हकूकधारी संगठन नाखुश

देवस्थानम बोर्ड के बनाए जाने से पहले से ही नाराज चारधाम हक हकूकधारी संगठन के तीर्थ पुरोहितों ने बदरीनाथ में पूजा के समय में हुए बदलाव पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी मन मर्जी से आदि अनादि के नियमों को बदल रही है. उन्होंने कहा कि ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

चार धाम हक हकूकधारी तीर्थ पुरोहित संगठन के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार के इस तरह के रवैये से तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है. तीर्थ पुरोहित इसके खिलाफ आंदोलन भी कर सकते हैं.

देहरादूनः बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने के समय परिवर्तन पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने जवाब दिया है. बोर्ड ने कहा कि 3 मई को जारी एसओपी के मुताबिक ही बदरीनाथ मंदिर के कपाट सुबह 7 बजे खोले गए व शाम 7 बजे बंद किए गए. किसी भी तरह का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित धार्मिक नियम परंपरा के मुताबिक ही बदरीनाथ धाम में पूजा पद्धति लगातार चल रही है.

डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने किया स्वागत

उधर डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने देवस्थानम बोर्ड के निर्णय एवं एसओपी का स्वागत करते हुए कहा है कि बदरीनाथ मंदिर में व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल रही हैं. कहीं कुछ ऐसा नहीं है जिससे परंपराएं टूट रही हों.

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बदरीनाथ पूजा नियमावली में सुबह 7.30 बजे खुलते थे कपाट

गौरतलब है कि दशकों पहले भारी बर्फबारी, विकट भौगोलिक परिस्थिति और मौसम की प्रतिकूलता को देखते हुए मंदिर के कपाट सुबह 7.30 बजे खोले जाते थे. 26 मार्च 1970 में जारी श्री बदरीनाथ पूजा नियमावली तथा उससे पहले भी बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने का समय सुबह 7.30 बजे था. टिहरी महाराज के परामर्श के बाद बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में इस संबंध में सर्व सम्मति से प्रस्ताव भी पारित हुआ था.

मंदिर जीर्णोद्धार पर रखा गया था प्रस्ताव

साल 1975 में जब श्री बदरीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ तो यात्रियों की सुविधा के लिए मंदिर को ब्रह्म मुहूर्त में प्रात 4.30 बजे खोलने का प्रस्ताव पास हुआ. जिसका तत्कालीन समय के रावल एवं धर्माधिकारी द्वारा विरोध भी किया गया. लेकिन श्रद्धालुओं की अधिक संख्या, अनुकूल मौसम, कम बर्फबारी को देखते हुए मंदिर सुबह 7.30 बजे के स्थान पर प्रात: 4.30 बजे खुलना शुरू हुआ. वर्तमान समय में कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर को खोलने का समय प्रात: 7 बजे रखा गया था. जिसका तीर्थपुरोहित समाज के कुछ सदस्यों ने विरोध किया था. इसे धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध बताया था.

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बोर्ड ने बताई समस्या

देवस्थानम बोर्ड के हवाले से बताया गया कि बदरीनाथ मंदिर में प्रात: कालीन पूजा में भगवान बदरीविशाल के महाभिषेक एवं अभिषेक के लिए गाय के दूध की भी जरूरत होती है, जिससे पंचगव्य बनाया जाता है. जोकि कोरोना के कारण स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. निकटवर्ती पांडुकेश्वर गांव से बदरीनाथ धाम के लिए दूध लाया जा रहा था, जिसमें समय लग रहा था.

शास्त्रीय परंपराओं के उल्लंघन का आरोप ठीक नहीं

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि मई महीने की एसओपी में चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं को सुचारू ढंग से चलाने की व्यवस्था बनाई गई. देवस्थानम बोर्ड का विरोध भी हो रहा है‌‌. यह संवैधानिक हक है, लेकिन देवस्थानम बोर्ड के विरोध स्वरूप शास्त्रीय परंपराओं के उल्लंघन का आरोप ठीक नहीं है. देवस्थानम बोर्ड नीतिगत विषय है. देवस्थानम बोर्ड के अधीन कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों का निरंतर प्रयास है कि चारधाम सहित सभी मंदिरों की व्यवस्थाएं एंव प्रबंधन सुचारू चलता रहे.

चार धाम हक हकूकधारी संगठन नाखुश

देवस्थानम बोर्ड के बनाए जाने से पहले से ही नाराज चारधाम हक हकूकधारी संगठन के तीर्थ पुरोहितों ने बदरीनाथ में पूजा के समय में हुए बदलाव पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी मन मर्जी से आदि अनादि के नियमों को बदल रही है. उन्होंने कहा कि ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

चार धाम हक हकूकधारी तीर्थ पुरोहित संगठन के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार के इस तरह के रवैये से तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है. तीर्थ पुरोहित इसके खिलाफ आंदोलन भी कर सकते हैं.

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